ज़िन्दगीनामा: जिसमें न कोई नायक ! न कोई खलनायक ! सिर्फ लोग और लोग और लोग! ज़िन्दादिल! जाँबाज़! लोग जो हिन्दुस्तान की ड्योढ़ी पंचनद पर जमे, सदियों गाज़ी मरदों के लश्करों से भिड़ते रहे ! फिर भी फसलें उगाते रहे ! जी लेने की सोंधी ललक पर ज़िन्दगियाँ लुटाते रहे !
ज़िन्दगीनामा: का कालखंड इस शताब्दी के पहले मोड़ पर खुलता है! पीछे इतिहास की बेहिसाब तहें! बेशुमार ताकतें! ज़मीन जो खेतिहर की है और नहीं है, वही ज़मीन शाहों की नहीं है मगर उनके हाथों में है! ज़मीन के मालिकी किसकी है? ज़मीन में खेती कौन करता है? ज़मीन का मामला कौन भरता है? मुजारे आसामियाँ ! इन्हें जकड़नों में जकड़े हुए शोषण के वे कानून जो लोगों को लोगों से अलग करते हैं! लोगों को लोगों में विभाजित करते हैं!
ज़िन्दगीनामा: कथ्य और शिल्प का नया प्रतिमान, जिसमे कथ्य और शिल्प हथियार डालकर ज़िन्दगी को आँकने की कोशिश करते हैं! ज़िन्दगीनामा के पन्नों में आपको बादशाह और फकीर, शहंशाह, दरवेश और किसान एक साथ खेतों की मुंडेरों पर खड़े मिलेंगे ! सर्वसाधारण की वह भीड़ भी जो हर काल में, हर गाँव में, हर पीढ़ी को सजाए रखती है!
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12551)
Tantra ( तन्त्र ) (1004)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1902)
Chaukhamba | चौखंबा (3354)
Jyotish (ज्योतिष) (1455)
Yoga (योग) (1101)
Ramayana (रामायण) (1390)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23143)
History (इतिहास) (8257)
Philosophy (दर्शन) (3393)
Santvani (सन्त वाणी) (2593)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist