प्रारंभ में साओल जीरो ऑयल आहार हृदय रोगियों व हृदय रोगों से बचाव के इच्छुकों के लिए बनाया गया था। बाद में हमने पाया कि यह न केवल हृदय रोगियों अपितु उन सामान्य व्यक्तियों के लिए भी फायदेमंद था, जो मोटापे, मधुमेह या उच्च रक्तचाप आदि से पीड़ित थे। 'जीरो ऑयल भोजन' से गठिया, कब्ज, गैस व अन्य बीमारियों से पीड़ितों ने भी लाभ उठाया।
पिछले दस वर्षों से साओल ने दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती से लेकर पश्चिमी भोजन नूडल्स व पिज्जा आदि की कई व्यंजन विधियां तैयार की हैं। हम लोगों को किसी भी प्रकार का तेल प्रयोग करने से मना करते हैं। जहां तक स्वाद का सवाल है, यदि मसाले पूरे हों तो स्वाद में कोई कमी नहीं आती। हमारे तीन दिवसीय प्रशिक्षण में भाग लेने से पहले अधिकांश व्यक्ति यही सोचते हैं कि उन्हें स्वादिष्ट भोजन से वचित कर, केवल उबले व सादे खाने पर रखा जाएगा। उनके इसी भय को भगाने के लिए हम उन्हें अनेक व्यंजन परोसते हैं जो न केवल स्वादिष्ट अपितु तेल रहित भी होते हैं। एक बार उन व्यंजनों को चखने के बाद वे जान जाते हैं कि साओल अवधारणा पर विश्वास कर, जीवन स्वादहीन व बुरा नहीं होगा।
शिविर के अंत में हम उन्हें उन सभी व्यंजन विधियों को पकाना सिखाते हैं जो उन्होंने हमारे साथ रह कर चखीं। प्रत्येक शिविर में नए स्वादिष्ट व्यंजन भी शामिल किए जाते हैं। हमने नई व्यंजन विधियों के साथ जीरो ऑयल स्वीट, जीरो ऑयल स्नैक्स, जीरो ऑयल दक्षिण भारतीय व्यंजनों की पुस्तकें तैयार की हैं।
सुझाव दिया कि वह अपने ग्राहकों को 'जीरो ऑयल थाली' परोसेगा। इस प्रकार हमने थाली भोजन की कैलोरी गणना पर कार्य आरंभ कर दिया। हमने तैयार व्यंजनों की कैलोरी गणना की।
भारत में सामान्यतः किसी भी थाली में अनाज से बनी चपाती (गेहूं, मक्का या बेसन आदि) दो या तीन सब्जियां, एक कटोरा दाल, थोड़े चावल, रायता (दही के साथ सब्जियां), सलाद व मीठा व्यंजन परोसे जाते हैं। साथ में थोड़ा पापड़ या अचार भी हो सकता है। हमें यह सारा भोजन बिना तेल के तैयार करना था। हमने इस तरह विविधता से भरपूर बीस प्रकार की थालियां तैयार कीं।
इन थालियों को प्रस्तुत करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि आपको विविधता के साथ पूरा पोषण मिल सके। इससे खाने में संतुष्टि भी आएगी तथा जीरो ऑयल होने के कारण कैलोरी भी अधिक नहीं होगी। मधुमेह के रोगियों के लिए मीठे के स्थान पर कृत्रिम मीठे से बने व्यंजन रखे जा सकते हैं। मोटापे से पीड़ित व्यक्ति थाली में चावल व चपाती की मात्रा घटा कर सलाद की मात्रा बढ़ा सकते हैं।
अन्य व्यक्तियों के अलावा हमारी आहार विशेषज्ञ शालिनी रस्तोगी ने विशेष रूप से इस पुस्तक के लिए योगदान दिया। पूनम व रेवल आहार विशेषज्ञों ने भी सहायता की। पुस्तक का कवर फोटोग्राफ मेरे सहयोगी व कनिष्ठ डॉ. अरिजीत चक्रवर्ती द्वारा लिया गया। श्री प्रवीण कुमार, श्री नंदकिशोर व भूपेंद्र सिंह ने पुस्तक को टाइप किया। मैं इन सबका आभारी हूं।
लगभग तीन माह पूर्व मेरे शिविर में दो रेस्तरों के मालिकों ने भाग लिया। उसने अपने होटल में जीरो ऑयल आहार बनाने की योजना बना ली। उसने
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