श्री टी पी त्रिवेदी ने आध्यात्मिक एवं ऋषि चेतना की जागृति तथा ज्योतिष व मंत्रशास्त्र के गहन अध्ययन, अनुभव और अनुसन्धान को अपने जीवन का लक्ष्य मान! इस समर्पित साधन के फलस्वरूप विगत ४० वर्षों में उन्होंने ५०० से अधिक शोधपरक लेख और ९६ शोधप्रबन्धों कीज्योतिष विज्ञान के विशाल अम्बर में व्याप्त अनन्त चमचमाते जगमगाते सितारों के मध्य श्री टी.पी. त्रिवेदी ने ज्योतिष शास्त्र की परम्परागत प्रतिष्ठा को उ. प्र. सरकार द्वारा प्राप्त यशभारती सम्मान २०१४-२०१५ के अलौकिक आलोक से अलंकृत किया है, जो ज्योतिष के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान, श्रेष्ठ शोध, अनुसंधान, संपादन हेतु उन्हें प्रदान किया गया है! यह गौरव श्री त्रिवेदी से पूर्व किसी अन्य ज्योतिविर्द को अब तक प्राप्त नहीं हो सकता है!
श्री टी पी त्रिवेदी ने आध्यात्मिक एवं ऋषि चेतना की जागृति तथा ज्योतिष व मंत्रशास्त्र के गहन अध्ययन, अनुभव और अनुसन्धान को अपने जीवन का लक्ष्य मान! इस समर्पित साधन के फलस्वरूप विगत ४० वर्षों में उन्होंने ५०० से अधिक शोधपरक लेख और ९६ शोधप्रबन्धों की सरंचना कर ज्योतिष शास्त्र के अक्षुण्ण कोश को अधिक समृध्द करने का श्रेय अर्जित किया!
देश भर में श्री त्रिवेदी के अनुसंधानपरक लेखो के प्रशंसा ने उनके ज्योतिषीय आत्मविश्वास को सुधृन्द्ता प्रदान की! समय समय पर विविध पत्र पत्रिकाओं में उनके साक्षात्कार प्रदान की! १९८३ के धर्मयुग के दीपावली विशेषांक के अतिरिक्त कादम्बिनी , रविवार, द एस्टोलॉजिकल, मैगजीन , प्लैनेट्स एंड फोरकास्ट , द टाइम्स ऑफ़ एस्ट्रोलॉजी, स्टार टेलर अकलत इंडिया एवं रश्मि विज्ञान आदि पत्र पत्रिकाओं में भी उनका गहन चिंतनऔर विविध विषयों पर किया गया , अनुसन्धान प्रकाशित हुआ, जिसके प्रत्युत्तर में उन्हें देश के कोने कोने से सहस्त्रों प्रशंसा पत्रों के साथ साथ जिज्ञासा से सम्बंधित आतुर आकांक्षा से अभुपुरित प्रपत्र प्राप्त हुए!
शताधिक सटीक राजनितिक भविष्यकथन करने वाले श्री त्रिवेदी विविध अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलनों में अपने धारधार वक्तव्यों द्वारा समस्त आगन्तुक दर्शकों ज्योतिष प्रेमियों, जिज्ञासुओं और प्रबुध्द छात्रों को प्रभावित और चमत्कृत करते रहे है ! सरंचना कर ज्योतिष शास्त्र के अक्षुण्ण कोश को अधिक समृध्द करने का श्रेय अर्जित किया!
देश भर में श्री त्रिवेदी के अनुसंधानपरक लेखो के प्रशंसा ने उनके ज्योतिषीय आत्मविश्वास को सुधृन्द्ता प्रदान की! समय समय पर विविध पत्र पत्रिकाओं में उनके साक्षात्कार प्रदान की! १९८३ के धर्मयुग के दीपावली विशेषांक के अतिरिक्त कादम्बिनी , रविवार, द एस्टोलॉजिकल, मैगजीन , प्लैनेट्स एंड फोरकास्ट , द टाइम्स ऑफ़ एस्टोलॉजी, स्टार टेलर अकलतइंडिया एवं रश्मि विज्ञान आदि पत्र पत्रिकाओं में भी उनका गहन चिंतनऔर विविध विषयों पर किया गया , अनुसन्धान प्रकाशित हुआ, जिसके प्रत्युत्तर में उन्हें देश के कोने कोने से सहस्त्रों प्रशंसा पत्रों के साथ साथ जिज्ञासा से सम्बंधित आतुर आकांक्षा से अभुपुरित प्रपत्र प्राप्त हुए!
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