पुस्तक के विषय में
युगपुरुष वीर विनायक दामोदर सावरकर एक हिन्दुत्ववादी, राजनितिक चिंतक और स्वतन्त्रता सेनानी रहे है | अपने इन विचारों को अभिव्यक्त करने में उन्होंने कभी किसी प्रकार का संकोच नही किया |
वह अपने प्रारंभिक विद्दार्थी जीवन से ही स्वाधीन भारत के स्वप्न देखने लगे थे | उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन जाने पर भी स्वाधीन भारत की इच्छा उन्हें क्रांतिकारियों के संपर्क में ले गयी | क्रन्तिकारी गतिविधियों में भाग मेने पर बड़ी बनाकर भारत लए गए | मार्ग में जहाज से समुन्द्र में कूद पड़ना उनकी अदम्य इच्छाशक्ति ठउत्कट् देशप्रेम का परिचायक है |
भारत में जीवन पर्यन्त कठोर कारावास का दण्ड मिलने पर कालापानी भेजे गए, किन्तु कालेपानी की नारकीय यंत्रणाएँ भी उन्हें अपने लक्ष्य से विचलित नही कर सकी |
भारत स्वतन्त्र हुआ, किन्तु उसके दो भाग कर दिए गए, अतः इस स्वतन्त्रता को वीर सावरकर ने अधूरी स्वतन्त्रता मन और पने जीवन में अंतिम वर्षों तक अखंड भारत का स्वप्न देखते रहे उनका यह उत्कट देश प्रेम भारतियों के लिए चिरकाल तक एक प्रेरणा स्त्रोत बना रहेगा |
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