सम्मान मिलने की सूचना पाकर भी मृत्यु की दहलीज पर खड़े बूढ़े चन्द्रकांत का चेहरा भाव शून्य ही बना रहा। सुख और दुःख की भावना तो जीवन की कंटीली राहों पर न जाने कब उससे बिछुड़ गई थी। कहानी 'विद्रोही' में एक स्वतंत्रता सेनानी द्वारा भोगी गई उपेक्षा और त्याग का मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है।
परिस्थित वश अपनी जन्मभूमि को छोड़ कर अन्यत्र जा बसे व्यक्ति को मातृभूमि से इतना लगाव है कि वह बार-बार उस धरती को नमन करने पहुंच जाता है। उसकी एक ही कामना है कि जिस माटी से उपजा उसी माटी में उसकी माटी मिल जाए। मातृभूमि के प्रति इस लगाव को बड़े ही मार्मिक ढंग से दर्शाया गया है कहानी 'उसका गांव' में।
अपनी बेटी के लिए वर की तलाश करते-करते जब वह निराश हो गया तो अनायास ही आशा की एक किरण उग आई। हताशा का अंधेरा चाहे कितना ही गहरा क्यों न हो, आशा का एक टिमटिमाता नन्हा सा दीप उजाले का अहसास करा ही देता है। इसी सामाजिक पहलू पर आधारित है कहानी 'आशा-दीप'।
नारी जब सबला बन जाती है तो उसके लिए कुछ - भी असम्भव नहीं। कहानी 'काकी' में ऐसी ही सबला नारी के अदम्य साहस का सटीक चित्रण है। आज जाति-वर्ग भेद के कारण समाज में अनेक विसंगतियां पनप रही हैं। स्वजाति अभिमान का दंश समाज को गर्त में धकेल रहा है। कहानी 'बदलते आयाम' समाज की इसी पीड़ा को अभिव्यक्त करती है।
इस संग्रह की ग्यारह कहानियों में लेखक ने विभिन्न रंगों की तूलिका से समूची जिन्दगी की तस्वीर उकेरी है। लेखक की मानवीय संवेदना उसे अपने पात्रों के इतना निकट खींच ले जाती है कि उन पात्रों के चेहरों पर उभरी वेदना, उनका सुख-दुःख, उनकी मुस्कान और उनकी आंखों में बसे सपने, सब कुछ अपना सा जान पड़ता है। रणजीत वर्मा की भाषा शैली स्वाभाविकता एवं व्यावहारिकता को समेटे हुए है। कहीं कहीं मातृबोली के देशज शब्दों के प्रयोग से कहानी की सुंदरता बढ़ी है और भाषा भी समृद्ध हुई है।
राज्य में साहित्यिक परिवेश का निर्माण करने तथा नवोदित लेखकों को प्रोत्साहित करने हेतु हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा विभिन्न साहित्यिक योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। इन योजनाओं में पुस्तक प्रकाशनार्थ सहायतानुदान योजना भी सम्मिलित है। हरियाणा राज्य के जो लेखक हिन्दी, हरियाणवी एवं संस्कृत में साहित्य रचना करते हैं, उन्हें अपनी अप्रकाशित पुस्तकों के प्रकाशन के लिये प्रस्तुत योजना के अन्तर्गत सहायतानुदान प्रदान किया जाता है।
वर्ष 2000-2001 के दौरान आयोजित पुस्तक प्रकाशनार्थ सहायतानुदान योजना के अन्तर्गत रणजीत वर्मा की उसका गाँव शीर्षक पांडुलिपि को अनुदान के लिये स्तरीय पाया गया है।
आशा है कि सुधी पाठकों द्वारा लेखक के इस सफल प्रयास का स्वागत किया जायेगा।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12543)
Tantra ( तन्त्र ) (996)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1901)
Chaukhamba | चौखंबा (3354)
Jyotish (ज्योतिष) (1450)
Yoga (योग) (1100)
Ramayana (रामायण) (1391)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23137)
History (इतिहास) (8251)
Philosophy (दर्शन) (3392)
Santvani (सन्त वाणी) (2555)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist