उपनिषद् तत्त्वज्ञान का सर्वोत्कृष्ट ग्रन्थ है। आध्यात्मिक ज्ञान के रहस्यों का सर्वांगीण विवेचन उपनिषद् के समान विश्व के किसी भी धर्मग्रंथ में अलभ्य है। सत्य तो यह है कि उपनिषद् तत्त्वज्ञान विवेचन का अगाध सागर है जिसमें सभी विद्वानों ने ड्बकी लगायी तथा इसके आनन्द-रस का रसास्वादन भी किया। इसीलिए अध्यात्म धर्मावलंबी सभी विद्वानों, मनीषियों एवं गुरुजनों ने अपने सत्संग-प्रवचनों में उपनिषदों में वर्णित आध्यात्मिक रहस्यों की अवश्य व्याख्या की है।
उपनिषद् अध्यात्म, दर्शन और विज्ञान की त्रिवेणी है। जीवन में आध्यात्मिकविकास के लिए प्रत्येक विद्वान को इसका अवश्य अध्ययन करना चाहिए। अध्यात्मज्ञान के जिज्ञासुओं को यदि अध्ययन करना ही है तो वह उपनिषदों का अध्ययन करे।
भारतीय विद्वान् मनीषियों ने ही नहीं, अपित् अनेक पाश्चात्य विद्वानों ने भी उपनिषदों की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। मैक्समूलर, शोपनहार, प्रो० पाल डयूसन, श्री ह्यूम, प्रो० जी० आर्क जैसे विदेशी विद्वानों ने भी इसका गहन अध्ययन किया और मुक्तकंठ से इसकी सराहना की। शाहजहाँ के ज्येष्ठ पुत्र दाराशिकोह जैसे मुस्लिम धर्मावलंबी ने भी उपनिषद् को आत्मिक शान्ति का अद्वितीय ग्रन्थ बताया। अध्यात्म, दर्शन, ज्ञान-विज्ञान तथा जीवन-मरण की गुत्थियों को भी उपनिषदों में सहजता से समझाया गया है।
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