योगाभ्यासों की अध्यापन विधियाँ: Teaching Methods for Yoga

Best Seller
FREE Delivery
Express Shipping
$21.75
$29
(25% off)
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: NZA707
Publisher: Kaivalyadhama Samiti Lonavla
Author: मनोहर लक्ष्मण घरोटे और श्रीमन्त कुमार गांगुली (Dr M L Gharote and Shri S K Ganguly)
Language: Hindi
Edition: 2018
ISBN: 8189485253
Pages: 138 (135 B/W illustrations)
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 170 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description

लेखक परिचय

डा. . . घरोट :- (जन्म :- २१ मई १९३१) एम. ., एम. एड. (शा.शि.) पीएच. डी. (नृशाण), पीएच् डी. (वैकल्पिक चिकित्सा) डी. लिट्, डी. वाय्. पी., डी. एस्. एम्., डी. बी. पी.    भूतपूर्व-सहायक निदेशक, वैज्ञानिक संशोधन विभाग, उप निदेशक, दार्शनिक साहित्यानुसन्धान विभाग, प्राचार्य, गोवर्धनदास सक्सेरिया योग एवं सांस्कृतिक समन्वय महाविद्यालय, कैवल्यधाम, लोनावला। आप ने योग पर कई पुस्तकों का लेखन किया तथा उनमें से कतिपय पुस्तकों पर पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। आपने विश्व के अनेक भागों की यात्रा करके योग संगोष्ठियों तथा योग सम्मेलनों में भाग लिया तथा योग के शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का भी संयोजन किया। युरोप तथा लेटिन अमेरिका के योग संगठनों में योग सलाहकार के रूप: में भी आप कार्यरत हैं। सम्प्रति लोनावला योग संस्थान (भारत) के निदेशक के रूप में कार्य कर रहे हैं।

श्री. श्रीमन्त कुमार गांगुली :- (जन्म :- २५ नव्हम्बर १९४२) बी. एस् सी., डी. पी. एड्, सी. सी. वाय्, एम्. पी. , डी. वाय् एङ् कैवल्यधाम श्री. मा. यो. मंदिर समिति, लोनावला में योग के भूतपूर्व वैज्ञानिक अनुसन्धानकर्ता । लगभग ५० शोधपत्र 'योग मीमांसा' एवं अन्य भारतीया भारतीयेतर शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित। योगासन-ए टिचर्स गाइड, एन्.सी. इ आर. टी. (प्रकाशन १९८३), टीचिंग मेथडस् फॉर योगिक प्राक्टिसेस् (प्रकाशन १९८८) इन दो पुस्तकों के लेखक, जो राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार द्वारा सम्मानित । वैज्ञानिक शोध कार्य तथा योग सन्देश प्रसारार्थ चेकोस्लोवाकिया,स्पेन एवं इटली आदि देशों द्वारा निमन्त्रित। सम्प्रति १९९६ से कैवल्यधाम के गो.से. योग तथा सांस्कृतिक समन्वय महाविद्यालय के प्राचार्य।

स्वस्तिवचन

यौगिक प्रशिक्षण के इतिहास में ऋषिकेश के स्वामी शिवानन्दजी तथा लोनावला कैवल्यधाम के स्वामी कुवलयानन्द जी, इन दोनों मनीषियों का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा है। योगवेदान्त फॉरेस्ट युनिव्हर्सिटी का तथा योग एवं सांस्कृतिक समन्वय महाविद्यालय (लोनावला) का निमार्ण २० वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में इन्होंने किया तबसे लेकर आज इक्कीसवी शताब्दी के आरंभ में अनेक देशों में यह कार्य फैल गया है अब अनेक व्यक्ति एवं संस्थाएँ योग सिखानेका तथा रोगोपचार का कार्य करने लगी हैं। ये शिक्षक मूलत: शारीरिक शिक्षा, आयुर्वेद या आधुनिक वैद्यकशास्त्र के उपाधि प्राप्त होते हैं। प्राय: उन को शिक्षाशास्त्र के मूलतत्त्वों का ज्ञान कम ही होता है एक व्यवसाय के रूप में योग सिखाने के काम को वे समझते हैं, जैसे चित्र खींचना, रंग भरना या बढ़ई का काम होता है। इसमें कोई अनुचित नहीं है, बशर्ते कि शिक्षक में निष्ठा एवं सच्चाई हो। अध्यापन के मूलतत्त्वों का ज्ञान तो योगशिक्षा के लिये अपरिहार्य समझना चाहिये। इस के लिये प्रस्तुत पुस्तक अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। दोनों लेखक इस विषय में अनुभवी, विशेषज्ञ होने से, प्रत्येक योगशिक्षक के लिये उनकी यह पुस्तक अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिये लाभदायक होगी।

अंग्रेजी में प्रकाशित प्रथम संस्करण का प्राक्कथन

योगाभ्यास का प्रशिक्षण छात्रों, शिक्षकों तथा जो नवीन शिक्षक होने जा रहे हैं उन सभी के लिये समान रूप से एक नवीन अनुभव है यह पुस्तक योग के अज्ञात क्षेत्र से योगाभ्यास के सफल एवं दक्ष प्रशिक्षण के ज्ञात क्षेत्र की ओर ले जाने का काम करेगी ऐसी आशा की जाती है कि यह पुस्तक छात्र, शिक्षक अथवा नवीन योग प्रशिक्षण के मार्ग को निर्विप्न बनायेगा तथा योग छात्रों के दृष्टिकोण से अधिक लाभकारी ज्ञान का अनुभव प्रदान करेगी।

योग प्रशिक्षण प्रारंभ करने से पूर्व यह आवश्यक है कि शिक्षक इस बात से पूरी तरह सन्तुष्ट हो ले कि विभिन्न अभ्यासों के शिक्षा के क्षेत्र में तथा बच्चों, युवकों, तथा त्रयस्कों के कुशलक्षेम के लिये इनका क्या योगदान है। शिक्षक को यौगिक अभ्यास के विभिन्न कार्यक्रमों से होने वाले वे लाभ जो छात्रों के वृद्धि एवं विकास में सहायक हो बकते हैं उन की पूरी जानकारी होनी चाहिये तथा इनके विद्यालय में चलने वाले अन्य कार्यक्रमों से क्या सबन्ध है? इसकी भी जानकारी होनी चाहिये शिक्षण के इस मूल एवं प्रारंभिक जानकारी के अभाव में शिक्षक प्रशिक्षार्थियों को योगाभ्यास के समृद्ध एवं फलदायी अनुभवों को बताने में सक्षम नहीं हो सकेगा। यतोभ्यास वर्ग का समापन आवश्यक रूप से सुखद एवं आनन्ददायी अनुभव में होना चाहिये।

कई वर्षों से यौगिक अभ्यास की प्रशिक्षणपद्धति यह विषय जी. एस. कॉलेज ऑफ योग एण्ड कल्चरल सिन्थेसिस के पाठ्य क्रम के विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है। अन्य स्थानों पर भी योग प्रशिक्षण के आवश्यक विषय के रूप में यह स्वीकार किया जा रहा है।

दस पुस्तक के लेखकों को जी. एस. कॉलेज के पाठ्यक्रम में इस विषय के अध्यापन का एक लम्बा अनुभव रहा है तथा यह पुस्तक उनके व्यक्तिगत अनुभव, जो विकास के विभिन्न स्तरों पर छात्रों को पढ़ाते समय हुए थे, पर आधारित है।

हमें ऐसा लगता है कि इस विषय पर किसी अच्छे साहित्य का सर्वथा अभाव है। अत: योग प्रशिक्षक तथा योग के विद्यार्थी अपने अपने क्षेत्र में इस पुस्तक से पर्याप्त लाभ ले सकेंगे। यद्यपि इस पुस्तक को प्रकाशित करने की योजना बहुत पूर्व से थी किन्तु भारतसरकार के मानव संसाधन विकास मन्त्रालय, नयी दिल्ली, की वित्तीय सहायता से इसका प्रकाशन सम्भव हो सका है इसके लिये हम इस मन्त्रालय के प्रति कृतज्ञ हैं।

 

 

अनुक्रमणिका

 

1

अंग्रेज़ी में प्रकाशित प्रथम संस्करण का प्राक्कथन

3

2

प्राक्कथन

7

3

भूमिका

11

4

विषय-प्रवेश

13

5

योग एवं योगाभ्यास

19

6

अध्यापन-विधियाँ-अर्थ एवं कार्यक्षेत्र

25

7

अध्यापन विधियों के स्रोत

37

8

कक्षा प्रबन्धन

49

9

पाठ नियोजन

59

10

योगाभ्यास अध्यापन पाठ

71

11

यौगिक अभ्यास के पाठों सम्बन्धी टिप्पणियाँ और निरीक्षण

77

12

यौगिक अभ्यासों का तुलनात्मक अध्ययन

81

13

यौगिक अभ्यासों के प्रमुख तथ्य

85

14

परिशिष्ट-१

91

15

परिशिष्ट-२

100

16

शब्द सूची

135

17

पुस्तकोंकी सूची

138

 

Sample Pages







Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories