वर्तमान युग में जो वैज्ञानिक, तकनीकी विकास हो रहा है वह अतीत के विचारों द्वारा प्रभावित है, ठीक उसी तरह जैसे अतीत के विचार वर्तमान के तकनीकी अनुसंधान व वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं। भारतीय संस्कृति में लिखित व मौखिक साहित्य दोनों ही अभिन्न अंग है। आज अनेक प्राचीन साहित्य, प्रबंध, नाटक व अन्य विधाएँ लिखित रूप में प्राप्त होते हैं। न केवल साहित्य बल्कि ऐसे अन्य कई ग्रंथ हैं जिनकी सहायता से अख-शख के भी निर्माण हो रहे हैं। इस तथ्य को पश्चिम के विचारक भी स्वीकारते हैं। आज पहले से अधिक महत्व प्राचीन ग्रंथों; उनकी पांडुलिपियों को प्राप्त है।
दो-ढाई शताब्दियों से भोज पत्रों में लिखने की प्रथा रुक गई है। इसलिए ये अनिवार्य हो गया है कि इन मूल प्राचीन ग्रंथों को वैज्ञानिक पद्धति से सुरक्षित रखा जाए। इसी उद्देश्य हेतु आंध्र-प्रदेश सरकार ने सन् 1967 में प्राच्य लिखित ग्रंथालय की स्थापना की है जिसमें विविध व्यक्तियों के पास और संस्थाओं से प्राप्त प्राचीन पांडुलिपियों को एकत्रित कर अध्ययन हेतु सुरक्षित रखा गया है। सन् 1969 में इस पुस्तकालय को राष्ट्रीय-केंद्र-पुस्तकालय में मिला दिया गया व सन् 1975 में 'अनुसंधान' शब्द को भी जोड़ दिया गया है जिससे शोध कार्य को भी प्रोत्साहन मिले। अनेक सरकारी क्रिया-प्रक्रिया के पश्चात इस संस्था का नाम 'आंध्र प्रदेश सरकारी प्राच्य लिखित ग्रंथालय एवं अनुसंधानालय' स्थिर हुआ; और अब यह एक स्वतंत्र निदेशालय के रूप में कार्य कर रही है।
तेलुगु-पांडुलिपियों को संपादित करने की दिशा में सी.पी. ब्राउन ने बड़ा महत्वपूर्ण काम किया। उन्होंने कई ग्रंथों का संकलन कर.
पुनर्लेखन व संपादित कर मुद्रित व पुस्तकाकार रूप देकर विद्वज्जनों तक पहुंचाया है। केवल तेलुगु पांडुलिपियाँ ही नहीं, आज सोलह भाषाओं में छब्बीस हजार से अधिक प्राचीन-पांडुलिपियों को सुरक्षित रखना, उनका संस्करण व संपादन का कार्य यह संस्थान देख रही है।
संस्थान के प्रगति के पथ पर आर्थिक कमी भी बाधा बन जाती है। संस्थान के प्रमुख लक्ष्य, मुद्रण, अनुसंधान आदि में बाधा न पहुँचे। इसी उद्देश्य से भारत सरकार ने उनके सांस्कृतिक-शाखा के नेतृत्व में 'नेशनल मिशन फॉर मैन्युस्क्रिप्स्ट्स' (N.M.M) नामक संस्थान खोली है, जहाँ इन प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों को सुरक्षित रखने के लिए नवीन- पद्धतियाँ खोज निकाली गई हैं। आज इस अनुसंधान केंद्र को N.M.M वाले 'मैन्युस्क्रिप्ट्स-रिसर्च सेंटर' की मान्यता दे दी है। यह प्रादेशिक इतिहास में पहली बार हुआ कि N.M.M द्वारा आर्थिक-सहायता से फरवरी 2004 तक देश भर के पांडुलिपियों का सर्वे किया गया। इस सस्थान ने सन् 2006 तक प्राप्त विभिन्न भाषाओं के कुल 48 ग्रंथों का मुद्रण व संपादन कर पाठकों तक पहुँचाया है। सन् 2007 में पाँच ग्रंथों का प्रकाशन हुआ है।
Hindu (हिंदू धर्म) (12653)
Tantra ( तन्त्र ) (1017)
Vedas ( वेद ) (706)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1903)
Chaukhamba | चौखंबा (3360)
Jyotish (ज्योतिष) (1464)
Yoga (योग) (1099)
Ramayana (रामायण) (1386)
Gita Press (गीता प्रेस) (734)
Sahitya (साहित्य) (23158)
History (इतिहास) (8266)
Philosophy (दर्शन) (3395)
Santvani (सन्त वाणी) (2593)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
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