कविवर सुमित्रानन्दन पंत: Sumitranandan Pant

Express Shipping
$12.75
$17
(25% off)
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: NZA893
Publisher: Uttar Pradesh Hindi Sansthan, Lucknow
Author: डॉ. सुरेशचन्द्र गुप्त (Dr. Suresh Chand Gupta)
Language: Hindi
Edition: 2006
ISBN: 8190395327
Pages: 158
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 170 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description

प्रकाशकीय

प्रतिभा की सर्वोच्च ऊँचाइयों को छूना असम्भव भले ही न हो, दुर्लभ अवश्य है। विरले ही महान व्यक्तित्व ऐसे होते है, जो अपनी प्रतिभा से क्षेत्र-विशेष का पर्याय बन जाते है। सुमित्रानन्दन पंत जी की पहचान आधुनिक हिन्दी कविता में ऐसी ही है । कविता की सुकोमलता अभिव्यक्ति-क्षमता और लयात्मकता की जहाँ भी बात चलेगी, पंत जी की रचनाओं की स्मृति स्वाभाविक है। भावनाओं की सुकोमल अभिव्यक्ति हो या प्रकृति को शब्दों में समूचे सौन्दर्य के साथ संजोना । उनकी कविता पग-पग पर इतनी प्रौढ़ और आत्मीय है कि अपनी पहचान आप है । जो शैली, शब्द चयन और प्रस्तुति की मनोहारी अभिव्यक्ति पंत जी की कविता में दिखती है, हिन्दी का कोई दूसरा कवि उन्हें नहीं छू सका ।

छायावाद के इस अनूठे पुरोधा कवि का पहला कविता संग्रह 1626 में खुल्ला आया था और फिर अगले पचास सालों के दौरान समय-समय पर 1977 तक उनके अनेक कविता संग्रह प्रकाशित होते रहे, जिनकी कुल संख्या 26 है। उनके उच्छावास, पल्लव, 'गुंजन', ग्राम्या 'युगपथ, उत्तरा', 'कला और 'बूढ़ा चाँद' आदि संग्रह हिन्दी कविता में मील स्तम्भ सरीखे हैं । उनके तीन प्रबन्ध काव्य हैं और बारह अन्य काव्य संकलन भी । पंत जी ने काव्य रूपकों के साथ-साथ अनेक निबन्ध भी लिखे, जिनके लगभग आधा दर्जन संग्रह हैं । 'शिल्प और दर्शन, 'कला और संस्कृति' तथा छायावाद, पुनर्मूल्यांकन आदि निबन्ध संग्रह उनके प्रौढ़ गद्यकार को भी हमारे सामने रखते है । यों उन्होंने कुछ कहानियाँ और नाटक एकांकी आदि भी लिखे हैं ।

स्पष्ट है कि हिन्दी साहित्याकाश पर इतनी व्यापक और मनोरम प्रस्तुति के साथ अपनी अत्यन्त विशिष्ट पहचान बना चुके पंत जी के सम्पूर्ण कृतित्व और व्यक्तित्व पर संक्षेप में दृष्टिपात करना किसी भी साहित्यानुरागी को आह्लादित कर सकता है । हमारी इस आकांक्षा को यहाँ मूर्तिमान किया है डॉ. सुरेशचन्द्र गुप्त ने, जो स्वयं भी हिन्दी साहित्य के निष्णात विद्वान हैं । उन्होंने तीन खण्डों में इस पुस्तक का प्रणयन किया है, जिसके पहले खण्ड में पंत जी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर सारगर्भित प्रकाश डाला गया है । दूसरे खण्ड में । उनके सम्पूर्ण कृतित्व का विधागत अध्ययन है और तीसरा भाग सम्पूर्ण पंत साहित्य का समीक्षात्मक आकलन करता है । कहना न होगा कि सम्पूर्ण प्रस्तुति - पंत जी के प्रेरक व्यक्तित्व को पूरी तरह अभिव्यक्ति देती है और इस दुरूह

कार्य को मूर्तिमान करती है ।

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान इस गौरव ग्रन्थ का प्रकाशन अपनी स्मृति संरक्षण योजना के अन्तर्गत कर रहा है । आशा है कि साहित्यकार हिन्दी विशेषकर कविता के शोधार्थियों अनुरागियों के साथ-साथ यह प्रस्तुति सम्बन्धित क्षेत्र के विद्वानों के बीच भी सराही जायेगी ।

लेखकीय

महाकवि सुमित्रानंदन पंत को छायावाद का पुरोधा माना गया है । छायावादी कवि के रूप में पंत जी ने खड़ीबोली को काव्य-भाषा के रूप में स्थापित किया और हिन्दी जगत को काव्य क्षेत्र में एक नई पहचान दी। उनकी प्रगतिशील चेतना ने मार्क्सवाद और गांधीवाद को एक साथ ग्रहण किया है। नवचेतनावाद पंत की समस्त काव्यचेतना की चरम परिणति है, जहाँ पहुँच कर मानवता विश्वात्मा में लीन हो जाती है और सांसारिक दुःख-संताप उसके लिए अस्तित्वहीन हो जाते है। सरिता अपना पथ स्वयं बनाती है । पर्वत-शिखरों से निकल पर्वतों पत्थरों के अवरोधों को दूर कर वह झाड़-झंखाड़ के बीच मार्ग बनाती हुई, अधिक ऊर्जावान और विस्तृत होती हुई उत्तरोत्तर आगे बढ़ती जाती है । पंत की काव्य-सलिला ने भी जब साहित्य का रूपाकार ग्रहण किया तो गद्य-पद्य की अनेक विधाओं में अपने को रूपायित किया। उन्होंने उपन्यास, कहानी, निबंध, कविता, नाटक, एकांकी, संस्मरण, रेखाचित्र आदि अनेक विधाओं में लिखा। हार नामक उपन्यास तो सोलह-सत्रह की किशोरावस्था में ही लिख लिया था।

कविवर सुमित्रानंदन पंत शीर्षक परिचयात्मक पुस्तक लेखन के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने आमंत्रित किया, एतदर्थ मैं संस्थान के अधिकारियों । का आभारी हूँ । मेरा प्रयास रहा है कि इस लघु कलेवर की पुस्तक में पंत जी औप का सम्पूर्ण काव्य-व्यक्तित्त्व समाहित हो जाए । इस संदर्भ में प्रथम अध्याय मेरा पंत जी का जीवन-परिचय, द्वितीय अध्याय में पंत जी के साहित्य का विधागत अध्ययन और तृतीय अध्याय में छायावाद, प्रगतिवाद, मार्क्सवाद आदि के संदर्भ में पंत-साहित्य का समीक्षात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है ।

इस कृति में 'गागर में सागर' की उक्ति को चरितार्थ करने का प्रयास किया गया है। कलेवर की सीमा के कारण बहुत कुछ छोडना पड़ा है पर यह कृति पंत-साहित्य के विद्वानों और सामान्य साहित्यानुरागियों को भी संतुष्ट कर सकेगी, ऐसा विश्वास है।

 

अनुक्रम

अध्याय - एक

1

सुमित्रानंदन पंत व्यक्तित्त्व और कृतित्त्व

1-31

जन्मभूमि कौसानी

पारिवारिक परिवेश

बचपन और शिक्षार्जन

संघर्षो से भरा जीवनपथ

संस्कृति केन्द्र लोकायतन की योजना

आकाशवाणी में पंत जी

विदेश भ्रमण

प्रेरणास्रोत रचना-प्रक्रिया और साहित्य-सृजन

मान-सम्मान और पुरस्कार

महाप्रस्थान

अध्याय - दो

2

पंत साहित्य का विधागत अध्ययन

32-84

मुत्ताक काव्य - कविता संग्रह

प्रबंधकाव्य

रूपक साहित्य

कथा साहित्य

निबंध संग्रह

अनूदित साहित्य

अध्याय तीन

3

पंत साहित्य का समीक्षात्मक अध्ययन

85-138

पंत और प्रकृति

पंत और छायावाद

पंत और प्रगतिवाद

पंत और नवचेतनावाद

पंत की काव्य चिन्तना का विकासक्रम पंत का काव्यशिल्प

परिशिष्ट - एक

सुमित्रानंदन पंत : विहंगावलोकन

139-143

परिशिष्ट - दो

4

सुमित्रानंदन पंत का प्रकाशित साहित्य

144-146

 

 

 

 

 

sample Page

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories