Stories from the Purana: Set of 2 Books (In Hindi)

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This Set Consists of 2 Books:
1) पौराणिक कहानियाँ
2) पौराणिक कथाएँ
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Item Code: HAB612
Publisher: Gita Press, Gorakhpur
Language: Hindi
Edition: 2011
ISBN: 9788129314000, 9788129313515
Pages: 244
Cover: PAPERBACK
Weight 220 gm
Fully insured
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100% Made in India
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23 years in business
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Book Description
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**पौराणिक कहानियाँ: Stories From The Puranas**

नम्र-निवेदन

 

भारतीय संस्कृतिमें वेदोंके बाद पुराणोंका महत्त्वपूर्ण स्थान है । वेदोंके विषय गूढ़ होनेके कारण जन-सामान्यके लिये कठिन हैं, किन्तु भक्तिरससे ओतप्रोत पुराणोंकी मङ्गलमयी एवं ज्ञानप्रदायिनी कथाओंके श्रवण-मनन और पठन-पाठनके द्वारा साधारण मनुष्य भी भक्तितत्त्वका अनुपम रहस्य जानकर सहज ही अपना आत्मकल्याण कर सकता है । पुराणोंकी पवित्र कहानियोंके स्वाध्यायसे अध्यात्मकी दिशामें अग्रसर होनेवाले साधकोंको तत्त्वबोधकी प्राप्ति होती है तथा भगवान्के पुनीत चरणोंमें सहज अनुराग होता है । पौराणिक कहानियोंके द्वारा धर्म-अधर्मका ज्ञान होता है, सदाचारमें प्रवृत्ति होती है तथा भगवान्में भक्ति बढ़ती है । इन कथारूप उपदेशोंको सुनते-सुनते मानवका मन निर्मल होता है, जीवन सुधरता है तथा इहलोक और परलोक-दोनोंमें सुख और शान्ति मिलती है ।

प्रस्तुत पुस्तक कल्याण (वर्ष ६३, सन् १९८९ ई० )-में प्रकाशितपुराण-कथाङ्क से चयनित कहानियोंका अनुपम संग्रह है । इसमें शिवभक्त नन्दभद्र, नारायण-मन्त्रकी महिमा, कीर्तनका फल, सत्यकी महिमा, दानका स्वरूप, चोरीकी चोरी आदि ३६ उपयोगी एवं सन्मार्गकी प्रेरक कहानियाँ संकलित हैं । पुराणोंसे संकलित सुहत् सम्मत उपदेशपरक इन कहानियोंका स्वाध्याय सबके लिये कल्याणकारी है । इनके अध्ययन और मननसे प्रेरणा लेकर हम सबको सन्मार्ग और भगवद्धक्तिके पथपर आगे बढ़ना चाहिये ।

 

विषय-सूची

1

शिवभक्त नन्दभद्र

5

2

भक्त विष्णुदास और चक्रवर्ती सम्राट- चोल

12

3

नारायण-मन्त्रकी महिमा

16

4

कर्मरहस्य

20

5

कीर्तनका फल

23

6

भक्ति बड़ी है या शक्ति

26

7

सुदर्शनचक्र-प्राप्तिकी कथा

28

8

आसक्तिसे विजेता भी पराजित

31

9

जयध्वजकी विष्णुभक्ति

34

10

अविमुक्त-क्षेत्रमें शिवार्चन से यक्षको गणेशत्व-प्राप्ति

36

11

बिना दान दिये परलोकमें भोजन नहीं मिलता

39

12

सोमपुत्री जाम्बवती

41

13

और्ध्वदेहिक दानका महत्त्व

44

14

चोरीकी चोरी

47

15

आदिशक्ति ललिताम्बा

50

16

पाँच महातीर्थ

55

17

जगन्नाथधाम

61

18

सदाचारसे कल्याण

64

19

ब्रह्माजीका दर्पभंग

68

20

भक्तिके वश भगवान्

70

21

 भगवद्गानमें विघ्न न डालें

72

22

दानका स्वरूप

75

23

सत्यकी महिमा

81

24

परलोकको न बिगड़ने दें

85

25

संतसे वार्तालापकी महिमा

87

26

भगवान् आश्रितोंकी देखभाल करते हैं

90

27

पातिव्रत-धर्मका महत्त्व

94

28

पाँच पितृभक्त पुत्र

97

29

स्त्री, शूद्र और कलियुगकी महत्ता

107

30

धन्य कौन?

108

31

नारदजीका कामविजय- विषयक अभिमानभंग

112

32

किरातवेषधारी शिवजी की अर्जुनपर कृपा

116

33

महान् तीर्थ-माता-पिता

119

34

द्रौपदीकी क्षमाशीलता

122

35

कुसंग परमार्थका बाधक

125

36

दुख-दर्दकी माँग

127

 

 







**पौराणिक कथाएँ: Tales From the Puranas**

नम्र-निवेदन

 

पुराण भारतीय साहित्यकी अमूल्य निधि है । शास्त्रोंने पुराणको पञ्चम वेद माना है । वेदोंके कल्याणकारी सूत्रोंको रोचक कथाओंके रूपमें प्रस्तुत करके मानवमात्रको सन्मार्गकी दिशा प्रदान करनेमें पौराणिक कथाओंका अद्भुत योगदान है । पौराणिक कथाओंमें भक्ति, ज्ञान, सदाचार, वैराग्य, निष्कामकर्म, तीर्थसेवन, यह, दान, तप, देवपूजन आदि शुभकर्मोंमें जनसाधारणको प्रवृत्त करनेके लिये उनके लौकिक और पारलौकिक फलोंका सुन्दर वर्णन किया गया है । पुराणोंमें वर्णित भक्त और भगवान्के लीला-चरित्रोंकी कथा-सुधा सांसारिक वेदनासे संतप्त मनुष्योंके लिये जीवनरूप है । इन कथाओंके पठन-पाठनसे मनुष्यको अपने कर्तव्यका ज्ञान होता है तथा जीवनके परम लक्ष्य भगवद्भक्तिकी सुन्दर प्रेरणा मिलती है ।

सभी पुराणोंका एक साथ पठन-पाठन सामान्य मनुष्यके लिये कठिन है । इसीलिये सबको विभिन्न पुराणोंकी प्रमुख कथाओंका ज्ञान करानेके उदेश्यसे’कल्याण’(वर्ष-६३, सन् १९८९ ई०) में’पुराण-कथाङ्क’का प्रकाशन किया गया था । प्रस्तुत पुस्तक ’पुराण-कथाङ्क’ से संकलित परहितके लिये सर्वस्व त्याग, अतिथि-सत्कार, मौतकी मौत, भक्तका अदभुत अवदान आदि महत्त्वपूर्ण प्रेरक कथाओंका सुन्दर संग्रह है । प्रत्येक कल्याणकामी मनुष्यको इन कथाओंके अध्ययन-मननके द्वारा अपने आत्मकल्याणका पथ प्रशस्त करना चाहिये ।

 

विषय-सूची

1

परहितके लिये सर्वस्व-दान’

1

2

अद्भुत अतिथि-सत्कार’

3

3

मौतकी भी मौत

5

4

प्रतिशोध ठीक नहीं होता’

7

5

सुनीथाकी कथा’’

11

6

सीता-लुकी-संवाद’

17

7

सत्कर्ममें श्रमदानका अद्भुत फल’

22

8

नल-दमयन्तीके पूर्वजन्मका वृत्तान्त

24

9

गुणनिधिपर भगवान् शिवकी कृपा’

26

10

कुवलाश्वके द्वारा जगत्की रक्षा’

29

11

भक्तका अदभुत अवदान’

31

12

मन ही बन्धन और मुक्तिका कारण’

33

13

महर्षि सौभरिकी जीवन-गाथा’

36

14

भगवन्नाम समस्त पापोंको भस्म कर देता है

46

15

सत्यव्रत भक्त उतथ्य’

50

16

सुदर्शनपर जगदम्बाकी कृपा

56

17

विष्णुप्रिया तुलसी

60

18

मुनिवर गौतमद्वारा कृतघ्न ब्राह्मणोंको शाप’

67

19

वेदमालिको भगवत्प्राप्ति’

71

20

राजा खनित्रका सद्भाव’

75

21

राजा राज्यवर्धनपर भगवान् सूर्यकी कृपा’

78

22

देवी षष्ठीकी कथा’

82

23

भगवान् भास्करकी आराधनाका अद्भुत फल’

88

24

गरुड, सुदर्शनचक्र और श्रीकृष्णकी रानियोंका गर्व- भंग’

97

25

कर्तव्यपरायणताका अद्भुत आदर्श’

93

26

विपुलस्वान् मुनि और उसके पुत्रोंकी कथा’

95

27

राजा विदूरथकी कथा’

100

28

इन्द्रका गर्व - भंग’

104

29

गणेशजीपर शनिकी दृष्टि’

107

30

आँख खोलनेवाली गाथा’

111

31

दरिद्रा कहाँ-कहाँ रहती है?’

113

32

शिवोपासनाका अद्भुत फल’

116

33

शबर-दम्पतिकी दृढ़ निष्ठा’

118

34

कीड़ेसे महर्षि मैत्रेय’

120

 







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