स्वामी रामकृष्णानन्द श्री रामकृष्ण के एक प्रमुख संन्यासी शिष्य थे | उनको मद्रास भेजने के पहले स्वामी विवेकानन्द ने वहाँ के भक्तों से कहा था - "मै तुम लोगो के बीच अपने एक ऐसे गुरुभाई को भेजूँगा, जो तुम लोगों के सर्वाधिक कट्टर ब्राह्मण से भी कट्टर है, फिर भी पूजा, शास्त्रज्ञान तथा ध्यान-धारणा आदि में अतुल्य है |" स्वामी रामकृष्णानन्द ने आचार्य रामनुजा की जन्मभूमि तमिलनाडु अंचल में दीर्घकाल तक निवास किया तथा मूल ग्रंथों की सहायता से आचार्य के अपूर्व जीवन, मत तथा क्रियाकलापों का विस्तार से अध्ययन करके बंगला भाषा में उनकी 'श्री रामानुज चरित' शीर्षक से एक जीवनी लिखी जो उनकी प्रतिभा का उत्कृष्ट नमूना तथा बांग्ला साहित्य का अमूल्य रत्न है | उसी पुस्तक का हिन्दी अनुवाद हम पाठकों के सामने प्रस्तुत कर रहे है | आशा है इन प्रातः स्मरणीय महापुरुष की जीवनी अपने पाठकों के हृदय में एक नव प्रेरणा का संचार करेगी |
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