हिन्दी साहित्य के रीतिकाल की समैं-सीमा में भक्ति भाव के जो उच्च कोटि के साधक भये उनमे श्री हठी जी का नाम अत्यन्त आदर के संग लियौ जातौ रह्यौ है। सत्य तौ जे है कि श्री हठी जी भक्ति-भावना और काव्य-प्रतिभा दोनों ही दृष्टिन साँ विलक्षन हैं। याही लियें अद्यावधि उनकी मात्र एक रचना 'श्री राधा-सुधा शतक' उपलब्ध हैवे के बाद हू भक्त और कवि इन दोनों रूपन में उनकी जस अत्यन्त व्यापक है। जे कहनी अतिसयोक्ति नायें होयगी कि उनके व्यक्तित्व के जे दोऊ प्रधान रंग भक्ति-भावना और काव्य-प्रतिभा, अपनी समग्र गहराई और उत्कर्ष के संग या शतक-सरोवर में खिल-खिल उठे हैं। याही लिये कहा भावः कहा भाषा दोनों ही दृष्टिन सौ जे शतक काव्य-मर्मज्ञन को ध्यान अपनी ओर खींचती रह्यौ है। आचार्य रामचन्द्र सुक्ल नैं अपने इतिहास-ग्रन्थ में श्री हठी जी के 'साहित्य-मर्मज्ञ' और 'कला-कुशल' कवि के रूप में ठीक ही याद कियौ है।
कदाचित, 'श्री राधा-सुधा-शतक' के इन्हीं गुनन पै रीझि क हिन्दी-साहित्य में आधुनिक काल के प्रवर्तक और आधुनिक काल के ब्रजभाषा कवीन की बृहत्त्रयी (या वृहत्त्रयी में श्री भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के अतिरिक्त श्री जगन्नाथ दास 'रत्नाकर' और श्री सत्यनारायण 'कविरत्न' कौ नामोल्लेख कियौ जातौ रह्यौ है।) के मुकुटमनि श्री भारतेन्दु हरिश्चन्द्र या ग्रन्थ के सम्पादन में प्रवृत्त भये। उनके द्वारा संपादित 'श्री राधा-सुधा- शतक' कौ प्रथम संस्करन सन् 1897 ई. में खड्गविलास प्रैस, बाँकीपुर सौं प्रकासित भयौ हो। जे ठीक है कि अल्पायु में स्वर्ग सिधार जायवे के कारन या ग्रन्थ के प्रथम मुद्रित संस्करन कूँ अपनी ऑखिन सों देखवे कौ अवसर श्री भारतेन्दु जी कूँ नायँ मिल्यौ परन्तु या कृति के प्रति उनकौ जो अनुराग हो, उनकी जो रीझन ही बाकौ उल्लेख सुक्ल जी नैं अपने इतिहास-ग्रन्थ में कर के बाकें अगली पीढ़िन के लियें सदा-सर्वदा के लिये सुरक्षित कर दियौ है।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12551)
Tantra ( तन्त्र ) (1004)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1902)
Chaukhamba | चौखंबा (3354)
Jyotish (ज्योतिष) (1455)
Yoga (योग) (1101)
Ramayana (रामायण) (1390)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23143)
History (इतिहास) (8257)
Philosophy (दर्शन) (3393)
Santvani (सन्त वाणी) (2593)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist