आज तक जितने भी महापुरुष सन्त-महात्मा भगवद्भक्त पीर पैगम्बर हुए हैं सबने चौरासी लाख योनियों से छूटकारा पाने के लिए तथा परमेश्वर की प्राप्ति के लिए एक ही रास्ता बताया है किन्तु उस सच्चे रास्ते को न समझ कर लोग मन-घढ़न्त अनेक रास्ते बनाकर भटकते फिरते हैं और अज्ञानवश आपस में झगड़ते हैं। इसीलिये प्रायः सभी सन्त-महात्मा भगवद्भक्तों के हृदय के उद्गार जो अपने-अपने समय में उन्होंने जनता के प्रति सुन्दर शब्दों में प्रगट किये हैं इस छोटी सी पुस्तक "श्री हंस भजन संग्रह" (प्रथम भाग) में सार रूप में दिये गये हैं। आशा है कि भगवद्भक्त इससे अवश्य लाभ उठायेंगे।
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