पुस्तक के विषय में
कुछ क्रांतिबीज हवाएं मुझसे लिये जा रही हैं। मुझे कुछ ज्ञात नहीं कि वे किन खेतों में पहुंचेंगे, और कौन उन्हें सम्हालेगा। मैं तो इतना ही जानता हूं, उनसे ही मुझे जीवन के, अमृत के, और प्रभु के फूल उपलब्ध हुए हैं, और जिस खेत में भी वे पड़ेंगे, वहीं की मिट्टी अमृत के फूलों में परिणत हो जाएगी।
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:-
धर्म और प्रेम के फूल अभय की भूमि में ही लगते हैं
स्व-चित के प्रति सम्यक जागरण ही जीवन-विजय का सूत्र है
क्या समस्त क्रिया के पीछे अक्रिया नहीं है?
जीवन का आदर्श क्या है?
जीवन में कोई अर्थ है?
आमुख
मैं भी एक किसान हूं और मैंने भी कुछ बीज बोये थे. और फिर उनमे अंकुर आये और अब फूल लग गये है । उन फूलों की सुगंध से मेरा सारा जीवन भर गया है। उस सुगंध के कारण अब में किसी और ही लोक मे हूं। उस सुगंध ने मुझे नया जन्म दिया है, और अब जो मै साधारण आखों से दिखाई पड़ता हूं वही नहीं हूं। अदृश्य और अज्ञात ने अपने बंद द्वार खोल दिये है, और मै उस जगत को देख रहा हूं, जो आखों से नहीं देखा जाता और उस संगीत को सुन रहा हूं जिसे सुनने में कान समर्थ नहीं होते है । और इस भांति जो मैने जाना है और पाया है वह वैसे ही मुझसे बहने और प्रवाहित होने को उत्सुक है, जैसे पहाड़ी के झरने सागर की ओर प्रवाहित होते और भागते हैं।
स्मरण रहे कि बदलियां जब पानी से भर जाती है, तो उन्हें बरसना पड़ता है। और फूल जब सुवास से भर जाते हैं, तो उन्हें हवाओं को अपनी सुगंध लुटा देनी होती है। और जब कोई दीया जलता है, तो आलोक उससे बहता ही है।
ऐसा ही कुछ हुआ है। और कुछ क्रांतिबीज हवाएं मुझसे लिये जा रही है । मुझे कुछ ज्ञात नहीं कि वे किन खेतों मे पहुंचेगे और कौन उन्हें सम्हालेगा। मैं तो इतना ही जानता हूं उनसे ही मुझे जीवन के, अमृत के, और प्रभु के फूल उपलब्ध हुए है, और जिस खेत में भी वे पड़ेंगे, वहीं की मिट्टी अमृत के फूलों मे परिणत हो जाएगी।
मृत्यु में अमृत छिपा है, और मृत्यु में जीवन-वैसे ही जैसे मिट्टी में फूल छिपे होते है। पर मिट्टी की संभावना। फूलों के बीजों के अभाव में कभी वास्तविकता में परिणत नहीं हो सकती है । बीज उसे प्रकट कर देते है, जो अप्रकट था, और उसे अभिव्यक्त कर देते हैं, जो कि प्रच्छन्न था।
जो भी मेरे पास है, जो भी मैं हूं उसे अमृत के दिव्य के, भागवत चैतन्य के बीजों के रूप में बाट देना चाहता हूं । ज्ञान से जो पाया जाता है प्रेम उसे लुटा देता है । ज्ञान से परमात्मा जाना जाता है, प्रेम से परमात्मा हुआ जाता है । ज्ञान साधना है, प्रेम सिद्धि है ।
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