सौन्दर्य लहरी: Saundarya Lahari

$27
$36
(25% off)
Item Code: NZA847
Author: Dr. Suresh Chandra Mishra
Publisher: Pranav Publication
Language: Sanskrit Text with Hindi Translation
Edition: 2019
ISBN: 9789381748015
Pages: 224
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 280 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
<meta content="Microsoft Word 12 (filtered)" name="Generator" /> <style type="text/css"> <!--{cke_protected}{C}<!-- /* Font Definitions */ @font-face {font-family:Wingdings; panose-1:5 0 0 0 0 0 0 0 0 0;} @font-face {font-family:Mangal; panose-1:2 4 5 3 5 2 3 3 2 2;} @font-face {font-family:"Cambria Math"; panose-1:2 4 5 3 5 4 6 3 2 4;} @font-face {font-family:Cambria; panose-1:2 4 5 3 5 4 6 3 2 4;} @font-face {font-family:Calibri; panose-1:2 15 5 2 2 2 4 3 2 4;} /* Style Definitions */ p.MsoNormal, li.MsoNormal, div.MsoNormal {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:0in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} .MsoChpDefault {font-size:11.0pt;} .MsoPapDefault {margin-bottom:10.0pt; line-height:115%;} /* Page Definitions */ @page WordSection1 {size:8.5in 11.0in; margin:1.0in 1.0in 1.0in 1.0in;} div.WordSection1 {page:WordSection1;} /* List Definitions */ ol {margin-bottom:0in;} ul {margin-bottom:0in;} -->--></style>

पुस्तक के विषय में

माता भगवती त्रिपुरसुन्दरी के लाड़ले पुत्र शंकराचार्य को स्वयं भगवती ने अपना दूध पिलाकर सब विद्याओं में पारंगत होने का वरदान दिया था। भगवान् शिव की इच्छा और भगवती की आज्ञा से आपने वेदों में गुप्त रूप से निहित शताक्षरी महाविद्या का क्रमबद्ध व्यवस्थित विवरण सौन्दर्यलहरी के 100 श्लोकों में प्रस्तुत किया है।

 

अनुक्रमणिका

 

श्लोक ज्योतिष संकेत मनोरथ सिद्धि

 

1

सात ऊर्ध्वलोक सात ग्रह सर्वार्थसिद्धि

9

2

शिशुमार कालिय नक्षत्रमण्डल कालभयनिवारण

13

3

बारह सूर्य दरिद्रता निवारण, विद्या प्राप्ति

17

4

ग्रहों और भगवती की समानता सिंहासन, पदवी पाना

19

5

तीन जन्मलग्न मनमोहन व्यक्तित्व

21

6

ग्रहस्पष्ट का महत्त्व विजय, सन्तान सुख

24

7

संवत्मर के 12 मोती विरोधी विजय, सफलता

26

8

पंचांग की महत्ता बन्धन बाधा निराकरण

29

9

सौर परिवार के ग्रह उत्तम स्वास्थ्य, नीरोगिता

32

10

108 नवांश शरीर शुद्धि, प्राकृतिक विकास

36

11

भाव होरा घटी लग्न बांझपन निवारण

38

12

लग्न का बल कविताशक्ति विद्वत्ता

42

13

कुण्डली में ग्रहस्थिति आकर्षण, लोकप्रियता प्राप्ति

44

14

तिथियां दुर्भिक्ष व रोग का निवारण

46

15

विद्याविनयसम्पन्न दैवज्ञ विद्या व कवित्व प्राप्ति

49

16

ग्रहपीड़ा का उपाय विद्या व कवित्व सिद्धि

51

17

ज्योतिषी की योग्यता विद्वत्ता व ग्रथकार होना

52

18

स्तुति पूजा से अनुकूल ग्रह सर्वजन वशीकरण

55

19

कुण्डली में शिवशक्ति त्रिकोण राजा प्रजा की अनुकूलता

56

20

ग्रहबल विचार अनिवार्य विषनाश रोगनिवारण

59

21

लग्न योगी द्वारा ज्ञेय जनता द्वारा आदर

61

22

मन्त्र और सदाचार से कष्ट दूर सुख सम्पदा वैभव प्राप्ति

63

23

कुण्डली के वाम दक्षिण भाग अनिष्टनाश इष्टसिद्धि

65

24

कुण्डली के तीन खण्ड तन मन के रोग निवारण

67

25

उपाय ज्योतिष का महत्व उच्चपद व मनोरथ प्राप्ति

69

26

दशान्तर्दशा शत्रुविजय सुखसमृद्धि दाम्पत्यसुख

71

27

कर्मफल संकेत आध्यात्मिक उन्नति, साक्षात्कार

73

28

ग्रहों की शुभाशुभता अपमृत्ये व कष्ट निवारण

76

29

दूसरे ग्यारहवें भाव का तालमेल सर्ववशीकरण, समृद्धि

78

30

त्रिकोणभावों में लक्ष्मी का वास अष्टसिद्धि प्राप्ति, अग्नि भयनिवृत्ति

80

31

फलकथनं के आधार सर्वसुखभोग प्राप्ति

64

32

कुण्डली व पोडशी मन्त्र की समानता दु:खनिवारण, विद्या में सफलता

86

33

बारह भाव धनी होना

89

34

ज्योतिष के नौ व्यूह विद्या बुद्धि प्राप्ति

91

35

ग्रह और पंचतत्व रोग नाश, स्वास्थ्य लाभ

95

36

कुण्डली रूप आज्ञाचक्र मे शिवशक्ति भय निवारण, कठिन रोग निवृत्ति

97

37

एकादश रुद्र व तारामण्डल मनोविकारों से छुटकारा

99

38

सूर्य चन्द्र ही शिवशक्ति विद्या ज्ञान प्राप्ति, बालारिष्ट निवारण

102

39

होरा कुण्डली का विचार सुखशयन दुःस्वप्न, दरिद्रता निवारण

104

40

तिथि नक्षत्रों की उत्पत्ति अभीष्ट सिद्धि

106

41

द्रेष्काण चक प्रजननांगों के विकार, सन्ततिलाभ

108

42

भगवती का नक्षत्रमय शरीर धनसमृद्धि उदर रोगों की शान्ति

111

43

राशिचक्र के दो भाग सबका सहयोग अजातशत्रु होना

113

44

वैदिक चित्रापक्षीय अयनांश सर्वविध कल्याण, बाधा निवारण

115

45

नक्षत्र प्रजापति वाक् सिद्धि भविष्यकथन की शक्ति

117

46

ग्रहबल व राजयोग प्रियतम से मिलन, सन्तानसुख

119

47

सूर्य चन्द्र के दो पात सर्वजन अनुकूलता, निर्भयता

121

48

यह काल का नियमन सब ग्रहों की प्रसन्नता

123

49

ग्रहों का सम्बनध व दृष्टि सौभाग्यवृद्धि, धनवृद्धि

124

50

दैवज्ञ की मूल योग्यता खसरा चेचक शान्ति, विरोधियों में फूट

126

51

नवग्रह व द्वादशभाव इष्टसिद्धि, जनसहयोग

127

52

श्रवण धनिष्ठा का महत्त्व नेत्रकर्णरोग शान्ति, अधिकारी अनुकूल

129

53

लग्न चन्द्र व सूर्य कुण्डली ज्ञान प्राप्ति

131

54

ज्योतिष के तीन स्कन्ध पापनाश गुप्तरोग निवारण

132

55

ग्रहों का उदयास्त सुरक्षा, अण्डकोष विकार की शान्ति

134

56

मीनान्त बिन्दु व दक्षिणोत्तर गोल सफलता में रुकावट दूर, वर्षा होना

135

57

दिन रात का घटना बढ़ना भाग्यवृद्धि, संकट निवारण

137

58

श्रवण धनिष्ठा नक्षत्र जनसहयोग, रोग निवारण

139

59

शतभिषा पूर्वोत्तराभाद्रपद विजय

140

60

रेवती अश्विनी विद्याप्राप्ति

142

61

अश्विनी भरणी नक्षत्र ऐश्वर्य की प्राप्ति

144

62

कृत्तिका रोहिणी सौभाग्यवृद्धि, जीवनसाथी का सहयोग

146

63

मृगशिरा नक्षत्र, तिथियां सौभाग्यवृद्धि, सहयोगी की प्राप्ति

148

64

आर्द्रा पुनर्वसु नक्षत्र, व्याध तारा भविष्य कथन शक्ति, सर्वत्र प्रशंसा

151

65

पुष्य श्लेषा मघा नक्षत्र सर्वत्र विजय

152

66

पूर्वोत्तरा फाल्गुनी गीतसंगीत में सफलता

154

67

हस्त चित्रा नक्षत्र ऐश्वर्य ओर सब लोगों का सहयोग

156

68

स्वाती नक्षत्र लक्ष्मी प्राप्ति

158

69

विशाखा व गण्डान्त नक्षत्र संगीत में सफलता

160

70

अनुराधा नक्षत्र संकट निवारण,अपराध क्षमा

161

71

ज्येष्ठा नक्षत्र सौभाग्य वृद्धि, प्रतिष्ठा प्राप्ति

163

72

मूल नक्षत्र, क्षयमास का आधार वैभव प्राप्ति, अकेलापन निवारण

165

73

पूर्वोत्तराषाढ़, वर्षाकारक सूर्य मंगल सन्तुष्टि, स्तनों में दूध, धाय मिलना

167

74

अभिजित् नक्षत्र यश प्राप्ति, खोई प्रतिष्ठा की प्राप्ति

169

75

आकाश में दूध का समुद्र कवित्व शक्ति, भाषणकला

171

76

अभिजित् मण्डल में नीहारिका भयनिवारण, सबके हृदय में बसना

173

77

आकाश में वैतरणी नदी सरकारी काम में सफलता अनुकूलता

175

78

ध्रुव तारा व सप्तर्षि अभीष्ट सिद्धि

177

79

द्विपुष्कर नक्षत्र सुख सम्पदा शुभता

180

80

त्रिपुष्कर नक्षत्र, द्वादश भावस्पष्ट विरोध के स्वर शान्त

181

81

अयन व गोल लगाव, आकर्षण, लगन पैदा करना

183

82

अयन संक्रान्ति सर्वत्र विजय

185

83

चन्द्रमा के पात, ग्रहों के शर छापे से सुरक्षा, विरोधी के प्रहार निष्फल

186

84

आकाशीय ध्रुव अभीष्ट लाभ, जनता का आदर

188

85

ध्रुवस्थानों की विशेपता सौभाग्यवृद्धि,सुखी विवाहित जीवन

189

86

ध्रुव तारे का खिसकना विजय, सफलता, वाधानिवारण

191

87

ध्रुवतारा,. अयनचलन मान सम्मान प्रतिष्ठा धन

192

88

ध्रुव व पृथ्वी का सम्बध यशोलाभ, अभीष्ट सिद्धि

194

89

भक्ति से कष्ट निवारण मानसम्मान, धनसम्पदा, मनोरथ पूर्ति

196

90

नौ भेदों से कष्टनिवारण अभाव दरिद्रता, बाधाओं का अन्त

197

91

सख्यभाव भक्ति से कष्टनिवारण नृत्य संगीत में सफलता, सम्पत्ति

198

92

दास्य भक्ति से कष्टनिवारण राज्यलाभ, अभीष्ट प्राप्ति

200

93

वन्दना भक्ति मे कष्टनिवारण अभीष्ट मनोरथ पूर्ण

201

94

पूजा अर्चना, रत्न से लाभ अभाव की पूर्ति, मनोरथप्राप्ति

203

95

चरणसेवा से कष्टनिवारण कष्टकारी घाव ठीक, सफलता

205

96

नाम स्मरण से कष्टनिवारण धन विद्या, रोग शान्ति

207

97

कीर्तिन भक्ति से कष्टनिवारण सन्तानोत्पत्ति, स्वस्थ शरीर

208

98

श्रवण भक्ति से कष्टनिवारण सन्तानबाधा दूर, विद्या शिक्षा

210

99

निर्गुण निराकार भक्ति पराक्रम, शौर्य, प्रतिष्ठा

211

100

ज्योतिष संकेत सब कार्य सिद्ध

213

 

दिव्य शताक्षरी मन्त्र

215

 

अधिक तीन श्लोक

216

 

पुष्पिका, श्लोकानुक्रमणी

218-219

 

संक्षिप्त श्रीयन्त्र पूजन, श्रीयन्त्र

220-224

Sample Pages




















Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy