प्रस्तुत ग्रन्थ का प्रकाशन एक विशेष उद्देश्य को दृष्टि में रखकर हाथ में लिया गया है । जो लोग राष्ट्र की परम्पराओं एवं मर्यादाओं में विश्वास रखते हैं, उनकी सदा से यह मांग रही है कि उन्हें शास्त्रीय पद्धति और आधुनिक दृष्टि से संपन्न कुछ ऐसी पुस्तकें उपलब्ध हों, जिनके सहारे सांस्कृतिक कृत्यों व संस्कारों आदि का सम्यक् सम्पादन किया जा सके । इस दृष्टि से विद्यापीठ की शोध एवं प्रकाशन समिति ने यह निर्णय किया कि कर्मकाण्ड पर एक ग्रन्थमाला के प्रकाशन का काम हाथ में लिया जाय । जिसके प्रथम पुष्प के रूप में डा० भवानी शंकर त्रिवेदी विरचित नित्य कर्म प्रकाश का प्रकाशन पहले हो चुका है । अब इस ग्रन्थ माला के द्वितीय पुष्प के रूप में उन्हीं के संस्कारप्रकाश नामक इस ग्रन्थ का प्रकाशन हो रहा है ।
पांच मयूखों में प्रकाशित इस ग्रन्थ के प्रथम मयूख में संस्कारों के सम्वन्ध में आवश्यक विवेचन-पूर्ण जानकारी द्वितीय में संस्कारों के पूर्वांग तथा आगे विवाह, प्राग्जन्म, शैशव एवं शैक्षणिक संस्कारों का वैज्ञानिक ढंगसे विस्तृत विवेचन, उपयो-गिता आदि दर्शाए गए हैं । शास्त्रीय पद्धति पर सम्पूर्ण विधि विधान ऊपर संस्कृत में तथा नीचे हिन्दी में दिया गया है । इस ग्रन्थ की एक विशेषता यह है कि इसमें पारस्कारगृह्यसूत्र का मूल पाठ प्रस्तुत करते हुए सूत्रांक भी साथ साथ दिये गये हैं । ऊपर मन्त्र मोटे टाइप में दिये गए हैं तथा नीचे प्रत्येक मन्त्र का सरल हिन्दी में अर्थ भी समझाया गया है । ग्रन्थ के लेखक डा० भवानी शंकर त्रिवेदी संस्कृत और हिन्दी के जाने माने लेखक हैं, उनके पास शास्त्रीय ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक दृष्टि भी है । यही कारण है कि यह ग्रन्थ इस रूप में प्रकाशित हो सका है । इन्ही दो शब्दों केसाथ मैं यह पुस्तक पाठकों को समर्पित करता हूं ।
सम्पादकीय आत्मनिवेदन भूमिका प्रथम मयूख-संस्कार क्या क्यों व परिभाषाएं आदि संस्कार लक्षण संस्कार कितने व कौन-कौन से श्रुति स्मृति ऋषि, देवता, छन्द द्वितीय मयूख-संस्कारों के पूर्वाङ्ग स्वस्तिवाचन गणपत्यादि स्मरण कर्मकलश बह्मा व आचार्य आदि का वरण दिग्रक्षण, कङ्कणाभिमन्त्रण प्रधान संकल्प महागणपति पूजन गौरी पूजन ॐकार पूजन कलश स्थापन पुण्याह वाचन षोडश मातृका पूजन वसोर्धारा नान्दी श्राद्ध नवग्रहादि पूजन तृतीय मयूख-विवाह संस्कार संस्कारों के विधिविधान की इस ग्रन्थ में दीगई पद्धति विवाह-उद्देश्य, महत्व प्रारम्भिक तैयारी गोत्रमिलान, वाग्दान लग्नपत्रिका, कर्त्तव्यविधियां महागणपति स्थापन, स्तम्भरोपण, वरयात्रा आदि अथ विवाह संस्कार विंधानम् पारस्कर गृह्मसूत्रे प्रथमकाण्डें तृतीयकण्डिका अथार्हणा-वरार्चन मधुपर्क, कन्यादान संकल्प, ग्रन्थिबन्धन, दृढुपुरुष समीक्षण अग्निपूजन, आघाराज्यभाग, महाव्याहृति, सर्वप्रायश्चित्त (पञ्च-वारुणी ), स्विष्टकृद् होम, राष्ट्रभृद्होम, जयहोम अभ्यातान होम लाजा होम पाणिग्रहण अश्मारोहण गाथागान अग्नि-परिक्रमा सप्तपदी अभिषेक, सूर्यदर्शन, हृदयालम्भन, ध्रु-वदर्शन आदि आशीर्वचन, पुष्पाञ्जलि, बेटी की बिदाई, पीला नारियल आदि चतुर्थीकर्म, कंकण मोचन आदि चतुर्थ मयूख-प्राग्जन्म व शैशव संस्कार गर्भाधान पुंसवन संस्कार सीमन्तोन्नयन संस्कार जातकर्म सस्कार षष्ठी पूजा श्रीसूक्त नामकरण, निष्क्रमण, सूर्यपूजा, जलवापूजन अन्नप्राशन संस्कार चूडाकराण संस्कार कर्णवेध संस्कार पञ्चम मयूख-शैक्षणिक संस्कार विद्यारम्भ संस्कार उपनयन संस्कार वेदारम्भ संस्कार केशान्त संस्कार समावतंन संस्कार स्नातक के नियम ग्रन्थकृदात्मवृत्तम्
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