श्रीकृष्ण-कथा पर आधारित 5 खण्डों में यह एक ऐसी उपन्यास-माला है, जो पाठकों का भरपूर मनोरंजन तो करती ही है, साथ ही सभी को श्रद्धा के भाव जगत में ले जाकर खड़ा कर देती है।.
इन सभी उपन्यासों में लेखक ने श्रीकृष्ण के जीवन में आए तमाम लोगों का सजीव मानवीय चित्रण किया है तथा अनेक नए चौंकाने वाले तथ्य भी खोजे हैं। इस गाथा में श्रीकृष्ण का जीवंत चरित्र उद्घाटित होता है।
इस श्रृंखला के प्रत्येक खण्ड में 2 उपन्यास दिए गए हैं, जो समूची जीवन-कथा के 10 महत्वपूर्ण पड़ावों को मार्मिक ढंग से रेखांकित करते हैं।
पहले खण्ड कालचक्र में श्रीकृष्ण के जन्म से पहले की भयावह दशा का दिल हिला देने वाला वर्णन है, जबकि कारावास में वसुदेव और देवकी के कष्टों की मर्मस्पर्शी गाथा है तथा मथुरा के लोगों का सत्ता के प्रति गहरी पीड़ा का आंकलन है।
रामकुमार भ्रमर प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार थे। मूलतः उपन्यासकार के नाते प्रसिद्ध रहे रामकुमार भ्रमर ने साहित्य की हरेक विधा में जमकर कलम चलाई। कहानियाँ, नाटक, व्यंग्य, रिपोर्ताज, यात्ना-विवरण, निबंध, सत्यकथाएँ, संस्मरण, डायरी, जीवनी-अंश, इंटरव्यूज, फिल्म पटकथाएँ, वार्ताएँ, भाषण, बाल- साहित्य, महत्त्वपूर्ण पत्न-व्यवहार, राजनीतिक-वैचारिक दिशादृष्टि आदि विषयों पर उनका विपुल साहित्य आज भी लोकप्रिय है। उनके कई उपन्यासों पर सफल फिल्मों का निर्माण हुआ। उन्होंने स्वयं भी कई फिल्मों की पटकथाएं लिखी।
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