बहाई धर्म अब एक स्वतंत्र धर्म के रूप में अब पूरे विश्व में जाना जा चुका है और अब समय है कि फारस (अब ईरान) में प्रारम्भ हुए इस धर्म की शुरूआत के सम्बन्ध में प्रस्तुत नबील का यह अद्भुत आख्यान पाठक पढ़ें। नबील इसे इतनी सावधानी के साथ प्रस्तुत करते हैं कि सभी पक्षों से देखने पर यह एक असाधारण और अद्भुत कृति प्रतीत होती है। इस कृति में अनेक रोमांचक स्थल हैं और इसके केन्द्रीय प्रसंग का ज्ञान इस वृत्तान्त को न केवल विशाल ऐतिहासिक महत्व से विभूषित कर देता है अपितु अत्यन्त उत्कृष्ट शक्ति से भी भर देता है। इसकी रश्मियाँ सशक्त हैं और उनकी प्रभावपूर्णता अधिक सघन है, क्योंकि वे अर्द्धरात्रि के समय सूर्य के खिल उठने के समान प्रतीत होती हैं। यह गाथा है संघर्ष और आत्म बलिदान की, इसके उग्र एवं वीभत्व दृश्य, दुःखान्तक घटनाएँ अनेक हैं। दुराचार, हठधर्मिता और क्रूरता एकजुट होकर सुधारवादी मनोरथ के विरुद्ध उठ खड़े होते हैं, उसे नष्ट कर डालने के लिए। और उस बिन्दु पर पहुँच कर, जहाँ ऐसा लगने लगता है मानों घृणा के ताण्डव ने अपना ध्येय प्राप्त कर लिया हो और फारस के ऐसे प्रत्येक पुरुष, महिला और बच्चे को जिसने बाब की शिक्षाओं की ओर तनिक-सा भी झुकाव प्रदर्शित करने का साहस किया, चुन-चुनकर या तो देश के बाहर खदेड़ दिया गया या फिर मौत के घाट उतार दिया गया।
वह अत्यधिक सरल शैली में लिखते हैं और जब उनकी भावनाएँ आघात खाती हैं तो उनकी लेखन शैली भी प्रचंड और तीखी होती जाती है। उनका उद्देश्य बहाई धर्मोदय के प्रारम्भिक काल की घटनाओं को प्रस्तुत करना है। एक के बाद अनेक क्रमशः घटित हुई घटनाओं का वे उल्लेख करते हैं: प्रायः प्रत्येक विवरण की विषयवस्तु के सन्दर्भ में उन्होंने प्रमाण भी प्रस्तुत किए हैं। फलतः उनकी रचना, ईश्वर के धर्म के आरम्भिक इतिहास के बारे में जो कुछ उन्हें मालूम था या विश्वसनीय प्रत्यक्षदर्शियों से जो कुछ भी वे मालूम कर सके थे. उन सबके एक विवरण के रूप में मूल्यवान बन जाती है।
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