आधुनिक काल की जीवन शैली में मानसिक सन्तुलन बनायें रखने के लिए तथा दैनिक दिनचर्या के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए 'ध्यान' एक आवश्यकता बन गया है। कुछ ही क्षण के ध्यान से जो मानसिक समता प्राप्त होती वह विक्षिप्त मन को प्रसन्नता व आत्मा को शान्ती की अनुभूती प्रदान करती है। 'ध्यान' विक्षिप्त मन को एकाग्र करने का व अस्त-व्यस्त जीवन-शक्ति को एकत्रित करने का एक साधन है जो अस्पष्ट व किंकर्तव्यविमूढ़ मन पर नियन्त्रण करके उसे संसार व व्यत्तिगत्त समस्याओं का समाधान करने में व्यस्त कर सकता है।
'साधना एवं ध्यान', प्रत्येक स्तर के साधक के लिए आवश्यक अभ्यास प्रकिया और सिद्धान्तों का परिचय तथा उनके लाभ की एक प्रस्तुति है। यह अमरीका में रहने वाले एक पूर्व वैज्ञानिक द्वारा लिखी गई है जो बाद में एक योगी और सन्त बन गये। उनकी जीवन कथा 'Scientist's Search for Truth' बहुत लोकप्रिय है।
'साधना एवं ध्यान' एक बहुत सरल तथा स्पष्ट परिचय है जो ध्यान-अभ्यास आरम्भ करने के प्रबोधक कारण प्रस्तुत करता है। यह पुस्तक नवसाधक को योग, कर्म, भक्ति, ज्ञान आदि साधना के सब अङ्गो से अवगत्त करवाती है और उसे चरम सीमा समाधी तक, जो आत्म-साक्षात्कार तथा परम-शान्ती में फलीभूत होती है, ले जाती है। लेखक द्वारा वैज्ञानिक विश्लेषण प्रत्येक पाठक को 'ध्यान' आरम्भ करने की प्रेरणा तथा विश्वास दिलाता है, जिससे वह स्वयं को आध्यात्मिक रूप से विकसित कर सके और अपने जीवन को आशापूर्ण, महत्त्वशाली तथा सामान्य रूप से सम्पन्न बना सके । इस पुस्तक का प्रयोग नये तथा उच्च स्तर के साधक दोनो ही लाभकारी ढंग से कर सकते हैं।
भारतवर्ष की इस पवित्र भूमि पर, जो धर्म-योग और कर्म-योग की भूमि है, जन्म लेना ही अपने आप में एक उपहार है, विशेषतया सनातन धर्म में जन्म लेनेवाला प्रत्येक व्यक्ति मोक्ष के बारे में तो अवश्य सोचता है। यहाँ के ऋषि-मुनियों, परम्पराओं, शास्त्रों, पवित्र नदियों और पर्वतों से प्रेरित हो कर वह शाश्वत शान्ति व आनन्द प्राप्ती के भव्य लक्ष्य के लिए कुछ साधना करने की आकांक्षा तो अवश्य रखता है, भले ही वह आधुनिक व्यस्त जीवन में भौतिक स्तर के चक्रव्यूह में ही फंसा रहता है।
पूज्य स्वामी श्री द्वारा इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद करने की अनुमति मुझ जैसे एक साधारण साधक के प्रति व अपेक्षित पाठकगण के प्रति उनकी असीम अनुकम्पा व कृपा की प्रतीक है।
अनुवाद की प्रक्रिया मेरे लिए साधना का एक बड़ा साधन बन गई। प्रत्येक पंक्ति को अनुवाद के लिए बार बार पढ़ने व उसके अर्थ समझने के प्रयत्न ने मुझे इस पुस्तक मे प्रस्तुत ज्ञान को समझने में शायद पहली बार समर्थ किया ।
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