Vol- 2: 9788178960715
ईश्वर के अवतार
विश्व के महान धर्मों के अवतारों और संस्थापकों ने अपने अनुयायियों को ईश्वर के अस्तित्व का विश्वास दिलाया है और उससे प्रेम करने तथा उसकी आराधना करने के लिए उनका मार्गदर्शन किया है। अतएव, हजारों वर्षों के विभिन्न कालों से लेकर वर्तमान तक अपने स्रष्टा को समझने के मानव प्रयासों को इन महान विभूतियों की जीवनियों एवं शिक्षाओं से प्रकाश मिला है।
इस विषय पर जितना प्रकाश बहाउल्लाह के लेखों में डाला गया है वैसा धर्म के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। यहां यह सुनिश्चित है कि स्रष्टा के रूप में ईश्वर अपनी सृष्टि से ऊपर है और सृजित होने के कारण मनुष्य उन ऊंचाइयों तक कदापि नहीं पहुँच सकता। यही कारण है कि वह अपने स्रष्टा के रहस्यों को नहीं जान पाता। ईश्वर को प्रकृति तथा सारतत्व का श्रेय दिए जा सकने योग्य किसी वर्णन, छवि या एकरूपता को मानव की कल्पना ही कहा जा सकता है। सीमाओं से बंधा मानव मन और मस्तिष्क, असीम को कैसे समझ सकता है और असीम ससीम में कैसे समा सकता है ?
'प्रत्येक विचारशील और प्रकाशित हृदय को', बहाउल्लाह दृढ़तापूर्वक कहते हैं, 'यह सुस्पष्ट है कि वह अज्ञेय सारतत्व, दिव्य सत्य, ईश्वर का शारीरिक अस्तित्व, उत्थान और पतन, आना तथा जाना जैसी प्रत्येक मानव प्रकृति से परे परमोदात्त है...। समस्त संयोग एवं वियोग, सकल सन्निधि एवं सुदूरी से ऊपर और परे वह उच्च होकर संस्थित है।"
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