हिंदी उपन्यास में लोकोन्मुखी रचनाशीलता के जिस परंपरा की शुरुआत प्रेमचंद ने की थी, उसे पुष्ट करनेवालों में नागार्जुन अग्रहणी हैं ! रतिनाथ की चाची उनका पहला हिंदी उपन्यास है! सर्वप्रथम इसका प्रकाशन 1948 में हुआ था! इसके बाद उनके कुल बारह उपन्यास आए ! सबमें दलितों बंचितों-शोषितों की कथा है! रतिनाथ की चाची जैसे चरित्रों से आरंभ हुई यात्रा में बिसेसरी, उगनी, इंदिरा, चंपा, गरीबदास , लक्ष्मणदास, बलचनमा, भोला जैसे चरित्र जुड़ते गए!
उनके उपन्यास में नारी-चरित्रों को मिली प्रमुखता रतिनाथ की चाची की ही कड़ी है ! इसलिए इस कृति का ऐतिहासिक महत्व है! रतिनाथ की चाची विधवा है ! देवर से प्रेम के चलते गर्भवती हुई तो मिथिला के पिछड़े सामंती समाज में हलचल मच गई! गर्भपात के बाद तिल-तिल का वह मरी! ब्राह्मवाद के कूर और अमानवीय दलदल में फँसी रतिनाथ की चाची की कथा तिलमिला देती है! यह उपन्यास हिंदी का गौरव है !
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist