पुस्तक के विषय में
रारा (राचमल्लु रामचंद्र रेड्डी : 1922 -1988) : आपका जन्म आंध प्रदेश के कडपा जिले के पैडियाळेम नामक गाँव में हुआ । पढ़ाई के दौरान आपने सत्याग्रह में भाग लिया और इसके चलते आपको गिंडी इंजीनियरिंग कॉलेज चेत्रै से निष्कासित कर दिया गया था । आपने एक राजनीतिक पाक्षिक पत्रिका सव्यसाची और एक प्रसिद्ध साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका संवेदना का संपादन किया । 1969 से 1975 तक आप प्रगति प्रकाशन, मास्को में तेलुगु अनुवादक रहे ।
बहुमुखी प्रतिभ-संपन्न रारा ने तेलुगु साहित्य की श्रीवृद्धि में महत् योगदान किया । आलोचना, अनुवाद, पत्रकारिता, कहानियाँ नाटक के माध्यम से उन्होंने तेलुगु साहित्य को नई ऊँचाइयाँ दीं । उन्होंने बालसाहित्य का भी सृजन किया । आप रूसी-तेलुगु कोश-निर्माण से भी संबद्ध रहे ।
श्रीश्री, कुटुंबराव, चलम् महीधर, राममोहन राव जैसे तेलुगु लेखकों का उनके द्वारा किया गया मूल्यांकन बेहद प्रामाणिक और समीचीन है । वे वाद-विवाद में भी अग्रणी थे । श्रीश्री ने उन्हें 'क्रूर आलोचक' कहा । लेकिन वे अपने निजी जीवन में बहुत स्नेहशील और सृजनात्मक साम्यवादी थे।
आपको अनुवाद समस्यालु पुस्तक के लिए 1988 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिया गया । सारस्वत विवेचन नामक कृति के लिए आपको आद्य प्रदेश साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
लेखक परिचय
तक्कोलु माचि रेड्डी : इस विनिबंध के मूल लेखक और हिंदी अनुवादक । हिंदी और तेलुगु की आधुनिक कविता में बिंब- विधानपर शोध । तेलुगु में एक निबंध- संग्रह तथा एक कविता-संग्रह प्रकाशित । साहित्य अकादेमी द्वारा प्रकाशित निराला और मुक्तिबोध विनिबंधों का तेलुगु में अनुवाद । श्रीश्री के कविता-संग्रह महाप्रस्थान का हिंदी अनुवाद । निराला विनिबंध के तेलुगु रूपांतरण को श्रेष्ठ अनुवाद के लिए तेलुगु विश्वविद्यालय का पुरस्कार । 2004 में आकाशवाणी से केंद्र निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त ।
अनुक्रमणिका
1
प्रस्तावना
7
2
रारा का जीवन एक झाँकी
9
3
तरा के समकालीन समाज की स्थिति
21
4
रात की कहानियाँ
26
5
पत्रों में रारा
34
6
रात का भाव-जगत्
44
अनुवाद की समस्याएँ रारा के विचार
51
8
रारा का साहित्यिक संवेदन
65
आलोचक के रूप में रारा
69
10
निष्कर्ष
93
11
परिशिष्ट
95
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