क़ुर्रतुल ऐन हैदर उर्दू भाषा के सशक्त और चर्चित कथाकारों में हैं! मंटो, कृश्नचन्दर , बेदी और इस्मत चुग़ताई के बाद उभरनेवाली पीढ़ी में उनका महत्वपूर्ण स्थान है! क़ुर्रतुल ऐन हैदर की कहानियाँ प्रचलित प्रगतिशील कहानियों के मुक़ाबले नई शैली, नये माहौल और नई दुनिया को सामने लाती हैं! इनकी कहानियों में उच्च वर्ग, ग्लैमर-भरा जीवन, अतीत की स्वप्नीली खूबसूरत यादें, रिश्तों के टूटने, खानदानों के बिखरने और अतीत के उत्कृष्ट माननीय मूल्यों के चूर-चूर हो जाने की त्रासदी का बेहद सूक्ष्म चित्रण मिलता है! क़ुर्रतुल ऐन हैदर समाज में औरत की कमज़ोरी और बेबसी को उसकी पूरी सच्चाई के साथ स्वीकारने का हौसला रखती है! उन्होंने इसी सच्चाई को अपने कथा-साहित्य में ईमानदारी से प्रस्तुत करने का भरसक प्रत्यन किया है! यहाँ संकलित 'कोहरे के पीछे', 'जिन बोलो तारा-तारा', 'हसब-नसब', 'आवारागर्द' जैसी यथार्थवादी कहानियों के साथ 'मलफ़ूज़ाते हाजी गुलाबाना बेकताशी' और रौशनी की रफ़्तार' शीर्षिक कहानियाँ भी शामिल हैं जो उनकी सृजनशक्ति के नए आयामों को उद्घाटित करती हैं! क़ुर्रतुल ऐन हैदर की कहानियाँ अपनी विषयवस्तु, चरित्र-सृष्टि, तकनीक, भाषा और शैली हर लिहाज़ से उर्दू कहानी साहित्य में उल्लेखनीय 'इज़ाफा' मानी जा सकती हैं! इनसान और इनसानियत पर गहरा विश्वाश उनकी कहानी-कला चिन्तन का केन्द्र बिन्दु है! इनकी कहानियों में प्रेम और घृणा, खुशियों और ग़म, सुंदरता और कुरूपता एक साथ मौजूद हैं!
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