वैश्विक स्तर पर योगदर्शन की अपार लोकप्रियता के कारण इस क्षेत्र में लेखन, शिक्षण, एवं अनुसंधान जारी है, किन्तु फिर भी सरल सुसमायोजित सुव्यस्थित एवं सारगर्भित प्रस्तुतीकरण का अभाव अभी भी है! यह पुस्तक व्यक्तित्व के योगशास्त्रीय, औपनिषिदिक एवं शरीर - क्रिया वैज्ञानिक विवेचन के साथ ही शाकाहारी एवं सात्विक भोजन, यथोचित दिनचर्या, योगाभ्यास की आवश्यकता एवं पूर्वापेक्षा, यम, नियम, षट्कर्म, आसान प्रणायाम, प्रत्याहार, धरना एवं ध्यान से शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को एक साथ स्पष्ट करने का विनम्र प्रयास है ! छात्रों तथा जनसामान्य के स्वास्थय, व्यक्तित्व परिष्करण एवं ज्ञानवर्धन हेतु राजयोग एवं हठयोग के सैध्दान्तिक, किर्यात्मक एवं व्यावहारिक पक्षो के सारगर्भित समायोजन का प्रसास: इस पुस्तक में किया गया है! सरल भाषा से युक्त यह पुस्तक छात्रों, अध्यापकों शिक्षाविदों के साथ ही योग में प्रवृत्त जनसामान्य हेतु भी उपयोगी सिध्द होगी; ऐसी अपेक्षा है!
डॉ. कविता भट्ट का जन्म उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जनपद में हुआ! विद्यालयीय स्तर पर विज्ञान वर्ग की छात्र रहते हुए भी योग तथा दर्शनशास्त्र में प्रमाग रूचि के कारण इन विषयों के साथ ही; इन्होनें अंग्रेजी तथा समाजकार्य जैसे विषयों में भी स्नातकोत्तर किया! इन्होनें दर्शनशास्त्र में यू. जी. नेट तथा डी. फिल. किया ! योगशिक्षा, महिला-सशक्तिकरण आदि में डिप्लोमा करने के साथ ही लेखिका को आई. सी. पी. आर. ने दिल्ली द्वारा जे. आर. एफ. (महिला) जैसी अध्येतावृत्तियों से पुरस्कृत किया गया है! पिछले लगभग दस वर्षों से वे दर्शनशास्त्र विभाग हे . न. ब. गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर (गढ़वाल) उत्तराखंड में अनुसंधानरत होने के अतिरिक्त अध्यापनरत भी है! इनकी तीन पुस्तके योगदर्शन पर, दो पुस्तकें अन्य विषयों पर, दो काव्य- संग्रह विभिन अंतरराष्ट्रीय -राष्ट्रीय शौध - पत्रिकाओं / लोकप्रिय पत्र -पत्रिकाओं में तथा वेबसाइट्स पर इनके लगभग पचास शौध पत्र /लेख अनेक लोकप्रिय हिंदी कवितायेँ आदि प्रकाशित है! विभिन्न अंतराष्ट्रीय -राष्ट्रीय संगोष्ठियों/ सम्मेलनों में शौध-पत्र प्रस्तुतुकरण तथा योग-शिविरों का आयोजन करने के साथ ही वे हिंदी काव्य-गोष्ठियों / सम्मेलनों में काव्य-पथ, आकाशवाणी पर समकालीन विषयों पर वार्त्ताएँ प्रस्तुत करि रहती है! अपने व्याख्यान, लेखन एवं प्रतिभाग द्वारा लेखिका विभिन्न प्रदेशों की हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यक्रमों एवं पत्रिकाओं से जुडी हुई है! इसके अतिरिक्स्ट महिला सशक्तिकरण, सामाजिक कार्य करते हुए लेखिका हिमालय लोकनीति मसौदा समिति की सदस्य के रूप में कार्य कर चुकी है !
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