चुनौतियों से भरी इस पुस्तक का विषय, मनुष्य का जीवन के प्रति उदासीन होना, भ्रमित होना और अनिश्चय की स्थिति में होना है। लेखिका रूहिया रब्बानी, बहाई धर्म के संरक्षक शोगी एफेन्दी की पत्नी, ने इन गम्भीर विषयों को सहानुभूति भरी नज़रों से देखा है, जीवन के प्रति आस जगाई है और घरेलू मनोविनोद के ऐसे क्षण संजोये हैं जिससे पाठक हर्षित हो सकें और उस सत्य को समझ सकें जिसके प्रति स्वाभाविक आकर्षण हो और जीवन जीने की सही राह का ज्ञान मिल सके। लेखिका इस पुस्तक में बतलाती हैं कि खुश कैसे रहा जा सकता है, दुःखों और उदासीनता को कैसे दूर रखा जा सकता है और किस प्रकार अच्छी आदतें डालकर हम सबके लियेलु मन में प्रेम संजो सकते हैं।
इन पृष्ठों में प्रस्तुत किये गये विचार, हवा में तिनकों की तरह पेश किये गये हैं, और आशा है कि लोग इनमें वह दिशा पा सकेंगे जिस ओर यह हवा चल रही है। ये विचार, परिपूर्ण होने का, या उन बड़े-बड़े प्रश्नों के उत्तर देने की कोशिश तक करने का कोई दावा नहीं करते, जिनकी चर्चा इस पुस्तक में की जायेगी। लेखक द्वारा ये विचार इस गहरे विश्वास के कारण पेश किये गये हैं कि इस ग्रह पर हमारी वर्तमान परिस्थिति की सीमित आशाहीनता के बावजूद, हम उन सभी विपदाओं का रूख मोड़ने का, या कम से कम उन्हें सीमित करने का पूरा-पूरा प्रयास कर सकते हैं और हमें ऐसा करना भी चाहिए। आज हम हर प्रकार की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं से जुझ रहें हैं, लेकिन इस सभी समस्याओं के समाधान हैं, अगर हम अपने अन्तर्मन को टटोलें।
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