प्राक्कथन
दिन-प्रतिदिन बदलते सामाजिक परिवेश में आज प्रत्येक व्यक्ति अत्यधिक चिन्तित व दुखी है। वह अपने सुन्दर भविष्य की कल्पना से अभिभूत सदैव किसी-न-किसी प्रकार जीवनयापन के सुख-साधनों के एकत्रीकरण में लगा रहता है। फलत: वह समाज में मान-सम्मान दिलाने और प्रतिष्ठित करने वाले आदर्श जीवन के सामाजिक मूल्यों को भूलता जा रहा है। ज्योतिष इन सामाजिक मूल्यों को बनाये रखने के लिए) सुकर्म करने की प्रेरणा देता है।
ज्योतिष का एकमात्र उद्देश्य जनकल्याण है। विकट-सें-विकट परिस्थिति में भी प्रश्नकर्ता व्यक्ति को इस प्रकार समझाना कि उसकी निराशा आशा में बदल जाये और उसका मनोविज्ञान या दृष्टिकोण ही सकारात्मक हो जाये, यही ज्योतिष या फलित ज्योतिष के फलकथन की विशेषता है। इस दृष्टि से ज्योतिष या फलित ज्योतिष एक ऐसा काल विज्ञान है, जो मनुष्य के दैनिक क्रियाकलापों पर सूर्यादि ग्रहों के प्रभाव का विश्लेषण करता है । हिन्दू धर्म संस्कृति व सभ्यता के अनुसार ज्योतिष को खगोल विद्या, ब्रह्माण्ड गणित व अध्यात्म दर्शन की माँ कहा गया है।
अग्नि पुराण में भी ज्योतिष शब्द से अभिप्राय को स्पष्ट करते हुए कहा गया है-''ज्योति: सूर्यादिगत्यादिके प्रतिपाद्यतयाअस्लस्य अच्।'' अर्थात् सूर्यादि की गति आदि का प्रतिपादन करने वाला शास्त्र ज्योतिष शास्त्र है । वास्तव में, फलित ज्योतिष ''जीवन एक पहेली'' के समान एक बहुआयामी गूढ़तम विषय है । यह धर्मशास्त्र और दर्शनशास्त्र विषयों के समकक्ष है।
ज्योतिष विज्ञान गहन अध्ययन, 'मनन, चिन्तन, प्रभु पर आस्था, प्रेरणा एवं विश्वास का विषय है। ज्योतिष हमें प्राचीन ऋषियों-महर्षियों के हजारों वर्ष पूर्व प्रतिपादित सिद्धान्तों के अनुसार चलने/कर्म करने का स्मरण कराता है। ज्योतिष का कारण पटल दूसरे विज्ञानों 'से बहुत बड़ा है। इसके परिणाम 60 प्रतिशत से अधिक सही होते हैं और 60 प्रतिशत से अधिक सही परिणाम देने वाली विद्या को ही वैज्ञानिक मान्यता दी जाती है । पाखण्ड या मिथ्या विचार तो लगभग सभी व्यवसायों में है । इसके लिए व्यक्ति दोषी है, ज्योतिष विज्ञान दोषी नहीं है।प्रस्तुत पुस्तक में वैदिक गणित के नियमों/सिद्धान्तों को ध्यान में रखते हुए लग्न ज्ञात करने की आसान गणित विधि सहित जन्मकुण्डली, भावकुण्डली व षोडशवर्ग कुण्डली बनाने, 27 नक्षत्रों, 12 राशियों व 9 ग्रहों की विशेषताओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है । उनके फल दिये गये हैं । प्रत्येक भाव के फल पर किस प्रकार विचार करें? प्रत्येक भाव का अलग से एक अध्याय दिया गया है । इस सम्बन्ध में भावेश आदि ग्रहों के प्रबलानिर्बल अवस्था में उनकी दशा क् आने पर होने वाले शुभाशुभ परिणामों का विवेचन किया गया है । अशुभ ग्रहों के समाधान के आसान व लाभकारी उपाय सुझाये गये हैं। उदाहरणार्थ 45 कुण्डलियां दी गयी हैं। साथ में 5 आवश्यक चित्र और 33 सम्बन्धित सारिणियां दो गयी हैं। लेखक का विश्वास है कि ज्योतिषप्रेमियों को यह पुस्तक पसन्द आयेगी और भावफल कथन सुगम हो सकेगा। पुस्तक के सम्पादन में अपनी सहधर्मिणी श्रीमती पार्वती देवी, सुपुत्र चिरंजीव प्रवीण भारती एवं मित्र श्री एस०पी० गौड का आभारी हूँ । लेजर टाइप सैटिंग व चित्रांकन में कुमारी चारु सपरा के सहयोग का धन्यवाद करता हूँ । अन्त में श्री अमित अग्रवाल, डी.पी.बी पब्लिकेशन्स के मिष्ठभाषी व्यवहार और हार्दिक प्यार का साधुवाद करता हूँ।
विषय-प्रवेश
प्रथम
भारतीय ज्योतिष-एक परिचय
13
ज्योतिष क्या है?
ज्योतिष का उद्भव
14
ज्योतिष के प्रमुख पांच अंग
17
भारतीय ज्योतिष और कर्म
20
भारतीय ज्योतिष की क्षमता
22
भारतीय ज्योतिष की उपयोगिता
भारतीय ज्योतिष अपने आप में पूर्ण व प्राचीन
23
द्वितीय
जन्मकुण्डली
25
जन्मकुण्डली क्या है-?
जन्मकुण्डली में लग्न का महत्व
जन्मकुण्डली का लग्न कैसे ज्ञात करें?
वैदिक गणित विधि से लग्न ज्ञात करने के नियम
27
जन्मकुण्डली कैसे बनायें?
उदाहरण- 1 वर्तमान राष्ट्रपति, भारत, श्री प्रणब मुखर्जी
28
उदाहरण-2 वर्तमान राष्ट्रपति, यू.एस.ए. मिस्टर बराक हुसैन ओबामा
30
जन्मकुण्डली की विशेषताएं
32
जन्म लग्न का शुद्धाशुद्ध विचार ।
लग्न का शुद्धाशुद्ध विचार
गुलिक विधि, प्राणपद विधि, कृष्णमूर्ति विधि
33
उदाहरण-कृष्णमूर्ति विधि-राजेन्द्रसिंह निवासी बीरगंज नेपाल का समय
34
तृतीय
भावकुण्डली
45
भावकुण्डली क्या है?
भावकुण्डली कैसे बनायें?
भावकुण्डली की विशेषताएं
46
द्वादश भाव- भावों के नाम एवं विचाणीय विषय
47
भावात् भावम् अर्थात् भाव से भाव विचार
49
भाव, भावेश और विंशोत्तरी दशा
विंशोत्तरी दशाक्रम एवं दशावर्ष सारिणी
50
सूर्यादि ग्रहों की महादशान्तर्दशा ज्ञान सारिणी
51
जन्मकुण्डली/ भावकुण्डली-व्यक्तित्व एवं मानसिकता
52
चतुर्थ
षोडशवर्गकुण्डली
53
षोडशवर्ग कुण्डली का है
षोडशवर्ग कुण्डली कैसे बनायें
षोडशवर्गकुण्डलियों की विशेषताएं
दशवर्ग कुण्डलियों के नाम, अर्थ एवं बनाने की विधि होरा, द्रेष्काण, चतुर्थांश, सप्तांश, नवांश, दशांश,
54
द्वादशांश, चतुर्विशांश, सप्तविशांश, त्रिशाश चक्र सारिणी
पंचम
ज्योतिष में नक्षत्र
69
नक्षत्र किसे कहते हैं?
ज्योतिष में नक्षत्रों की संख्या व श्रेणियां
स्वभाव अनुसार नक्षत्र श्रेणियां, विशिष्ट श्रेणियां 70
जन्म नक्षत्र के शुभाशुभ फल
70
षष्ठ
ज्योतिष में राशियां
73
राशि से क्या तात्पर्य है?
ज्योतिष में 12 राशियां और उनका विवरण
लग्न राशि मेष से लग्न राशि मीन तक
74
राशि सारिणी 1 - राशियों की विशेषताएं-वर्णादि, चरादि, शुभाशुभ
93
राशि सारिणी 2 - राशियों की विशेषताएं-मानव शरीर के अंग व रोग
94
सप्तम
ज्योतिष में ग्रह
95
सौरमण्डल के ग्रह
सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु
96
ग्रहों की अवस्थाएं तथा उनके परिणाम
101
ग्रह सारिणी 1 -विशेषताएं-चरादि, प्रकृति, तत्त्व, अवस्था आदि
102
ग्रह सारिणी 2 -कारकत्व-स्वराशि/मित्रराशि, उच्चराशि/नीचराशि
103
ग्रह योग एवं उनके फल
104
अष्टम
जन्मकुण्डली में भाव सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण
117
भावफल कैसे जानें?
119
भावफल कथन के प्रमुख नियम
राशि और भाव
121
1. सम्बन्धित भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
122
2. सम्बन्धित भाव में स्थित ग्रह का फल
3. भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
4. भावेश की महादशा/अन्तर्दशा का फल
5. निर्बल भावेश को सबल करने के सामान्य उपाय
123
भावफल कथन पूर्व जातक का आयु योग विचार
124
आयु योग निर्णय विधि आयु योग की तीन विधियां
1. भाव- भावेश योगज विधि
125
2. राशि आधारित गणितागणित जैमिनी विधि
127
3. ग्रह आधारित गणितागणित पिण्डायु विधि
130
आयु योग उदाहरण- प्रथम प्र०म० भारत, स्व०पं०जवाहरलाल नेहरू
131
दीर्घायु और सौभाग्य
133
दीर्घायु और दुर्भाग्य
137
नवम
प्रथम भाव
139
प्रथम भाव विचार
प्रथम भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
140
प्रथम भाव में स्थित ग्रह का फल
142
प्रथम भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
148
प्रथम भावेश की महादशा/अन्तर्दशा फल
150
निर्बल लग्नेश के सबल करने के .सामान्य उपाय
153
उदाहरण- 1 भूतपूर्व प्र०म० भारत, स्व० श्री राजीव गांधी
154
उदाहरण- 2 भूतपूर्व प्र०म० इंगलैण्ड,(योरोप) श्रीमती मगिरट थैचर
156
उदाहरण-3 भूतपूर्व के०चु० अ० श्री टी०एन० शेषन
158
दशम
द्वितीय भाव
161
द्वितीय भाव विचार
द्वितीय भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
162
द्वितीय भाव में स्थित ग्रह का फल
164
द्वितीय भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
168
द्वितीय भावेश की महादशा/अन्तर्दशा फल
169
निर्बल द्वितीयेश को सबल करने के सामान्य उपाय
172
उदाहरण- 1 व्यवसायी मिस्टर रतन टाटा
उदाहरण- 2 व्यवसायी स्वर्गीय श्री धीरुभाई अम्बानी
174
एकादश
तृतीय भाव
177
तृतीय भाव विचार
तृतीय भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
178
तृतीय भाव में स्थित ग्रह का फल
180
तृतीय भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
184
तृतीय अवेश की महादशा/अन्तर्दशा फल
185
निर्बल तृतीयेश को सबल करने के सामान्य उपाय
187
उदाहरण- 1 भूतपूर्व वा०चा० जर्मनी, स्व० मिस्टर एडोल्फ हिटलर
188
उदाहरण- 2 कम्प्यूटर विजार्ड मिस्टर बिल गेट्स
190
द्वादश
चतुर्थ भाव
193
चतुर्थ भाव विचार
चतुर्थ भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
194
चतुर्थ भाव में स्थित ग्रह का फल
196
चतुर्थ भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
202
चतुर्थ भावेश की महादशा/अन्तर्दशा फल
203
निर्बल चतुर्थेश को सबल करने के सामान्य उपाय
206
उदाहरण- 1 मुख्यमन्त्री गुजरात श्री नरेन्द्र दामोदार दास मोदी
उदाहरण-2 गुरुदेव श्री श्री रविशंकर (आर्ट ऑफ लिविंग)
208
त्रयोदश पंचम भाव
211
पंचम भाव विचार
पंचम भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
212
पंचम भाव मे स्थित ग्रह का फल
214
पंचम भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
219
पंचम भावेश की महादशा/अन्तर्दशा फल
220
निर्बल पंचमेश को सबल करने के सामान्य उपाय
222
उदाहरण- 1 भूतपूर्व उ०रा० भारत, स्व० श्री भैरोंसिंह शेखावत
223
उदाहरण-2 शान्तिनिकेतन संस्थापक स्व० श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर
225
उदाहरण- 3 भूतपूर्व उ०प्र०म० भारत, स्व० श्री जगजीवनराम
227
चतुर्दश
षष्ठ भाव
229
षष्ठ भाव विचार
षष्ठ भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
230
षष्ठ भाव मैं स्थित ग्रह का फल
232
षष्ठ भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
236
षष्ठ भावेश की महादशा/अन्तर्दशा फल
237
निर्बल षष्ठेश को सबल करने के सामान्य उपाय
240
उदाहरण- 1 भूतपूर्व प्र०म० भारत, स्व० श्री लालबहादुर शास्त्री
उदाहरण-2 भूतपूर्व प्र०म० भारत, स्व० श्रीमती इन्दिरा गांधी
242
पंचदश
सप्तम भाव
245
सप्तम भाव विचार
सप्तम भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
246
सप्तम भाव में स्थित ग्रह का फल
248
सप्तम भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
253
सप्तम भावेश की महादशा/अन्तर्दशा फल
254
निर्बल सप्तमेश को सबल करने के सामान्य उपाय
256
उदाहरण-1 हॉलीवुड पॉपसिंगर मडोना लुईस सिकोन
257
उदाहरण-2 अर्थशास्त्री एवं स्टोक ब्रोकर मिस्टर वारेन ई बफेट
259
षोडश
अष्टम भाव
261
अष्टम भाव विचार
अष्टम भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
262
अष्टम भाव में स्थित ग्रह का फल
264
अष्टम भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
268
अष्टम भावेश की महादशा/अन्तर्दशा फल
270
निर्बल अष्टमेश को सबल करने के सामान्य उपाय
272
उदाहरण- 1 भूतपूर्व रा० भारत, श्री ए०पी०जे० अबदुल कलाम
उदाहरण- 2 रिसर्च स्कालर स्व० मैडम मैरी क्यूरी
274
सप्तदशम
नवम भाव
277
नवम भाव विचार
नवम भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
278
नवम भाव में स्थित ग्रह का फल
280
नवम भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
284
नवम भावेश की महादशा/अन्तर्दशा फल
286
निर्बल नवमेश को सबल करने के सामान्य उपाय
288
उदाहरण-1 प्रथम रा० भारत स्व० श्री राजेन्द्र प्रसाद
289
उदाहरण-2 समाधिस्थ आदिगुरु श्री शंकराचार्य
290
उदाहरण-3 देशबन्धु स्व० श्री चितरंजनदास
292
अष्टादश
दशम भाव
295
दशम भाव विचार
दशम भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
296
दशम भाव में स्थित ग्रह का फल
298
दशम भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
303
दशम भावेश की महादशा/ अन्तर्दशा फल
304
निर्बल दशमेश को सबल करने के सामान्य उपाय
306
उदाहरण- 1 भूतपूर्व रा० पाकिस्तान, मिस्टर परवेज मुशर्रफ
307
उदाहरण-2 भूतपूर्व प्र०म० स्व० श्री चौधरी चरण सिंह
309
उनविंशतिं
एकादश भाव
311
एकादश भाव विचार
एकादश भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
312
एकादश भाव में स्थित ग्रह का फल
314
एकादश भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
318
एकादश भावेश की महादशा/अर्न्तदशा फल
320
निर्बल एकादशेश को सबल करने के सामान्य उपाय
322
उदाहरण- 1 बॉलीवुड अभिनेता श्री अमिताभ बच्चन
उदाहरण- 2 एपल निर्माता स्व० मिस्टर स्टीवेन पाल जोब्स
324
विंशतिं
द्वादश भाव
327
द्वादश भाव विचार
द्वादश भावेश का द्वादश भाव स्थित फल
328
द्वादश भाव में स्थित ग्रह का फल
330
द्वादश भाव में ग्रह स्थिति, ग्रह दृष्टि, ग्रह योग फल
334
द्वादश भावेश की महादशा/अन्तर्दशा फल
335
338
उदाहरण-1 सिख धर्म संस्थापक स्व० श्री गुरु नानकदेवजी
उदाहरण-2 अद्वैतवादी स्वामी स्व० श्री रामानुजाचार्यजी
340
एकोविंशतिं
भावेशों के सामान्य उपाय एवं सम्बन्धित सारिणियां
343
रुद्राक्ष-प्रकार, लाभ सारिणी व कार्यक्षेत्र अनुरूप रुद्राक्ष सारिणी
बीज मन्त्र-जाप लाभ व मन्त्र सारिणी
346
शुभ यन्त्र-प्रभाव व यन्त्र सारिणी
348
व्रत/उपवास-कब, कैसे व सारिणी
349
जीवन/पुण्य/भाग्यरत्न-परिभाषा व रत्न सारिणी
350
निर्बल ग्रह हेतु दान की जाने वाली वस्तुएं व वस्तुदान सारिणी
352
विभिन्न कष्टकारी रोग एवं ज्योतिषीय उपचार सारिणी अ तथा ब
354
विभिन्न प्रकार के यज्ञ-हवन-अनुष्ठान एक दृष्टि
356
जन्मकुण्डली विश्लेषण एक जटिल प्रक्रिया भाव विचार
357
शुभ कार्य समय निर्धारण, गोचर ग्रह व एकाकी परिवार/टूटते रिश्ते
358
चलते-चलते ज्योतिष, आपका मकान और वास्तु नियम
362
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