व्यक्ति और परिवेश जब परस्पर संवाद करते है तो सच के तटों पर अनुभूति के आयाम साकार होते हैं। ये आयाम सामाजिक सन्दर्भों के विविध पहलुओं से साक्षात्कार कराते हैं। इन्हीं सन्दर्भों को जब एक रचनाकार अपनी रचना में उभारता है तो उसके सामाजिक सरोकार स्वतः ही उजागर होते जाते हैं।
इन्हीं सन्दर्भों को समेटे है लघुकथाकार डॉ. अनिता वर्मा का यह लघुकथा संग्रह "झाँकती खिड़कियाँ" जिसमें से मानवीय संवेदनाओं के विविध प्रतिबिम्ब अपने-अपने आकार में उभरते दिखाई देते हैं। संवेदनाओं की पारखी और अपने समय में झाँकती ये खिड़कियाँ अस्सी लघुकथाओं को सामने लाती हैं जो व्यक्ति के भीतर झाँक कर उसके समूचे विचार प्रवाह से साक्षात्कार कराती है। इन लघुकथाओं में समूचे समाज और परिवेश के वे सत्य भाव हैं जो समय-समय पर स्मृतियों के पटल पर सतत् रूप में उभरते रहते हैं।
शीर्षित लघुकथा "झाँकती खिड़कियाँ" से लेकर अस्सीवीं लघुकथा 'गेट' तक पारिवारिक और सामाजिक विसंगतियों एवं विडम्बनाओं का वास्तविक चित्रण हुआ है। यही नहीं संघर्ष की स्थितियाँ और उनसे उपजी मानसिकता का सटीक विवेचन और विश्लेषण सामने आया है। ये लघुकथाएँ इस बात की भी द्योतक हैं कि ये अपने समय और समाज के विविध आयामी पक्षों को सामने लाकर परस्पर संवाद करने हेतु पहल करती हैं।
इन लघुकथाओं की यह विशेषता है कि ये सामाजिक चेतना और मानवीय संवेदना के विविध सन्दर्भों को उजागर कर परिवर्तित होते जीवन मूल्यों को तो उभारती ही हैं साथ ही लघुकथा के कथ्य और भाषा के सौन्दर्य को भी पूरी तरह से परिलक्षित करती हैं।
अन्ततः यही कि संवेदनाओं की पारखी "झाँकती खिड़कियाँ" सामाजिक और मानवीय सम्बन्धों के बनते-बिगड़ते ताने-बाने का वास्तविक दृश्य दिखाती है। यही नहीं सहज भाव और सरल भाषा के साथ कथ्य को उभारती इन खिड़कियों से सामने आयी ये लघुकथाएँ अपने परिवेश के प्रति सजग और सतर्क रहने की दिशा तो प्रदान करती ही है साथ ही अपने भीतर झाँक कर देखने का अवसर भी प्रदान करती है।
डॉ. अनिता वर्मा
जन्म : कोटा (राजस्थान)
शिक्षा: एम.ए., पी-एच.डी.
प्रकाशन कार्य हिंदी की विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, कविता, लघुकथा व आलेखों का नियमित रूप से प्रकाशन । आकाशवाणी से वार्ताओं व परिचर्चाओं का समय-समय पर प्रसारण। विविध संकलनों में कहानियों व लघुकथाओं का प्रकाशन, जनसत्ता, दैनिक भास्कर, जननायक आदि अखबारों में लेख प्रकाशन ।
पुस्तक प्रकाशन :
1. दर्पण झूठ ना बोले, (लघुकथा संग्रह)-2012
2. शचीन्द्र उपाध्याय-कथा साहित्य में संवेदना और शिल्प-2017
3. राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर मोनोग्राफ-87 का लेखन
4. बोलती आँखें, (काव्य संग्रह)-2022
पुस्तक संपादन:
1. कथा कलशों के शिल्पकार विजय जोशी-2018
2. समाज दृष्टा साहित्यकार रत्न कुमार सांभरिया भाग-2, 2020
साहित्य सम्मान :
1. सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय, कोटा द्वारा 'हिन्दी सेवी' सम्मान, 2018
2. भारतेन्दु साहित्य समिति द्वारा 'साहित्य श्री-2019'
3. आर्यावर्त साहित्य समिति द्वारा 'आर्यावर्त रत्न-2019'
4. सारंग साहित्य समिति द्वारा 'साहित्य श्री रत्न सम्मान-2022'
शोध निर्देशक : कोटा विश्वविद्यालय, कोटा में शोध निर्देशन। पाँच शोधार्थी शोधरत तथा दो शोधार्थियों का शोध कार्य पूण हो गया है। शोध उपाधि प्रदान की गई है।
संप्रति : सह आचार्य हिन्दी, राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा (राजस्थान),
रिसर्च गाइड कोटा विश्वविद्यालय, कोटा
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