बहाई धर्म की सर्वोच्च प्रशासनिक संस्था विश्व न्याय मन्दिर द्वार विश्व के लोगों के नाम जारी किए गए इस महत्वपूर्ण वक्तव्य का सार कोई सौ साल पहले बहाउल्लाह के धर्म प्रकटीकरण में अंकित किया गया था। मुख्य रूप से 24 अक्टूबर 1985 अथवा उसके बाद इसे राज्याध्यक्षों को भेंट किया गया।
इस वक्तव्य के अधिकांश विषय बहाउल्लाह द्वारा तत्कालीन प्रमुख राजाओं और धार्मिक नेताओं को लिखे गये पत्रों में सन्निहित हैं। उन्होंने घोषणा की वह समय निश्चत रूप से आयेगा जब पृथ्वी के शासकगण अवश्य एकत्रित होंगे और "ऐसे रास्तों और साधनों पर विचार करेंगे जो मानवजाति के बीच विश्व की महान शांति की आधारभूमि तैयार करेंगे।"
इस आदेश की अवहेलना के दुष्परिणाम मानवजाति द्वारा अनुभूत इतिहास के सर्वाधिक आक्रामक, विनाशकारी और वस्तुतः विपत्तिजनक काल-पृष्ठ पर अंकित हैं।
विश्वभर में 179 निर्वाचित राष्ट्रीय बहाई संस्थान और हजारों स्थानीय निकायों के प्रयत्नों से हर क्षेत्र में यह वक्तव्य पदाधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों को भेंट किया जा रहा है। उम्मीद है कि शांति तथा एकता की भावना को बढ़ावा देने की दिशा में तथा असंख्य लोगों की इच्छा को पूरा करने में यह प्रभावकारी भूमिका निभाएगा।
मूल वक्तव्य में जो थोड़ा सम्पादकीय परिवर्तन किया गया है वह है प्रस्तावना का यह पृष्ठ तथा बीच में जोड़े गये शीर्षक और उप शीर्षक।
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