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पराक्रम गाथा (वीर सैनिकों की गाथा ): Parakram Gatha (Saga of Brave Soldiers)

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Item Code: HAH369
Author: Sanjay Singh
Publisher: Divyam Prakshan, Delhi
Language: Hindi
Edition: 2024
ISBN: 9788197108310
Pages: 193
Cover: HARDCOVER
Other Details 9x6 inch
Weight 412 gm
Fully insured
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23 years in business
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Book Description
पुस्तक परिचय

यह पुस्तक उन युद्ध नायकों का संस्मरण है, जिन्हें अपने अदम्य साहस, कर्त्तव्यनिष्ठा और अपनी मातृभूमि के प्रति कभी न मिटने वाले प्रेम के लिए सदा याद किया जाता रहेगा। हम सभी को यह विदित है कि युद्ध ही वह सबसे बड़ी मानव-त्रासदी है, जिसका प्रभाव समस्त मानव जाति पर पड़ता है। पर इससे भी बड़ा प्रश्न यह है कि क्या युद्ध हमें छोड़ सकता है? शायद इस प्रश्न का कोई निश्चित उत्तर नहीं है, लेकिन यदि युद्ध शांति का संदेश नहीं देते तो हमें उनका महिमामंडन तो नहीं ही करना चाहिए। आपको इतिहास में झाँकने और इस बात का निर्णय करने का अवसर मिलेगा कि वर्तमान में क्या होना चाहिए- युद्ध या सदा के लिए शांति ! हमें यह सदा याद रखना चाहिए कि हम अपने विवादों का परस्पर सहमति से निराकरण करें और विश्वबंधुत्व की ओर अग्रसर हों।

लेखक परिचय

संजय सिंह

कई पुरस्कारों से सम्मानित युवा लेखक संजय सिंह विगत 12 वर्षों से स्कूल मे अध्यापन और पुस्तक लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हैं। नए युग की आवश्यकताओं के मुताबिक परंपरागत लेखन में आए बदलावों को समझकर समसामयिक विषयों पर मजबूत पकड़ रखनेवाले संजय सिह कई महत्त्वपूर्ण प्रकाशनो वा पत्रपत्रिकाओं के लिए समसामयिक विषयों पर लेख, वृत्तांत, कविताएँ, कहानियाँ और नाटक लिखते रहे हैं। 'दैनिक भास्कर', 'नई दुनिया' समेत कई नामी पत्र पत्रिकाओ से संबद्ध रहे संजय सिंह वर्तमान में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में सहायक प्रध्यापक के रूप मे कार्यरत हैं। गणित विज्ञान मे स्नातक संजय सिंह ने 'मीडिया प्रबंधन', 'पत्रकारिता', सेन्य विज्ञान और 'विधिसमेत चार विषयों में स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्राप्त की हैं। उन्होंने पत्रकारिता और मीडिया प्रबंधन विषयों पर काफी काम किया है।

दो शब्द

हम जब सैनिकों की जांबाजी के किस्से सुनते हैं तो देश-प्रेम के रंग में रंग जाते हैं। दिल में देशभक्ति की भावना हिलोरें मारने लगती है और रगों में उबाल आ जाता है। अपनी इस पुस्तक "समरगाथा" में देश की आन-बान और सुरक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर देने वाले सैनिकों के अमर शौर्य की कहानियों को संकलित कर अपने पाठकों के मध्य प्रस्तुत कर रहे हैं। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद पाठक उन योद्धाओं को करीब से जान पाएँगे, जिनके बारे में एक साथ इतनी जानकारी और कहीं नहीं मिल पाती है। यह पुस्तक विशेष रूप से बच्चों को ध्यान में रख कर लिखी गयी है। आधुनिक भारत की तीनों सेनाओं द्वारा रणभूमि में लड़े गए युद्धों को कहानी के रूप में लिखा गया है। इस पुस्तक में 43 शौर्य गाथाओं का वर्णन है।

अलग-अलग समय में भारत के खिलाफ थोपे गए युद्ध इन सभी गाथाओं में वर्णित हैं। इन गाथाओं में यह बतलाने और दिखलाने का प्रयास है कि भारतीय सेना ने किस प्रकार अपनी बहादुरी, साहस, शौर्य व हैरतअंगेज कारनामों से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। इस पुस्तक में स्वतंत्रता पूर्व ब्रिटिश भारतीय सेना में भारत के शूरवीरों की कहानियों सहित स्वतंत्रता पश्चात् लादे गए भारत-पाक युद्ध (1947-48), कांगो (1961), भारत-चीन युद्ध (1962), दूसरा कश्मीर युद्ध (1965), भारत-पाक युद्ध (1971), सियाचिन (1987), ऑपरेशन पवन (1987-90) और कारगिल युद्ध (1999) की हैरतअंगेज कहानियाँ शामिल हैं।

इस पुस्तक को इस प्रकार लिखा गया है कि युद्ध का विवरण बिल्कुल जीवंत लगता है। साथ ही इस पुस्तक में युद्ध की तत्कालीन परिस्थितियों एवं युद्ध के कारणों को भी संक्षेप में बताया गया है।

जब बर्फ से ढकी चोटियों पर शून्य से कई डिग्री नीचे के तापमान और पहाड़ की चोटी पर बैठे दुश्मनों से युद्ध लड़ा जाता है, तो सेना को कई मोर्चा पर जंग करनी पड़ती है। ठंड, बर्फबारी, बारिश, कठिन चढ़ाई और ऊपर की ओर से चलाई जा रही दुश्मन की गोलियों से भी लड़ना पड़ता है। उससे भी पहले भूख, थकान, नींद और रास्ते में लगी चोटों के दर्द पर विजय प्राप्त करनी होती है। पीने के लिए पानी की जगह बर्फ को चूसना पड़ता है।

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