निवेदन
प्रस्तुत पुस्तक-'हमारा आश्चर्य' जीवमुक्त तत्त्वज्ञ और आध्यात्मिक चेतना-पुरुष ब्रह्मलीन परमश्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाके बहुमूल्य प्रवचनोंका संग्रह है, जो पुराने कैसेटोंसे लिपिबद्ध करके छापा गया है। श्रद्धालुजनके निरन्तर प्रेमाग्रहके फलस्वरूप इन प्रवचनोंको लेखबद्धकर पुस्तकरूपमें प्रस्तुत करनेका यह सुयोग श्रीभगवान्की अहैतुकी कृपासे ही सम्भव हो सका है। जिसे भगवत्प्रेमी पाठकोंके सेवामें समर्पित करते हुए हम हार्दिक प्रसन्नताका अनुभव कर रहे हैं।
इसमें सरल, सुबोध भाषा तथा उद्बोधन शैलीमें प्रस्तुत भगवत्प्रेस और उच्चकोटिके आध्यात्मिक भावोंको उजागर करनेवाले ऐसे लेख हैं, जिनका तत्त्वार्थ मनीषी लेखकने छोटी-छोटी रोचक कहानियों और दृष्टान्तोंके रूपमें सँजोकर और भी अधिक सरल, समझनेमें सुगम और आत्मसात् करनेयोग्य बना दिया है। उदाहरणार्थ-'हमारा आश्चर्य' और 'निष्कामताकी कहानी', भगवत्प्राप्तिके सरल उपाय तथा भगवत्प्रेमका प्रभाव', 'स्वभाव सुधारनेके विषयमें चेतावनी' एवं भगवान् भक्त और भजन-ध्यानके उच्चतम भाव ' आदि इसके कुछ ऐसे उल्लेखनीय विषय हैं, जो जिज्ञासुओं और साधकोंके लिये प्रेरणादायी और मार्गदर्शन करानेमें सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
आशा है, भगवत्प्रेमी महानुभावों और सभी वर्गके पाठक- पाठिकाओंके लिये यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी। हमारा यह सादर विनम्र अनुरोध है कि अधिकाधिक लोगोंको इससे विशेष लाभ उठाना चाहिये।
विषय-सूची
1
हमारा आश्चर्य और निष्कामता- पर कहानी
5
2
भगवत्प्राप्तिके सरल उपाय तथा प्रेमका रहस्य और प्रभाव
27
3
स्वभाव सुधारनेके विषयमें चेतावनी
55
4
भगवान् भक्त और भजन- ध्यानके उच्चतम भाव
74
विधवा स्त्रियोंका कर्तव्य और उनके प्रति अपना कर्तव्य
98
6
फल नहीं देखकर निष्कामभावसे साधन करना
120
7
सत्संगका रहस्य
145
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