पुस्तक के विषय में
त्योहार और मेले प्राचीन भारतीय संस्कृति की धरोहर है और भारतीय समाज के प्राण है | इनमे उत्साह होता है आस्था होती है और लगाव रहता है | इनमे होता है : उमंग, स्फूर्ति और आनन्द | साथ में होती है : गति, तृप्ति और शांति | इन सबको इस पुस्तक 'हमारे त्योहार और मेले' में संजोया और परोसा गया है | इसे पढ़कर ये सब पाये जा सकते है |
त्योहार और मेलों से संस्कार बढ़ता है और शक्ति प्राप्त होती है | सुस्ती समाप्त होती है, चुस्ती बढ़ जाती है, उत्तेजना और उल्लास रहता है और साथ ही संतोष मिलता है, विश्वास बढ़ता है और सदभाव विकसित होता है | परितृप्ति और आनन्द के उन अपूर्व क्षणों को 'हमारे त्योहार और मेले' में संचित ही नहीं किया गया है, जिवंत भी रखा गया है |
प्रकृति हमें जीवन भी देती है और पोषण भी करती है | प्राकृतिक संपत्ति को दुरूपयोग से बचाने हेतु भरता में निश्चित तिथियों पर विशेष त्योहार और आकर्षक मेले लगाये जाते है | ये मिलन स्थान और मिलन क्षण तो होते ही है, आवश्यक वस्तुओं का अधिकाधिक वितरण और व्यवसाय भी हो जाता है | उनकी विशेषता और आकर्षण का सम्पूर्ण दिग्दर्शन 'हमारे त्योहार और मेले' में होता है शब्द चित्रों में देखें और ज्ञान रूप में अपनायें | भाव विहृल हो और आनन्द मग्न भी हो जाएं |
'हमारे त्योहार और मेले' के माध्यम से सोनपुर के मेले से पुष्कर सरोवर तक शुद्धि स्नान करें, अक्षय नवमी को आंवला के निचे या गोवर्धन हेतु धार्मिक अनुष्ठान करें | वैशाखी, पोंगल और मकर संक्राति में सामाजिक व्यवहार करें, या विशु बिहू में नृत्यरत हो जाएं या परम्परा का अनुशरण करते हुए जीव जन्तुओं और पेड़ पौधों के पूजन में लग जाएं | हर जगह, हर समय प्रसाद के रूप में प्रसन्नता प्राप्त होगी |
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist