अपनी बात
''मन चाही नहीं होत है, हरि चाही तत्काल
भावफल और राशिफल के बाद दशाफल लिखने का मन बना रहा था कि मित्रो का आग्रह हुआ संतान सुख पर प्रकाश डाला जाए। कुछ परिस्थितियां ऐसी बनीं कि मन मे सहज जिज्ञासा हुई कि संतानहीनता की पीड़ा के ज्योतिषीय कारण खोजे जाए। (।) संतान होगी कि नहीं होगी,(।।) संतान कब होगी, कैसी होगी, (।।।) क्या संतान सुख प्राप्त होगा या नहीं ये कुछ प्रश्न ऐसे हैं, जिन पर विचार करना किसी भी ज्योतिषी के लिए आवश्यक हो जाता है।
इन प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए मानक ग्रथों से विविध सूत्रों का संकलन किया गया। मित्रों ने कुंडलियां एकत्रित की और फिर यह सामूहिक प्रयास कब पुस्तक का आकार पा गया शायद मुझे भी उसका ठीक से ज्ञान नहीं है।
मेरे गुरुजन श्री जे. एन. शर्मा, श्री एम.एन. केदार, श्री रोहित बेदी, श्री रंगाचारी, श्री एम.एम. जोशी, श्री विनय आदित्य, डॉ. निर्मल जिन्दल एवं डॉ. श्री कान्त गौड़ के कृपापूर्ण मार्गदर्शन के बिना यह काय संभव नहीं था, अत: इनका मैं हृदय से आभारी हूँ। इस पुस्तक को तीन भागों में बाटा जा सकता है। प्रथम भाग (अध्याय एक से छ: तक) यहां यश और मान बढ़ाने वाले तथा माता-पिता की सेवा करने वाले बच्चों से बात आरभ कर संतान बाहुल्य अल्प संतति व संतान संख्या तथा पुत्र-पुत्रियों का विचार हुआ है। जन्म कुंडली में ग्रह स्थिति का विश्लेषण कर संतान सुख की संभावना इस खंड का मुख्य विषय है। द्वितीय भाग (अध्याय सात से अध्याय दस तक) संतान प्राप्ति के समय में दशा और गोचर की भूमिका, गर्भपात में अनिष्ट ग्रहों का प्रभाव, संतान की प्रकृति व स्वभाव दोष मे ग्रहो का योगदान तथा अनपत्य (संतानहीनता) दोष के प्रमुख कारणो पर चर्चा इरा खंड का विषय है। तृतीय भाग (अध्याय ग्यारह से तेरह तक)-भाग्य का नियत्रण कर सुख सम्मान की वृद्धि ही ज्योतिष ज्ञान का एकाकी लक्ष्य है। अच्छी संतान कैरने पाए इसके लिए मुहूर्त विचार तथा मंत्र व उपाराना पर चर्चा इस खंड की विषयवस्तु है।
निश्चय ही मेरी अज्ञानता अथवा प्रमाद से कुछ चुटिया भी अवश्य रही होगी। आशा है विज्ञ पाठक उन्हे स्वय सुधार कर प्रकाशक को सूचित करेगे जिससे अगले सस्करण को और अधिक सुन्दर व उपयोगी बनाया जा सके । इसमे श्रेष्ठता का श्रेय प्राच्य ऋषि मुनियों को तथा ज्योतिष शिक्षा के प्रसार मे निस्वार्थ भाव से लगे पूज्य गुरुजनो को दिया जाना चाहिए।
अपने मित्र, छात्र, ज्योतिष प्रेमी बंधुओं का स्नेहपूर्ण सहयोग इस पुस्तक की प्राण-शक्ति है। विविध स्रोतों से सामग्री का सकलन, चयन और सच्चा सभी कुछ तो इनकी कृपा से सभव हुआ है। आशा है पाठकगण इस कृति को उपयोगी और लाभप्रद पाएंगे।
विषय-सूची
(i)
पुस्तक के बारे में
(iii)
आभार
(iv)
1
संतान-सुख
2
बच्चे और ज्योतिष
24
3
संतान बाहुल्य योग
36
4
अल्प संतति योग
48
5
संतान संख्या विचार
57
6
पुत्री-पुत्री विचार
72
7
संतान प्राप्ति का समय
93
8
संतान-हानि विचार
111
9
संतान की प्रकृति व स्वभाव
125
10
संतानहीनता के योग
143
11
मनवांछित संतान
180
12
संतान विचार प्रकीर्ण
195
13
अनिष्ट निवारण के उपाय
213
परिशिष्ट
बच्चे (मूल लेखक खलील जिब्रान)
243
बच्चे सीखते हैं
246
ग्रहों की देवलोक या श्रीधाम संज्ञा
250
ग्रह अवस्था का ज्ञान
251
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