लेखकीय
आजकल बाजार में अनेक तन्त्र-ग्रन्थ उपलब्ध है। शास्त्रवचनों एवं सस्कृत के श्लोकों से भरे इन ग्रन्थों में साधना के इच्छुक साधकों के लिए कुछ भी नहीं होता। ये मात्र शास्त्रों में संकलित वर्णन होते हैं, जिनमें उपयोग के योग्य केवल मन्त्र और पूजन-विधियां होती है । पूजन-विधि को पूर्ण करना तन्त्र साधना नही है । न ही मन्त्रों की शक्ति उनके शब्दों में निहित होती है । पूजा कितनी भी एकाग्रता और विधि-विधान से की जाये, उससे सिद्धियां प्राप्त नहीं होती। इसलिए नहीं होतीं कि ये साधकों के लिए नहीं, गृहस्थों के लिए बनायी गयी हैं । इसी प्रकार 'मन्त्र' चाहे कितना भी शुद्ध रूप में लिखा हो, जब तक उसके 'नाद', अर्थात् उच्चारण और ध्वनिकम्पन का रहस्य ज्ञात नहीं है, मन्त्र जाप-से कोई सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती । हां, सामान्य लोगों के लिए यह जाप कल्याणकारी मात्र हो सकता है; किन्तु यह परिश्रम की तुलना में नगण्य ही होगा। मन्त्र की शक्ति 'नाद' में निहित है । यह शब्दों में कहीं होती ही नहीं है ।
'तन्त्र-साधना' एक गोपनीय मार्ग है । इसे अतिगोपनीय कहें, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी । इसकी सिद्धियों को केवल प्राचीन ग्रन्थों में उपलब्ध वर्णनों के आधार पर प्राप्त नहीं किया जा सकता । कारण यह है कि गोपनीय रहस्यों के बारे में इनमें कुछ भी नहीं होता । यह तो गुरु-शिष्य परम्परा में प्राप्त होता है। आजकल जितने तान्त्रिक-योगी बने हुए हैं, वे या तो कथावाचक हैं या पाखण्डी। इन्होंने कभी कोई सिद्धि प्राप्त नहीं की। ये मात्र शास्त्रीय वर्णनों एवं संस्कृत के श्लोकों का वर्णन करके स्वयं को सिद्ध तान्त्रिक, साधक एवं योगी कह रहे है।
फल यह होता है कि अथक परिश्रम करने के बाद भी जब कुछ हासिल नहीं होता, तो साधक तन्त्र-विद्या को ही मिथ्या मानकर निराश हो जाता है। ऐसे अनेक लोग हमारे यहां आते रहते है, जिन्होंने प्रसिद्ध व्यक्तित्वों से गुरु-दीक्षा लेकर तन्त्र या मन्त्र की साधना प्राप्त की, परन्तु उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ। मैंने जब भी इनसे पूछा कि वे कैसे करते हैं साधना या मन्त्र जाप, तो इनके उत्तर से मुझे भारी निराशा हुई । इन्हें तो प्रारम्भिक बातें भी नहीं बताई गयी थीं।
इन स्थितियों को देखते हुए ही मैने तन्त्र-साधना की उन गोपनीय विधियों एवं रहस्यों को अपनी पुस्तकों में खोलना प्रारम्भ कर दिया, जिनके सम्बन्ध में गोपनीयता बनाये रखने की शपथ ली जाती है।
प्रस्तुत ग्रन्थ एक ऐसा ही ग्रन्थ है । इसमें औघड़नाथ सदाशिव के साथ-साथ सभी देवी- देवताओं के समस्त गोपनीय रहस्यों को प्रकट किया गया है । कोई भी साधक जब तक इन रहस्यों को नहीं जानता, उसे सच्चा ज्ञान और सच्ची साधना का स्वरूप ज्ञान नहीं हो सकता । भन : किसी भी प्रयोग को करने से पूर्व सैद्धान्तिक खण्ड को समझने का प्रयत्न करें । इससे आप समझ सकेंगे कि वास्तव में सत्य क्या है और आप क्या करने जा रहे है । इससे तन्त्र-विज्ञान से सम्बन्धित भ्रमऔर अनास्था भी दूर होगा वैसे तो इस ग्रन्थ का प्रयोगिक खण्ड परम्परागत प्राचीन सिद्धियों एव उनकी शक्तियों के प्रयोग का खण्ड है, तथापि मैंने इसमें अपने द्वारा अन्वेषित कुछ आधुनिक विधियों का भी समावेश किया है, ताकि आधुनिक साधनों एवं उपकरणों द्वारा तन्त्र की शक्तिकी सिद्धियों सरलता से प्राप्त की जा सकें । पश्चिमी देशों मे इन शक्तियों की प्राप्ति के लिए तरह-तरह के प्रयोग हो रहेहैं आप यह समझने की भूल मत कीजिये कि तन्त्र के देवीदेवता केवल हिन्दू धर्मावलम्बियों के देवी-देवता हैं । ये ब्रह्माण्डीय शक्तियां हैं । इनकी व्यापकता समस्त ब्रह्माण्ड मे है । आप इन्हें किसी भी नाम से पुकारें, इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता।
इस ग्रन्थ में निरर्थक अन्यआस्थाओं के प्रति भी भ्रम निवारण किया गया है । तन्त्र के रहस्यों को, गोपनीयताके कारण, जनसाधारण के लिए रूपक कथाओं में अभिव्यक्त किया जाता रहा है । तन्त्र-विद्या और आध्यात्म के नाम पर ठगी करने वाले इन कथाओं के वर्णन के नाम पर लोगों को मूर्ख बना रहे हैं अत: जो भी वास्तव में तन्त्रविद्या की साधना करना चाहता है, उसे वास्तविक रहर्स्यो को जानना चाहिए। हमने इस पुस्तक में गोपनीय से गोपनीय रहस्यों को प्रकट करने का प्रयत्न किया है,तथापि फिर भी में कहना चाला। कि साधना प्रारम्भ करने से पूर्व किसी जानकार गुरु से निर्देश अवश्य प्राप्त कर लें ।
साधना के इच्छुक स्त्री-पुरुषों से मैं एक बात और भी कहना चाहूंगा यह पुस्तक एक शास्त्र है । तन्त्र-विद्या केस्वरूप और साधनाओं से सम्बन्धितएकविशालशास्त्र । इसमें सैकड़ों सिद्धियों एव साधनाओं के वर्णन है । पुस्तक पढ़कर एक साथ सभी की प्राप्ति के लिए मत ललचायें आपके मन की निरर्थक लालसा आपको असफल कर देगी आपको क्रमबद्ध रूप से ही सीढ़िया चढ़नी होंगी अत गुरु का निर्दश लेकर पहले एक आवश्यक सिद्धि प्राप्त करें इसके बाद एकएक करके आगे बढ़ें। मेरे पास आने वाले अधिकाश स्त्रीपुरुष एक साथ ही सब कुछ जानने और प्राप्तकरने के लिए लालायित रहते हैं, परन्तु यह सम्भव नहीं है । इससे एक भी सिद्धि प्राप्त करना असम्भव हो जायेगा
इस ग्रन्थ में सभी रहस्यों, सिद्धियों, साधना-विधियों का वर्णन है, तथापि किसी शंका के समाधान हेतु पत्र लिख सकते हैं।
विषय-सूची
1
वाममार्ग की विवादास्पद साधनाओं के गोपनीय रहस्य एवं सिद्धियां
11
2
पंचांगुली साधना
29
3
लिंगायत सम्प्रदाय और कौल मार्ग
37
4
योनि तन्त्र की सिद्धियां
40
5
योनितन्त्रम्
48
6
योनिध्यानम्
71
7
योनिकवचम्
75
8
कुण्डलिनीस्तोत्रम्
76
9
प्रकीणांश
78
10
भैरवी पूजा अनुष्ठान
82
पति-पत्नी की समस्याओं का निदान भैरवी पूजा से
86
12
कुण्डलिनी साधना के तकनीकी रूप
91
13
शरीर के प्रमुख ऊर्जा चक्र और मूलाधार
102
14
स्वाधिष्ठान चक्र
107
15
मणिपूरक चक्र
110
16
अनाहत चक्र
113
17
विशुद्ध चक्र
118
18
परकाया-प्रवेश
121
19
साधना विधियां
134
20
क्या है, तन्त्र?
142
21
औघड़नाथ का रहस्य
145
22
सदाशिव और औघड़नाथ
147
23
प्रथम शिवलिंग की उत्पत्ति
149
24
पंचतत्त्व, नवशक्ति, अष्टसिद्धि रहस्य
156
25
नवशक्ति, नवनिधि, अष्टसिद्धि एवं शिवलिंग
159
26
ब्रह्माण्डीय सर्किट की स्वचालित प्रक्रिया
169
27
गण्डे-तावीज आदि के चमत्कारिक रहस्य
181
28
भारतीय अंग-विज्ञान
183
जीव ओंर जीवन का रहस्य
190
30
किसको इष्ट बनायें?
195
31
ऊर्जा पिरामिडों का समागम ही ब्रह्माण्ड है
199
32
औषधियों पर पिरामिडीय प्रयोग
202
33
नौ क्षेत्रों में बंटा ब्रह्माण्ड
208
34
वाममार्ग की काकिणी
214
35
औघड़नाथ तन्त्र के गोपनीय सूत्र एवं सारणियां
216
36
औघड़नाथ तन्त्र के गोपनीय ऊर्जा बिन्दु एवं संरचनाएं और सिद्धियां
228
रक्तिम शिवलिंग के देवी-देवताओं की सिद्धियां
261
38
सिन्दूरी शिवलिंग के देवी-देवताओं की सिद्धियां
267
39
तांबाई शिवलिंग के देवी-देवताओं की सिद्धियां
271
रक्तपीत शिवलिंग के देवी-देवताओं की सिद्धियां
275
41
स्वर्ण शिवलिंग के ऊर्जा चक्र और देवी-देवताओं की सिद्धियां
285
42
आसमानी शिवलिंग के देवी-देवता की सिद्धियां
290
43
रजत शिवलिंग की सिद्धियां (त्रिनेत्र साधनाएं)
296
44
चन्द्र शिवलिंग के देवी-देवता की सिद्धियां
300
45
नवग्रह शान्ति के अनुष्ठान (यन्त्र एवं कवच सहित)
304
46
जन्मकुण्डली एवं जन्मदिन के अनुसार रत्न धारण
313
47
मानसिक शक्तियां क्या हैं?
318
शरीर की विलक्षण ऊर्जा संरचना और उसकी कार्यप्रणाली
324
49
मानसिक शक्तियों के प्रयोग की पात्रता
327
50
समय एवं आसन व्यवस्था
330
51
प्रारम्भिक अभ्यास
334
52
पौधों पर चमत्कारिक प्रयोग
354
53
रासायनिक एवं जैविक योगों द्वारा मानसिक शक्ति के चमत्कार
358
54
परामानसिक तरंगों का केन्द्रीयकरण
363
55
योगाभ्यास के बिन्दुओं पर ध्यान से प्राप्त सिद्धियां
369
56
तान्त्रिक विधि से चमत्कारिक सिद्धियां
373
57
कुण्डलिनी साधना
379
58
क्या है पति-पत्नी एवं स्त्री-पुरुष सम्बन्ध?
382
59
रतिक्रीड़ा में तान्त्रिक ऊर्जा तरंगों के सूत्र
385
60
तन्त्र के अनुसार स्त्री एवं पुरुषों के भेद
389
61
नर-नारी रति के भेद
393
62
रति-क्रीड़ा के मूल-मन्त्र
396
63
पति-पत्नी की आपसी विरक्ति और यौन समस्या
399
64
नारी की काम-नाड़ियां
404
65
बन्धयापन का तान्त्रिक निदान
409
66
बन्धयापन की तान्त्रिक चिकित्सा
415
67
मासिक धर्म विकार चिकित्सा
417
68
स्त्रियों में काम एवं चन्द्रकला का प्रभाव
420
69
स्त्रियों के तान्त्रिक रहस्य
422
70
नपुंसकता के भेद
427
नपुंसकता एवं शीघ्रपतन के निदान
432
72
शीघ्र वीर्यपतन की सिद्ध औषधियां
436
73
लिंग वृद्धि योग
438
74
स्तम्भन के विशिष्ट प्रयोग
441
बाजीकरण
444
बाजीकरण के तत्त्व
450
77
बाजीकरण योग
459
चमत्कारिक तान्त्रिक वनस्पतियों का रहस्य
461
79
वशीकरण के कुछ प्रयोग
478
80
ग्रहपीड़ा, भूत-प्रेत, जादू-टोना एवं ऊपरी बाधा मुक्ति के उपाय
481
81
विभिन्न देवी-देवताओं से सम्बन्धित टोटके
483
मन्त्र शक्ति का रहस्य और जप विधियां
504
83
वैदिक मन्त्र
510
84
शाबर मन्त्र
517
85
अगिया बैताल की साधना
533
विभिन्न रोग निवारण मन्त्र
537
87
अन्य कर्णपिशाचिनी प्रयोग विधि
542
88
विशेष वशीकरण हेतु मन्त्र, तन्त्र व यम प्रयोग
549
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