असद रज़ा के नाम से हम सब परिचित हैं-उर्दू भाषा में उनकी हास्य-व्यंग्य की रचनाओं के कारण, जिनमें यह अपने-आप पर और समाज पर तीखे वाण चलाते हैं। यदि कभी-कभार उनकी बातें अधिक कड़वी कसैली हो जाती हैं तो वह उन्हें हास्य की मिठास में लपेट देते हैं ताकि कॉटे की चुभन के साथ-साथ गुदगुदी का आभास भी होता रहे।
उनकी हास्यपूर्ण-व्यंग्यात्मक कहानियाँ केवल वयस्कों के लिए ही नहीं होतीं, बच्चों के लिए भी उन्होंने कुछ ऐसी कहानियाँ लिखी हैं जो उर्दू की बाल-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। पयाम-ए-तालीम, निराली दुनिया तथा उमंग इत्यादि। परंतु उनकी इच्छा रही है कि ये कहानियों संग्रह के रूप में बच्चों को भी उपलब्ध होनी चाहिए, अतः उन्होंने नन्हे-मुन्नों की सरकार शीर्षक से कहानियों का उर्दू संग्रह तैयार किया, जो अब हिंदी भाषा में प्रकाशित किया जा रहा है।
इस संग्रह में पूरी 10 कहानियाँ हैं, जो अत्यंत रोचक और मज़ेदार हैं। इन कहानियों की विशेषता यह है कि यह अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं शिक्षाप्रद हैं। इनमें समाज सुधार और नैतिक शिक्षा का भरपूर समावेश है। असद रज़ा ने ये कहानियाँ वाल-मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर रची हैं। उन्होंने मानवीय मूल्यों और समस्याओं पर भी सहजता से प्रकाश डाला है।
इस पुस्तक की सभी कहानियों में कोई न कोई शिक्षाप्रद संदेश अवश्य मौजूद है, परंतु नैतिक मूल्यों और उपदेशात्मकता की अपेक्षा बच्चों के मित्र के रूप में अपनी बात कही है, जिसके कारण ऐसी बातें कहानी को जटिल नहीं बनातीं। लेखक का व्यवहार अत्यंत सकारात्मक और धर्मनिरपेक्ष है। इनकी कहानियाँ समाज के प्रत्येक वर्ग के पाठकों के लिए आनंददायक और लाभप्रद हैं। उन्होंने अंधविश्वास के भ्रमजाल से निकालकर बच्चों को वैज्ञानिक चिंतन से परिचित कराने का प्रयत्न किया है।
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