कथनी एवं करनी में समानता हो तथा पवित्रता एवं परोपकार से जिनका जीवन ओतप्रोत हो-ऐसे ही लोगों को महान् प्ररुष कहा जाता है जो समय-समय पर इस धराधाम पर अवीतीर्ण हो, पीड़ित मानवता को, वास्तविक शान्ति और सहारा प्रदान करते हैं।
भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध, नानक, महावीर, मोहम्मद साहब, इसामसीह आदि अनेक ऐसे महापुरुष इस पृथ्वी पर समय-समय पर आये जिन्होंने मानव को प्रेम, एकता एवं शान्ति का पाठ पढ़ाकर सच्ची राह दिखायी। उन्होंने समाज में कभी भी नफरत, फूट और भेदभाव के बीज नहीं बोये बल्कि 'एकात्मा' के संदेश को प्रसारित कर बिखरे हुए समाज को एकता के सूत्र में बाँधा, गरीब-अमीर, छोटे-बड़े, सभी को उन्होंने गले लगाया, चाहे वह किसी भी सम्प्रदाय या जाति का क्यों न रहा हो।
भगवान कृष्ण ने विद्वरानी के घर, केले के छिलके खाये: भगवान राम भिलनी के घर गयेः गुरु नानक साहब ने गरीबों के घर में खाना खाया और एक एक ग्ररीब भक्त के घर की रोटी में से द्ध निकालकर यह भी दिखा दिया कि उसकी कमाई सच्ची मेहनत की कमाई है; कबीर साहब के शिष्यों में हिन्दू, मुसलमान आदि सभी लोग थे; बद्ध और महावीर ने राजपाट को ठोकर मारकर मानवमात्र को गले लगाया तथा अंगुलीमाल जैसे दुर्जय डाक को भी प्रेम की शक्ति से बदला; मोहम्मद साहब और संत यीशुमसीह ने भी प्रेम को अपने जीवन में यहाँ तक प्रगट किया कि जिन्होंने उनका विरोध किया, उन पर अत्याचार किया, उनको भी वे अन्त तक प्रेम ही बाँटते रहे।
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