प्रस्तुत संकलन "मुक्ति-कथाएँ" में तीन सारगर्भित कथाएँ और एक दस प्रश्नों के माध्यम से सत्य-असत्य के निर्णय पर पहुँचने का सुझाव संग्रहीत है। पहली कथा 'धुन्धकारी की मुक्ति' एक पौराणिक आख्यान है। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि पुराणों की कथाएँ रोचक और शिक्षाप्रद होने के साथ-साथ सहज ही बोधगम्य हैं। उनकी रचना के पीछे कदाचित् यही उद्देश्य निहित है कि इनके माध्यम से गूढ़ से गूढ़ रहस्यात्मक बातों को सर्व-साधारण के लिए बोधगम्य बनाया जाय। वैदिक और औपनिषदिक ज्ञान का मर्म प्रायः विद्वानों और पंडितों की भी पकड़ में नहीं आता। किन्तु पुराणों की शैली कथाओं के माध्यम से उन्हीं गूढ़ रहस्यों को अधिकाधिक स्पष्ट करने की है।
"धुन्धकारी की मुक्ति" एक बहुत ही मार्मिक प्रसंग प्रस्तुत करती है। प्रायः भगवङ्कथा, हरिचर्चा और सत्संग आदि का श्रवण तो अनेक लोग करते हैं, किन्तु इष्ट-फल की प्राप्ति किसी-किसी को ही क्यों होती है- यह इससे बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है। पूर्ण मनोयोग की स्थिति में व्यक्ति का उद्धार होने में देर नहीं लगती, इसके विपरीत अस्थिर और संशययुक्त मन कथा-श्रवण के फल से उसे वंचित रखता है। यही कारण है कि रत्नाकर, अंगुलीमाल और धुन्धुकारी जैसे व्यक्ति अल्प-काल के सत्संग से ही विख्यात महर्षि एवं मुक्तात्मा सत्पुरुष की गति को प्राप्त हुए और जीवन-पर्यन्त ऊपरी मन से या परम्परा-निर्वाह हेतु कथा-श्रवण और सत्संग करने वाले जहाँ के तहाँ बने रहे या धीमी गति से आत्मोन्नति के मार्ग पर बढ़ सके।
दूसरा आख्यान श्रीमद्भागवत् से लिया गया है। इसमें श्रीमद्भागवत् महापुराण का प्रारंभिक अंश तथा अंत में सारी कथा का निचोड़ देने का प्रयास किया गया है। इसके अध्ययन से व्यक्ति अपने जीवन की दिशा बदल सकता है और परमार्थ के मार्ग पर सही अर्थों में अग्रसर हो सकता है।
तीसरी कथा संसार का भ्रमात्मक स्वरूप समझने में सहायक सिद्ध होगी। भगवान की माया कितनी विलक्षण है और अपने ही बल पर उससे पार पाना कितना कठिन है, यह इससे सहज ही समझ में आ जायेगा। इससे पार पाने के लिए संत अथवा सद्गुरु के रूप में धरती पर विद्यमान रहने वाले नर-रूप हरि की कृपा ही मात्र साधन है।
अंतिम दस प्रश्न व्यक्ति को इधर-उधर भटकने से बचाकर सीधे सच्चे मार्ग को खोज निकालने तथा तदनुरूप आचरण कर अपना जीवन सफल व सार्थक बनाने को प्रेरित करते हैं। इस प्रकार यह संग्रह मानवमात्र के लिए परम हितकारी मार्गदर्शक का काम करेगा और पाठक इससे पूरा-पूरा लाभ उठाएँगे इसी आशा और विश्वास से हम इसे लिपिबद्ध कर प्रकाशित कर रहे हैं।
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