'मुखड़ा एक तरफ जहाँ संगीत मं सौंदर्यात्मक वृध्दि करता है, वहीँ बंदिशों को पूर्णता में प्रदानकरता है जैसा की नाम से स्पष्ट होता है साहित्यिक भाषा मं जिस प्रकार मुखड़ा एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को पूर्ण रूप से सामने लता है! उसी प्रकार मुखड़ा बंदिश सम्पूर्ण रचना को प्रकाशमान करता है ! अगर हम बंदिश के समग्र रूप को देखे सबसे अधिक आकर्षण मुखड़े में ही दिखाई है! तबला वदान के केष्ट्र मं मुखड़ा नामक शीर्षक मं इतनी सम्भावनाएँ हो सकती है, इस तरफ किसी का ध्यान केंद्रित नहीं हुआ! तबला वादन में मुखड़े का प्रयोग लगभग सभी घरानों में किया जाता है! परन्तु बनारस घराने के तबला वादन मं मुखड़ा वादन का केष्ट्र अधिक व्यापक है क्योंकि इस घराने के तबला वादन में अन्य घरानों की अपेक्षा पखावज के खुले बोलों का प्रयोग अधिक है! तबला वादन में इसका प्रयोग विद्वत श्रोताओं के साथ साथ जान साधारण को भी अपनी ओर आकर्षित करता है! बनारस घराने के तबला वादन में मुखड़ा नमक इस ग्रन्थ तबला विद्वान एवं नाधिंधिंना और धिरकित के जादूगर पंडित अनोखे लाल मिश्र जी द्वारा प्रयुक्त विभिन्न तालों मं विभिन्न तालों में प्रकार के मुखड़े से युक्त रचनाओं का संग्रह है! मेरे विचार से इस विषय पर इतना महत्वपूर्ण ग्रन्थ पहेली बार लिखा गया है! इस ग्रन्थ के अध्ययन से संगीत के साधक एवं शोधाथी लाभान्वित होंगे!
डॉ. प्रेम नारायण सिंह का जन्म बिहार के भभुआ जिलान्तगर्त धनेच्छा ग्राम में हुआ! आपके पिता श्री देव शरण सिंह अपने समय के कुशल शिक्षाविद एवं संगीत कला के प्रेमी व्यक्ति थे ! संगीत शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा आपको अपने पिता से प्राप्त हुई ! संगीत एवं साहित्य में समन्वित रूप से आपकी रूचि होने के कारन आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से सनातक किया तथा पिताजी के प्रेरणा के कारण आप तबले की उच्य शिक्षा ग्रहण करने हेतु बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के संगीत एवं मंच कला संकाय से जुड़े! जहाँ अपने तबला वादन की विधिवत शिक्षा गुरु शिष्य परम्परा के अंतगर्त बनारस घराने विद्वान तबला वादक पंडित छोटे लाल मिश्र जी से दीर्घकालीन शिक्षा प्राप्त की! साथ-ही-साथ आपने संगीत एवं मंच कला द्वारा आयोजित तबले B. Mus . तथा M. Mus. की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की! M. Mus. में सर्वोच्य अंक के साथ आपको पंडित ओंकार नाथ ठाकुर अबाई से सम्मानित किया गया! संगीत में उच्य शिक्षा की आकांक्षा के फलस्वरूप तबला विद्वान पंडित छोटे लाल मिश्र जी के दीक्षा निर्देशन में आपने तबला वादन के क्षेत्र में पंडित अनोखे लाल मिश्र जी का व्यक्तित्त्व एवं कृतित्त्व शीर्षक विषय पर सफलतापूर्वक अपना शोध कार्य संपन्न किया, इस सफल शोध कार्य के लिए आपको बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी की और से Ph . D. की उपाधि प्रदान की गई! संगीत के केष्ट्र में महत्वपूर्ण शोध कार्य करने हेतु आपको भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के द्वारा के द्वारा सन १९९८ में Junior Research Fellowship तथा सन २००६ में Senior Research Fellowship प्रदान किया गया! सन १९९६ मेंविश्वविद्यालय अनुदान आयोग डेल्ही द्वारा आयोजित प्रवक्ता पात्रता प्ररीक्षा मं आपको चयनित किया गया! आपने सन १९९९ से २००९ तक बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के संगीत एवं मंच कला संकाय तबला विभाग में डिप्लोमा के छात्रों तो तबला वादन की कुशल शिक्षा प्रदान की!
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