Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours |
|
Item Code: | GPA195 |
Author: | Swami Ramsukhdas |
Publisher: | Gita Press, Gorakhpur |
Language: | Hindi |
Pages: | 110 |
Cover: | Paperback |
Other Details | 8 inch x 5.5 inch |
Weight | 100 gm |
नम्र निवेदन
ब्रह्मलीन परम श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराजके सशरीर उपस्थित रहते समय ऐसे कई लेख लिखे गये थे, जो उनके सामने प्रकाशित नहीं हो सके । कुछ लेख 'कल्याण' मासिक-पत्रमें प्रकाशित हुए थे । कुछ प्रश्नोत्तर लिखे हुए थे । उनमेंसे कुछ सामग्री प्रस्तुत पुस्तकमें प्रकाशित की जा रही है ।
स्वामीजी महाराजके सामने जो भी पुस्तकें लिखी जाती थीं, उन्हें प्रकाशित होनेसे पूर्व वे एक-दो बार अवश्य सुन लेते थे और उनमें यथावश्यक संशोधन भी करवा देते थे । कहीं किसी बातकी कमी ध्यानमें आती तो उसकी पूर्ति करवा देते थे और कहीं कोई विषय स्पष्ट नहीं हुआ हो तो उसका स्पष्टीकरण लिखवा देते थे । परन्तु अब ऐसा सम्भव नहीं है । इसलिये प्रस्तुत पुस्तकमें कुछ कमियाँ रह सकती हैं । आशा है, इसके लिये पाठक क्षमा करेंगे और स्वामीजी महाराजके भावोंको और भी समझनेके लिये उनकी अन्य पुस्तकोंका अध्ययन करेंगे ।
प्रस्तुत पुस्तकमें साधकोंके लिये उपयोगी अनेक गूढ़ विषयोंका उद्घाटन हुआ है । पाठकोंसे निवेदन है कि वे इस पुस्तकका मनोयोगपूर्वक अध्ययन करके लाभ उठायें ।
विषय-सूची |
||
विषय |
पृं.सं |
|
1 |
तात्त्विक प्रश्नोत्तर |
5 |
2 |
साधकोपयोगी प्रश्नोत्तर |
17 |
3 |
कल्याणकारी प्रश्नोत्तर |
29 |
4 |
साधनकी चरम सीमा |
35 |
5 |
भगवान् हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं |
43 |
6 |
वास्तविक बड़प्पन |
48 |
7 |
गीताकी विलक्षणता |
53 |
8 |
वेद और श्रीमद्भगवद्गीता |
65 |
9 |
स्त्रीके दो रूप-कामिनी और माता |
71 |
10 |
दिनचर्या और आयुश्चर्या |
76 |
11 |
वास्तविक आरोग्य |
82 |
12 |
परोपकारका सुगम उपाय |
89 |
13 |
धर्मकी महत्ता और आवश्यकता |
98 |
14 |
तीन महाव्रत |
104 |
15 |
भगवान् गणेश |
107 |
.
Send as free online greeting card