आत्म निवेदन...
आत्मीय स्वजन!
आप सभी के समक्ष विद्यालयी शिक्षा (कक्षा 1 से 12 तक की) हेतु तैयार की गई योगशिक्षा की पाठ्यपुस्तकों के साथ इस योग-संदर्शिका को रखते हुए हमें अत्यन्त हर्ष हो रहा है । 'योग' भारत की एक प्राचीन विद्या है । इसने विश्व में मानवता के हित में स्वस्थ शरीर और स्वस्थ चिन्तन की धारा को जन्म देकर सही मायने में'वसुधैव-कुटुम्बकम्' की भावना को चरितार्थ किया है । योग व्यक्ति को आत्मचेतना के कैन्द्र से जोड़कर उसकी अन्तर्निहित शक्तियों का जागरण कर सर्वांङ्गीण विकास कराना है ।
अनेक दार्शनिक, शिक्षाविद्, समाजसुधारक आदि, योगशिक्षा को विद्यालयी शिक्षा से जोड़ने की संस्तुति देते हैं । राष्ट्रीय शिक्षानीति-1986, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या- 2005 बच्चों के स्वास्थ्य एवं शारीरिक विकास के सम्बन्ध में योग को अत्यन्त महत्वपूर्ण मानती है। विद्यार्थियों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास में योग की उपादेयता एवं आवश्यकता को समझकर पतंजलि योगपीठ ने देश में योग के क्षेत्र में वर्षों से शिक्षण-प्रशिक्षण व अनुंसधान कर रही संस्थाओं व विद्वानों के साथ मिलकर यह पाठ्यपुस्तकें निर्मित की हैं, जिनमें उत्तराखण्ड सरकार की राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् उत्तराखण्ड (SCERT) का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ । साथ ही
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, (NCERT) नई दिल्ली ।
केन्द्रिय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान, परिषद्, (CCRYN) नई दिल्ली । कैवल्यधाम लोनावाला पुणे, राममणि अयंगर मेमोरियल योग संस्थान, पुणे ।
दि योग इस्टीट्यूट, सांताक्रूज, मुम्बई ।
स्वामी विवेकानन्द योग अनुसंधान संस्थान (डीम्ड विश्वविद्यालय) बैंगलूरू ।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय (शान्तिकुञ्ज), हरिद्वार ।
गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार ।
हिमाचल विश्व विद्यालय, शिमला ।
बिहार स्कूल ऑफ योग, मुंगेर, बिहार ।
प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय-विश्वविद्यालय, माउण्टआबू ।
आदि संस्थाओं सहित उन सभी संस्थाओं एवं विद्वानों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ जिनका प्रत्यक्ष व परोक्ष सहयोग प्राप्त हुआ, इस कार्य कै लेखन व सभी सामग्री संग्रहित एवं सुव्यवस्थित करने कें लिए डॉ साधना डिमरी व डॉ. सुशिम दुबे का विशेष सहयोग रहा इनके सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद व शुभकामनाएँ प्रदान करता हूँ ।
साथ में विविध विषयों पर चर्चा व सहयोग के लिए डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार, डी. नागेन्द्र ध्यानी एवं डॉ. मनोहर भण्डारी का भी धन्यवाद करता हूँ ।
सुन्दर चित्रावली एवं मुद्रण के लिए श्रीमती प्रियता राघवन एवं उनकी टीम का धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ देता हूँ ।
जीवन मूल्यों के हास के इस वातावरण में बच्चों को नशा, हिंसा व वासना से बचाकर उनको स्वस्थ संवदेनशील कर्त्तव्यपारायण एवं संस्कारवान बनाने में पाठ्यपुस्तक उपयोगी सिद्ध होंगी ऐसा मुझे विश्वास है ।
योगऋषि स्वामी रामदेव का यह कथन कि संयम, सदाचार, अहिंसा, सत्य के प्रति दृढ़ता व बड़ों के प्रतिसम्मान के भाव, संस्कार आदि बच्चों को बचपन में ही दिये जाये तो वे जीवन में कभी भी भ्रमित नहीं ही सकते । सम्पत्ति की विरासत से संस्कारों की विरासत अधिक महत्वपूर्ण है । इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर हमने विद्यालयी शिक्षा हेतु कक्षा 1-12 के लिए योगशिक्षा की पाठ्यपुस्तकें निर्मित की हैं । जिन्हें पढ़कर आरम्भ से ही बच्चे स्वस्थ शरीर एवं स्वस्थ मन के साथ प्रगति के कल्याण पथ पर अपने सधे-पग रख सकेंगे ।
आधुनिक समय में योग नवीनतम विषय के साथ विद्यालयों में प्रवेश करेगा । अत : आप सभी प्रबुद्ध शिक्षकों के निमित्त हमने यहयोग-संदर्शिका नामक पुस्तिका विकसित की है । प्रारम्भिक (कक्षा 1-8) एवं माध्यमिक (कक्षा 9-12) दोनों ही स्तरों पर आपके मार्ग निर्देशन हेतु यह संदर्शिका है ।
इसको तीन शीर्षकों में विभक्त किया गया है-1. योगशिक्षा सामान्य निर्देशन, 2 योग : सामान्य परिचय, 3. अन्य जानकारियाँ । प्रथम शीर्षक के अन्तर्गत योग की नवनिर्मित पाठ्यपुस्तकों के नाम, प्रारम्भिक एवं माध्यमिक स्तर पर प्रयोगात्मक एवं सैद्धान्तिक शिक्षण एवं मूल्यांकन सम्बन्धी निर्देशन मूल्यांकन पद्धति परीक्षायोजना, अंक विभाजन, प्रतिदर्श प्रश्न पत्र, विषय वस्तु का कालखण्ड विभाजन, व्यवस्थागत निर्देशन जैसे-योगकक्षा का स्वरूप, योग दिनचर्या एवं उसकी मूल्यांकन पद्धति, योग प्रतियोगिताएं का विभाजन के साथ दोनों स्तरों पर प्रस्तावित समस्त योगाभ्यासों (आसन, प्राणायाम, मुद्रा एवं बन्ध) के चित्र भी दिए गए हैं ।
द्वितीय शीर्षक में योग का अर्थ, योग कें निकाय, पतंजलि योगसूत्र का सामान्य परिचय एवं योग मार्ग में आने वाले साधक एवं बाधक तत्त्वों का उल्लेख किया है । तृतीय शीर्षक में हमने शरीर रचना एवं क्रिया विज्ञान एवं योग का विभिन्न संस्थानों पर प्रभाव एवं तत्सम्बन्धी योगाभ्यासों का उल्लेख किया हैं ।
यद्यपि हमने सावधानीपूर्वक यह पुस्तिका तैयार की है तथापि विषय क्षेत्र व्यापक होने के कारण त्रुटि रहना स्वाभाविक है । मेरा आप सभी जागरूक अभिभावकों एवं प्रबुद्ध शिक्षकों से आत्मीय निवेदन है कि गहनता से अवलोकन कर हमें बताने का कष्ट करेंगे । जिससे हम अगले संस्करण में उसको समाहित कर त्रुटियों का सुधार कर सकें ।
हमें आशा है कि शिक्षा की नवीन पद्धतियों के अनुरूप विकसित की गई योगशिक्षा की पाठ्यपुस्तकें एवं प्रस्तुत योग-संदर्शिका पुस्तिका आपकी आकांक्षाओं के अनुरूप खरी उतरेंगी । जिससे हमारे बच्चों, युवक-युवतियों को विश्व के सभ्य संस्कारवान व स्वस्थ नागरिक बनाने में यह पुस्तक सहयोगी सिद्ध होंगी ।
विषय अनुक्रम
विषय
पृष्ठ संख्या
योग शिक्षा एक सामान्य निर्देशन
1
योग शिक्षक की भूमिका
9
2
योगशिक्षा : पाठ्यक्रम एवं नवनिर्मित पाठ्यपुस्तकें
12
3
नवनिर्मित पाठ्यपुस्तकों में
15
3.1 सैद्धान्तिक शिक्षण
18
3.2 प्रयोगात्मक शिक्षण: कुछ आत्मीय अपेक्षाएं
21
3.3 प्रश्न एवं विविध अभ्यास
22
3.4 गतिविधि: प्रकार एवं प्रयोग
24
4
परीक्षाएं एवं मूल्यांकन सम्बन्धी निर्देशन
26-29
4.1 प्रतिदर्श मूल्यांकन प्रपत्रक
30
4.2 प्रतिदर्श प्रश्न-पत्र
31-35
5
योगाभ्यास सूची एवं आवश्यक निर्देशन
36-51
5.1 आसन, सूर्य-नमस्कार, चन्द्र-नमस्कार,
यौगिक जॉगिग,प्राणायाम, मुद्रा एवं बन्ध सूची
(प्रारम्भिक एवं माध्यमिक स्तर)
5.2 योगासन: अर्थ, परिभाषा एवं उद्देश्य
52
5.2.1 योगासन अभ्यास: विविध आयु समूह के बच्चे हेतु
53
5.2.2 योगासन प्रभाव
55
5.2.3 आसन अभ्यास के विविध प्रारूप
56
5.3 प्राणायाम: अर्थ एवं प्रभाव
57
5.3.1 प्राणायाम प्रयोगात्मक निर्देशन
61
5.3.2 कक्षा 6-12 में प्रस्तावित प्राणायाम
62
6
योग पाठ्यपुस्तकों के अध्यापन हेतु कालखण्ड योजना
63-69
7
व्यवस्थागत निर्देशन एवं अन्य क्रियाकलाप
70
7.1 योग दिनचर्या एवं उसका मूल्यांकन
73
7.2 योग प्रतियोगिताएँ एवं अन्य क्रियाकलाप
76
योग एक दृष्टिक्रम में
8
योग: सामान्य परिचय
79
योग: शब्दार्थ
82
10
योग सम्प्रदाय/निकाय
83
11
पतंजलि योगसूत्र : एक संक्षिप्त परिचय
84
योग के विक्षेप एवं साधन
90
13
मंत्र
92
अन्य जानकारियाँ
14
शरीर रचना एवं शरीर क्रिया विज्ञान
96
मानव-शरीर संस्थान पर योग का प्रभाव ।
98
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