अनादि काल से ईश्वर के अवतारों कृष्ण, बुद्ध, जरश्तुस्थ, मूसा, ईसा, मुहम्मद, बाब और बहाउल्लाह ने पावन ग्रंथों के माध्यम से मानवजाति का पथ-प्रदर्शन किया है। सभी अवतारों ने अलग-अलग तरीके से, अलग-अलग कालखण्ड में और अलग-अलग स्थानों से लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान दिया है और सभ्यता को आगे बढ़ाया है। उनकी वाणी से निकले शब्द संग्रहित किये गये जिसे अनुयायियों ने मानवजाति के लिये पवित्र ग्रंथ की संज्ञा दी। एक शक्तिशाली दिव्य ग्रंथ के विभिन्न अध्यायों की भाँति प्रकटीकरण के ये संग्रह समय और शताब्दियों के साथ बढ़ते चले गये और वेदों, भगवद्गीता, ज़ेन्द अवस्ता, धम्मपद, बाइबिल, कुरआन, बयान, ईकान और अक्दस को शामिल करते चले गये।
इन पावन पुस्तकों के अनेक उद्देश्य हैं: पृथ्वी पर मानव के अस्तित्व को आध्यात्मिक रूप से उन्नत करना और इसे उदात्त बनाना, धर्म के क्रमिक प्रकटीकरण का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करना और भाषागत विशेषताओं को उजागर करना, रचना-शैली, प्रतीक और जीवन के विभिन्न आयामों पर टिप्पणी देना।
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