जीवन क्षण-प्रतिक्षण विगत का हिस्सा होता जाता है। कुछ लोग आपसे ऐसे जुड़ते हैं कि जीवन का हिस्सा हो जाते हैं। उन्हें आप जीवन में भूल नहीं पाते। लेखकीय दुनिया में ऐसे अनेक लोग मिले जो मिलते ही धीरे-धीरे आत्मीय होते गए। उनके गुणों, विचारों और स्वभाव से बहुत कुछ सीखने को मिला। इन महनीय लोगों में अज्ञेय, ठाकुर प्रसाद सिंह, रामदरश मिश्र, कुँवर नारायण, कैलाश वाजपेयी, कुमार विमल, श्रीलाल शुक्ल, प्रभाकर श्रोत्रिय, ललित शुक्ल, कुबेरदत्त, मृदुला सिन्हा हैं तो हमारी समवयस मधु कांकरिया और बेटी श्रुति भी।
यश के शिखर पर आरूढ़ और विवादों के केंद्र में रहे अज्ञेय से हुई मुलाकात ने युवा मन को अभिभूत किया तो ठाकुरप्रसाद सिंह ने कैशोर्य में ही अपनी आत्मीयता की डोर में बाँध लिया। कोलकाता ने प्रभाकर श्रोत्रिय को निकट से समझने-बूझने का अवसर दिया तो पटना में कुमार विमल का ठीहा ज्ञान और गरिमा का तीर्थ बन गया। कुंवर नारायण से मिल कर जाना कि नैतिक आस्था साहित्य का आत्मबल होती है तो कैलाश वाजपेयी में एक वाग्गेयकार की छवि के दर्शन हुए। एक ही भेंट में मृदुला सिन्हा ने मन मोह लिया तो रामदरश मिश्र और ललित शुक्ल की बैठकी अनुभव और अभिव्यक्ति के उत्ताप से भरती रही।
जीवनानुभवों को समृद्ध करने में शहरों का भी अपना योगदान होता है। शहर से जुड़ कर ही हम उसकी आंतरिकता का अनुभव कर सकते हैं। अगर ये शहर मेरे जीवन के पड़ाव के रूप में नहीं आए हुए आए होते तो शायद न इन शहरों को जान पाता, न यहां पर रहने वाले लेखकों को, न उनकी दिनचर्या और उनके लेखन वैशिष्ट्य को। इसके अलावा जिन शहरों में आप नहीं भी रहे होते लेकिन वहां पर समय-समय पर जाना होता रहता है, उससे भी हम अपनी स्मृतियों को समृद्ध करते हैं।
ओम निश्चल
हिंदी के सुपरिचित कवि, आलोचक ।
जन्म : 15 दिसंबर, 1958, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश ।
शिक्षा : संस्कृत व हिंदी में एम.ए, पीएच.डी. व पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा ।
शब्द सक्रिय हैं (कविता संग्रह), मेरा दुख सिरहाने रख दो व ये जीवन खिलखिलाएगा किसी दिन (ग़ज़ल), भाषा की खादी एवं हिंदी का समाज, समाज की संस्कृति (निबंध), खुली हथेली और तुलसीगंध (संस्मरण), द्वारिकाप्रसाद
माहेश्वरी : सृजन एवं मूल्यांकन, कविता के वरिष्ठ नागरिक, कुंवर नारायण: कविता की सगुण इकाई, समकालीन हिंदी कविता ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, चर्चा की गोलमेज पर अरुण कमल व शब्दों से गपशप सहित समीक्षा व आलोचना की कई पुस्तकें।
अज्ञेय आलोचना संचयन, अधुनांतिक बांग्ला कविता, विश्वनाथप्रसाद तिवारी : साहित्य का स्वाधीन विवेक, द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी रचनावली, कुंवर नारायण पर केंद्रित अन्वय एवं अन्विति सहित कई ख्यात कवियों की कृतियों का संपादन। तत्सम् शब्दकोश के सहयोगी संपादक एवं व्यावसायिक हिंदी सहित बैंकिंग वाड्.मय सीरीज (पांच खंड) के रचयिता । कुदरत की लय, पूछ रही है चिया, हम राष्ट्र आराधन करें (बालगीत)
कविता के लिए हिंदी अकादमी, दिल्ली, हिंदी संस्थान उ.प्र. के आचार्य रामचंद्र शुक्ल आलोचना पुरस्कार, जश्नेअदब के 'शान ए हिंदी खिताब'; विचार मंच, कोलकाता के प्रो. कल्याणमल लोढ़ा साहित्य सम्मान, यूको बैंक के अज्ञेय भाषा-सेतु सम्मान, माहेश्वर तिवारी साहित्य सम्मान एवं डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी स्मृति आलोचना सम्मान से विभूषित । कई प्रतिष्ठित संस्थानों के सदस्य। मारीशस व दक्षिण अफ्रीका की यात्रएं।
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