खामोशी बोलती है- Khamoshi Bolti Hai

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Item Code: AZA180
Author: Eckhart Tolle
Publisher: Yogi Impressions LLP
Language: Hindi
Edition: 2003
ISBN: 9789388677257
Pages: 141
Cover: PAPERBACK
Other Details 8.5 x 5.5 inches
Weight 170 gm
Book Description
पुस्तक परिचय
एक्हार्ट टॉल्ल के संदेश का सार समझना एकदम सरल है। अगर हम अपने भीतर की शांति से संपर्क स्थापित कर लें तो हम अपने चंचल मन और भावनाओं के पार जा सकते हैं और अपने अंदर मौजूद शांति, संतोष, निर्मलता व प्रसन्नता की अथाह गहराई का अन्वेषण कर सकते हैं। उनकी पहली बैस्टसैलर पुस्तक 'द पॉवर आफ् नाउ' (हिंदी अनुवाद शक्तिमान वर्तमान) के साथ उनका संदेश विश्व भर के लाखों लोगों तक पहुंच चुका है। यह उनकी बहुप्रतीक्षित दूसरी पुस्तक है। इसमें टॉल्ल ने अपने संदेश को इतने छोटे व सरल खंडों में प्रस्तुत किया है कि हर कोई उन्हें आसानी से समझ सकता है।

इस पुस्तक को दस अध्यायों में सहेजा गया है जिनमें "विचारग्रस्त मन के पार पंहुचना" से लेकर "दुख व दुख का अंत" जैसे विषयों को शामिल किया गया है। हरेक अध्याय यद्यपि अपने आपमें एक संक्षिप्त व परिपूर्ण प्रविष्टि है लेकिन पुस्तक को आदि से अंत तक पढ़े जाने पर वह अत्यंत रूपांतरकारी हो जाता है।

हमारे आज की आध्यात्मिक आवश्यकताओं को एक्ॉट टॉल्ल भली-भांति समझते हैं। इसीलिए, वे सभी आध्यात्मिक विचार धाराओं से सार-सत्य को ग्रहण करते हैं और फिर उन सत्यों को एक आश्चर्यजनक नए स्वरूप में प्रस्तुत कर देते हैं।

लेखक परिचय
एक्हार्ट टॉल्ल का जन्म जर्मनी में हुआ था जहां उन्होंने अपने जीवन के पहले तेरह वर्ष व्यतीत किए। लंदन विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन कर लेने के बाद उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में शोधकर्ता तथा पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करना आरंभ किया। जब वह उन्तीस वर्ष के थे तब एक प्रबल आध्यात्मिक रूपांतरण ने उनके पुराने व्यक्तित्व को बिल्कुल विलीन कर दिया था और उनके जीवन की दिशा को पूरी तरह से मोड़ दिया था।

अगले कुछ वर्ष उन्होंने उस रूपांतरण को समझने, उसका अर्थ निरूपण करने और उसे गहराई देने के प्रति अर्पित कर दिए, और यही था उनकी सघन आंतरिक यात्रा का शुभारंभ।

एक्हार्ट किसी भी विशेष धर्म या किसी विशेष विचारधारा से जुड़े नहीं रहे। अपनी शिक्षाओं में वे प्राचीन आध्यात्मिक मनीषियों के शाश्वत तथा सीधे-सरल लेकिन गहन-गंभीर संदेशों को स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करते हैं: दुख से बाहर निकलने का और शांति में प्रवेश करने का एक मार्ग है।

आजकल एक्हार्ट व्यापक रूप से यात्रा करते हैं और अपनी शिक्षाओं को अपनी उपस्थिति से संसार भर में फैला रहे हैं। 1996 से वे कनाडा के बैंकुवर में रह रहे हैं।

प्रस्तावना
अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा है, "शांत बने रहिए। आपके सामने खड़े पेड़ और आसपास की झाड़ियां कहीं गुम नहीं हुए हैं।" यानी, अपने जीवन में आपको भागमभाग करने की कोई आवश्यकता नहीं हैं, कुछ भी ग़ायब होने वाला नहीं है।








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