'जीवन का सच' हमारी 'चरित्र निर्माण दीपमाला' का पांचवां दीप है। अज्ञान और असत्य के अंधकार से आवृत्त जीवन में सत्य की खोज एक चिरंतन प्रश्न रहा है। भारतवर्ष वह पुण्य भूमि है जहाँ हर यग में कोई न कोई ऐसा महामानव जन्म लेता रहा है जिसने अपना समूचा जीवन मानव जीवन की सच्चाईयों को खोजने में बिताया और पृथ्वी पर ऐसे मापदण्ड निर्मित किए जिनके आधार पर मनुष्य जाति अपने विकास का पथ आलोकित करती रही है।
'जीवन का सच' एक ऐसे महामानव की कहानी है जिसने अपने समस्त राजसी वैभव और ठाट-बाट को ठुकरा कर, अपनी सुन्दर व युवा पत्नी तथा सद्यः जात पुत्र को छोड़कर सत्य-शोधन का कठोर व्रत धारण किया। यह महामानव थे शाक्य कुलाधिपति महाराजा शुद्धोधन के सबसे बड़े राजकुमार सिद्धार्थ जो बाद में अपने त्याग, अपनी तपस्या एवं आध्यात्मिक ऊँचाइयों की उपलब्धि के कारण 'गौतम बुद्ध' कहलाए।
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