पुस्तक के बारे में
अभी तक की जैमिनी पद्धति पर लिखी यह मौलिक शोध पुस्तक अत्यन्त चमत्कारिक और प्रभावशाली है। यह मौलिक शोध दर्शाता है कि किस तरह से जैमिनी के आत्म, अमात्य, भ्रातृ, मातृ, पुत्र ज्ञाति और दारा कारकों का उपयोग होता है कि किस तरह से सात कारकों का उपयोग होता है। लेखक ने यह दृष्यन्तों के साथ दिखाया है कि किस तरह से सात कारकों (न कि आठ जो पूर्णता: अवैज्ञानिक है) का किसी विशेष भविष्य वाणी के लिए प्रयोग करते है।
जहां दूसरी किताबों में मात्र चर दशा की गणना भर है इस शोध में जैमिनी की चर दशा की गणना के साथ-साथ भविष्यकथन करने के लिए इसका प्रयोग भी बताया गया है जो कि अपने में एक क्रान्तिकारी व निर्णायक पहल है।
लेखक ने चर दशा गणना को थोड़ा भिन्न तरीके से बताया है जो वैज्ञानिक व तर्कसंगत है। इसको प्रयाप्त दृष्टान्तों के साथ समझाया है कि किस तर से चर दशा व खुले विचारों के साथ कारकों का इस्तेमाल भविष्यकथन के लिए होता है।
जो तकनीक व कार्यविधि यहां बताई गई है उसे अब तक भारतीय विद्या भवन (संसार का सबसे बड़ा ज्योतिष संस्थान जो लेखक के दिशा निदेश में चलता हैं) के सैकड़ों शोधार्थियों ने हजारों कुण्डलियों पर पुनरावृत्ति सिद्धा्त के साथ प्रयोग किया है। यह पुस्तक एक गम्भीर ज्योतिषी को अवश्य आकर्षित करेगी जो किसी घटना के समय निर्धारण के लिए विंशोत्तरी दशा के अतिरिक्त एक स्पष्ट व निर्णायक दशा का उपयोग करना चाहता है।
लेखक का दावा है कि यह उनका मूल शोध मौलिक व अंग्रणी है। लेखक की पाठकों से अपेक्षा है कि भारत की परम्परागत ज्योतिष पर, पुरानी पीढ़ी के ज्योतिषयों द्वारा अपने सशक्त व रूढ़िवादी विचारों के आवरण को नयी पीढ़ी के शोधार्थीं बदलेगे व इस शोध में दी गयी तकनीकों को अन्वेषनात्मक तरीके से और उन्नत व उपयोगी बनायेंगे। इस मौलिक शोध पुस्तक में लेखक के मत या विचार को अन्तिम या निर्णायक न समझें।
दो शब्द
गुरुवत् स्नेह से आदरणीय के एन राव जी ने कुछ समय पहले मुझे आदेश दिया था कि यदि संभव हो तो मैं उनकी मौलिक शोध, ''प्रिडिक्टिंग थ्रू जैमिनीज चर दशा '' का हिन्दी रूपान्तर हिन्दी पाठकों और ज्योतिष के छात्रों तक पहुँचाऊं । उनका यह आदेश मेरे लिए परम सौभाग्य की बात थी । कई कारणों से इस आदेश के पालन में अनावश्यक विलम्ब हुआ इसका मुझे अत्यन्त खेद है । व्यक्तिगत कारणों के अतिरिक्त इसके दो प्रमुख कारण थे । पहला, चर दशा अत्यन्त गूढ़ विषय है । दूसरा, आदरणीय रावजी की मूल रचना के भाषा प्रवाह को अनूदित रचना में कथ्य और शैली दोनों, स्तरों पर अक्षुण्ण रखना समर्थ से समर्थ अनुवादक के लिए एक चुनौती है फिर मुझ से अकिचन व्यक्ति की तो बिसात ही क्या है । किन्तु, आदरणीय राव जी की निरन्तर प्रेरणा और उससे भी अधिक उनके आशीर्वाद और असीम स्नेह ने मेरी इन कठिनाइयों को दूर किया और यह अनूदित कृति आपके सम्मुख प्रस्तुत करने की सामर्थ्य प्रदान की।
अनुवाद प्रक्रिया में मैंने यथासंभव कोई छूट नही ली है ताकि मूल कथ्य की भावना को कोई ठेस न पहुँचे । इस प्रयास में यदि कोई कसर रह गई है, या कोई भूल हौ गई है तो आशा है कि सुधीजन उसे स्पष्ट इंगित करेंगे और मुझे उसे सुधारने का अवसर देंगे।
विषय-सूची
1
3
2
अभिस्वीकृती
4
संक्षिप्त शब्द
7
विषय सूची
8
5
लेखक परिचय
10
6
अभिमूल्यन
13
यह पुस्तक लिखने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
17
प्रस्तावना एवं समर्पण
23
भाग - I
अध्याय-1
जैमिनी ज्योतिष की प्रमुख विशेषताएं
30
अध्याय-2
कारक
33
अध्याय-3
चर दशा का क्रम
37
अध्याय-4
अन्तर दशाओं का कम
40
अध्याय-5
दृष्टियां
42
अध्याय-6
जैमिनी चर दशा की गणना
44
अध्याय-7
पद
51
अध्याय-8
योग
53
भाग - II
अध्याय-9
भविष्यकथनात्मक तकनीकें
55
भाग-III
अध्याय-10
प्रथम पाठ: बचपन
62
अध्याय-11
प्रेम-संबंध और विवाह
71
भाग - IV
अध्याय-12
विवाह संबंधी समस्याएं
83
अध्याय-13
अमात्यकारक या महत्वपूर्ण व्यक्ति
94
अध्याय-14
राजयोग पद या स्थिति देने वाले योग
109
अध्याय-15
आत्मकारक की दशा
119
अध्याय-16
धनु राशि दशा में सावधान रहें
132
अध्याय-17
सुझावों सहित निष्कर्ष
141
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12543)
Tantra ( तन्त्र ) (996)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1901)
Chaukhamba | चौखंबा (3354)
Jyotish (ज्योतिष) (1450)
Yoga (योग) (1100)
Ramayana (रामायण) (1391)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23137)
History (इतिहास) (8251)
Philosophy (दर्शन) (3392)
Santvani (सन्त वाणी) (2555)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist