आमुख
कथक नृत्य उत्तर भारत की शास्त्रीय और लोकप्रिय नृत्य शैलियों में गिना जाता है। पहले यह दरबारों तक सीमित था, लेकिन अब पूरे भारत में प्रचलित होकर नृत्य प्रेमियों को आनन्द प्रदान कर रहा है।
कथक नृत्य शास्त्रोक्त तथा लोक तत्त्वों, दोनों पर आधारित है इसलिए यह साधारणजन से लेकर विद्वानों तक को रिझाता है। नाटयशास्त्र में महर्षि भरत ने कहा है कि नाट्य (गीत, नृत्त और नृत्य से युक्त) संसार में सबको उपदेश देता है और दुखी, श्रमित एवं शोक संतप्त तपस्वियों (दीनजनों) को शान्ति प्रदान करता है।
यह पुस्तक उन विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर लिखी गई है जो कथक नृत्य के क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हैं, अथवा जो कथक की प्रारम्भ से चतुर्थ वर्ष तक की परीक्षाओं को उत्तीर्ण करना चाहते हैं । लगभग सभी महत्त्वपूर्ण संगीत संस्थाओं के पाठयक्रम को ध्यान में रखकर इसमें कथक से सम्बन्धित जानकारी दी गई है। शिक्षेकों को चाहिए कि वे छोटे बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार इस पुस्तक में दिए हुए अध्यायों की शिक्षा दें ।
अन्य कलाओं की तरह नृत्य भी मनुष्य की आन्तरिक वृत्तियों को विकसित और अभिव्यक्त करने का एक प्रबल साधन है। नृत्य से मनुष्य को लय ताल का ज्ञान तो होता ही है, उसे शारीरिक व्यायाम का लाभ भी मिलता है। उसका सर्वांगीण विकास होता है, बुद्धि प्रखर होती है और चेहरे की कान्ति में वृद्धि होती है।
नृत्य और गान को हमारे यहाँ मोक्ष प्राप्ति का श्रेष्ठतम साधन बताया गया है। द्वारिका महात्म्य में कहा गया है कि जो प्रसन्नचित्त से, श्रद्धा और भावों से नृत्य करता है, वह जन्म जन्मान्तरों के पापों से मुक्त हो जाता । आशा है, यह पुस्तक सभी परीक्षार्थियों के लिए लाभप्रद सिद्ध होगी ।
अनुक्रम
भारतीय नृत्यकला
1
भारतीय सगीत और उसमें नृत्य का स्थान
2
जीवन में नृत्य का महत्त्व
3
भारत के शास्त्रीय नृत्य
4
कथकनृत्य
7
कथक नृत्य और उसका इतिहास
9
कथक नृत्य के घराने
11
नृत्य के प्रसिद्ध कलाकारों की जीवनियाँ
13
कथक नृत्य की प्रस्तुति
21
कथक के प्रसिद्ध कथानक
22
कथक और भरतनाट्मयम् में अन्तर
32
कथक नृत्य और लोक नृत्य में अन्तर
33
रस और भाव
34
गत
35
हावभाव और फेरी
36
नायक नायिका भेद
37
कथक नृत्य के कवित्त
38
कथक नृत्य की वेशभूषा
40
रूप सौन्दर्य
42
घुँघरू तथा पद संचालन
44
अग तथा उनका संचालन
48
अंग क्रिया, गति और मुद्रा
55
हस्तभेद
59
मुखबोल
71
विभिन्न तालों में नृत्यांकन
76
नर्तक नर्तकी तथा नृत्त्ताचार्य के गुण
103
कथक में प्रयुक्त तालें
104
नाट्यमंडप या नाट्यशाला
106
ताल के दस प्राण
107
संगीत पक्ष की जानकारी
109
प्रसिद्ध ताल ठेकों को हाथ से ताली देकर बोलना तथा लिखना
113
लय, मात्रा और उनके प्रकार
117
भारतखण्डे तथा विष्णुदिगम्बर ताल लिपियाँ
119
कथक नृत्य में प्रयुक्त गीत शैलियाँ
123
नृत्य सगीत सम्बन्धी पारिभाषिक शब्द
126
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