प्राक्कथन
भारत कृषि-प्रधान देश है। यहाँ की ऋतुओं में कृषि की दृष्टि से वर्षा ऋतु अधिक उपयोगी मानी जाती है । कब पानी बरसेगा, कब नहीं बरसेगा का ज्ञान होते रहने पर ही किसान कृषि कार्यों के सम्बन्ध में अधिक सतर्क रह सकते हैं। अन्य ऋतुओं के दैनन्दिन पर्यवेक्षण से आगामी वर्षा का अधिकांश ज्ञान सम्भव है। भारतीय आचार्यों ने ऋतु-सम्बन्धी वर्षा, वायु मेघ और आकाशीय विधुत आदि के विषय में अनुसन्धान करके अपने अनुभवों को लिपिबद्ध किया है, जो संस्कृत वाड्मय में यत्र-तत्र मिलते हैं। बृहत् संहिता, मेघमाला ओर बृहद्ददैवज्ञरंजन आदि ग्रन्यों में वह संग्रह रूप में भी उपलब्ध है। भारत की प्रत्येक भाषा में थोड़ी-बहुत ऋतु-सम्बन्धी कहावतें भी प्रचलित हैं। हिन्दी साहित्य में ऋतु-सम्बन्धी कहावतों के लिए घाघ, राउत ओर भड्डरी आदि का नाम विशेष उल्लेखनीय है। इनकी ऋतु-सम्बन्धी कहावतें बहुधा सत्य सिद्ध होती हैं।
'भारतीय ज्योतिष और मौसम विज्ञान' इन्होंने इस पुस्तक में अपने अनुसन्धानों और ऋतु-सम्बन्धी विवरणों का तुलनात्मक अध्ययन किया है और उपलव्य प्राचीन साहित्य के आधार पर यह पुस्तक तैयार की है। इस पुस्तक में उद्धृत श्लोकों का हिन्दी अनुवाद क्रमश: पुस्तक के अन्त में दिया गया है जिससे कि पाठकों को सुविधा हो। यह छोटा-सा ग्रन्थ, आशा है, हिन्दी के पाठकों को रुचिकर और उपयोगी प्रतीत होगा।
अनुक्रम
1
प्रथम प्रकरण
1-44
भारतीय ऋतु विज्ञान पर एक विहंगम दृष्टि
2
द्वितीय प्रकरण
45-108
भारतीय ऋतु विज्ञान के सिद्धान्त
3
तृतीय प्रकरण
109-138
4
परिशिष्ट एक : संस्कृत मूल
5
परिशिष्ट द्वितीय: हिन्दी अनुवाद
139-173
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Horoscopes (179)
Medical Astrology (47)
Nadi (39)
Numerology (51)
Original Texts (282)
Palmistry (49)
Planets (227)
Romance (38)
Vastu (113)
Vedic Astrology (84)
हिन्दी (289)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist