पुस्तक के विषय में
क्या वास्तु शास्त्र हमारे घर एवं कार्यस्थल पर पूरी तरह से लागू होती है? हमारे आसपास अनेकों लोग ऐसे मिलेंगे जिन्होंने भवन या कार्यशाला के लिये कोई न कोई भूखण्ड खरीद लिया और उस पर निर्माण करके रहना या कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। परन्तु यदि पूर्ण क्षमतानुसार प्रयास करते हुये भी सुख की प्राप्ति नहीं होगी, स्वास्थ्य खराब रहता है, हर कार्य में परेशानियाँ आती हैं तो वास्तुशास्त्र की आवश्यकता को अनुभव किया जाता है। सौभाग्य से कोई अनुभवी एवं शिक्षित वास्तुशास्त्री मिल भी जाये तो पहला सवाल सही होता है:-
"क्या बिना तोड़-फोड़, वास्तु में सुधार कर सुख, समृद्धि व स्वास्थ्य के स्थायी आधार को प्राप्त किया जा सकता है?"
'गागर में सागर' की तरह विद्वान लेखक पंडित गोपाल शर्मा की इस छोटी सी पुस्तक में ऐसे अनेक प्रश्नों का उत्तर समाया है। कैसे सैद्धान्तिक रूप में पिरामिड आदि विभिन्न उपकरणों का प्रयोग करके, फेंग-शुई को व्यवहारिक रूप में अपने घर, दफ्तर व कार्यस्थल पर प्रयोग करके अपने सुख व स्वास्थ्य को सुधारें, जीवन की हर दिशा में उन्नति करें और वह भी बिना तोड़फोड़ के- विश्व प्रसिद्ध वास्तु विशेषज्ञ पंडित गोपाल शर्मा का यह प्रयास सराहनीय है।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह कृति निश्चित रूप से आपके जीवन को सुख समृद्धि से भर देगी, दु:ख आपसे दूर भागेंगे, तथा आप अपने परिवार व इष्ट मित्रों सहित प्रसन्नचित्त रहेगें व सफल बनेंगे।
लेखक के विषय में
वैदिक विद्वानों तथा मानसिक-आध्यात्मिक चिकित्सको के नामी परिवार में जन्मे वास्तु विशेषज्ञ तथा इंजीनियर पं. गोपाल शर्मा कई कार्य क्षेत्रों में अर्थ बुद्धिमता के परिचायक हैं प गोपाल शर्मा 1968 में ब्रह्मलीन निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर यतीन्द्र स्वामी कृष्णानन्द गिरि जी महाराज द्वारा आध्यात्मिक पथ। पारलौकिक कार्यक्षेत्र में हासित किये गये 1968 से 1973 तक देहली कालेज आपक इंजीनियरिग में अपने पाँच वर्ष के अध्ययन के दौरान पं. गोपाल शर्मा की रूचि वेदान्त लिपि-विज्ञान हस्तरेखाशास्त्र तथा मुखाकृति-विज्ञान की ओर हुई
ये सब गुहय-ज्ञान मुखर हुए उनकी गहन विचारलीनता अध्ययन अनुसधान कार्य पथ। बड़े-बड़े सिद्धजनों तथा सन्तों के आशीर्वाद से जो उनको देश के अनेक भागों में विस्तृत भ्रमण के दौरान प्राप्त हुए पं. गोपाल शर्मा के अनूठे तथा कल्पनाशील योगदान को जो जिन्होंने आईशर ग्रुप कम्पीन्यों के विकास अभियन्ता के रूप में 1973 से 1978 में किया था आज भी सराहा जाता है बाद में आप एक मुख्य राष्ट्रीयकृत बैंक के साथ 12 साल तकनीकी अर्थशास्त्र के सलाहकार के रूप में सम्बन्धित रहे तथा नये व्यवसायों की स्थापना तथा कई व्यवसायों के पुनरूथान में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की पं. गोपाल शर्मा समस्त सृष्टि का संचालन करने वाले प्राकृतिक नियमों के आधारभूत सिद्धान्तों का अध्ययन एवं आम आदमी के जीबन को सुखी बनाने मे सक्षम इस प्राचीन कला का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं । आपने विश्व तथा देश के कई भागों मे सगोष्ठियों विचार-गोष्ठियों तथा परिसवादों की व्यवस्था की तथा उनमें योगदान किया अध्यात्म, प्राकृतिक- चिकित्सा भारतीय परपराओं का वैज्ञानिक आधार, वास्तुशास्त्र, फेंगशुई अकविज्ञान व पिरामिड शक्ति पर अनेक प्रमाणिक पुस्तकें विश्व की कई भाषाओ में लिखीसमाचार-पत्रों तथा अन्य पत्रिकाओं में मानव जीवन में सुख स्वास्थ्य, समृद्धि व सफलतादायक अनेकों अद्भुत तथा लाभदायक लेख छपवाये। अनेक सरकारी और गैरसरकारी सस्थाओं जैसे वास्तुशास्त्र विशेषज्ञों निर्माताओं भूमिविकास-कर्ताओं उद्योगपतियों आदि की गोष्ठियों मे' अनगिनित व्याख्यानमालायें नियोजित की तथा अनुसधानीय लेखों का वितरण किया। समाज के विभिन्न वर्गों को आध्यात्मिक ज्योतिषीय, पायरा-वास्तु तथा फैंगशुई के ज्ञान के द्वारा परामर्श दे रहे है।
आजकल आप कई पुरातन विषयों पर वैज्ञानिक दृष्टि से विशेष अनुसंधान कर रहे हैं अब तक आपकी विभिन्न विषयों पर पुस्तकें छप चुकी हैं इसके अतिरिक्त आप कई कम्पनियो, सस्थाओं, परिषद वित्तीय विनियोगों तथा व्यापारिक घरानों के सलाहकार हैं अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था सद्य (रजि०) के उपाध्यक्ष होने के साथ-साथ आप इस्टीट्यूट ऑफ वास्तु एण्ड जॉयफुल लिविंग के संस्थापक अध्यक्ष हैं देश की प्रमुख एनजीओ 'परम्परा' के महासचिव एव आदिशकराचार्य वैदिक एजूकेशन सोसाइटी के उपाध्यक्ष के रूप में आप अनेक वर्षों से मानव-कल्याण में लगे हुए हैं आम जनता के लिए भवन-विज्ञान की इस कला के संघर्ष पूर्ण और स्वार्थरहित विकास के लिए उन्हें अनेक पदकों और पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।
'भारत निर्माण' द्वारा आपको संस्था के सर्वोच्च सम्मान 'भास्कर अवार्ड' निहासनी द्वारा सर्वश्रेष्ठ जूरी (वास्तु) के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार तथा अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-कोलम्बो में आपको डॉक्टर ऑफ वास्तु विज्ञान की उपाधि से अंलकृत किया गया है।
कुछ अन्य विशिष्ट उपलब्धियाँ हैं दि रिसर्च ऑफ वैदिक कल्चर एवं सर गंगा राम अस्पताल द्वारा आत्मज्योति पुरस्कार एवं जम्मू विश्वविद्यालय के प्रांगण में महर्षि शौनक पुरस्कार।
विषय-सूची
1
भाग्यशाली बनें
9
2
पिरामिड वास्तु
19
3
पिरामिड और स्वास्थ्य रक्षा
29
4
पिरामिड के चमत्कार
31
5
पिरामिड ऊर्जा
32
6
पा-कुआ के आठ भाग
33
7
लो शू-ग्रिड
34
8
दिशा-विज्ञान
38
फेंगशुई के विशिष्ट चमत्मकार
41
10
पा-कुआ दर्पण
44
11
बा गुआ
45
12
मंडेरियन बत्तख
46
13
क्रिस्टल
47
14
पवन घंटी
15
नव-विवाहित सावधानी बरतें
48
16
वधू की विदाई लाल कार में
49
17
शयनकक्ष में जल दृश्य न लगाएँ
50
18
प्रेम के प्रतीक-जुड़वा पक्षी
51
सुनहरे भविष्य के प्रतीक हैं-संतरे
52
20
शीघ्र विवाह के लिए-चंद्र दर्शन
53
21
जल-संग्रह में सावधानी रखें
54
22
रोमांस के लिए धरती-तत्त्व
55
23
शयनकक्ष की सही दिशाएँ
56
24
निराशा में आशा-लाल रंग
57
25
शुभ प्रतीकों को अपनाएँ
58
26
जीवंत प्रेम की ज्वाला
27
अनंत प्रेम के लिए अंतहीन गाँठ
59
28
डबल हैप्पीनैस सिम्बल
60
तुलसी, कैक्टस और बोनसई
30
ऐसे सजाएँ शयनकक्ष को
61
मेज पर कम्प्यूटर कैसे रखे?
62
शयनकक्ष में कम्प्यूटर न लाएँ
रिश्ते सँवारते हैं झूमर
63
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