परिचय
वेदों में यह, घोषित किया गया है कि भगवान के दिव्य नामों का जप ही महासाधन है । इस संघर्ष-भरे अंधकारपूर्ण युग में जहाँ उग्रवाद एव तनाव फैला हुआ है, यही एकमात्र सर्वोत्तम योगाभ्यास है । जब तक सभी देशों के लोग अपने हृदयों पर भगवान के पावन नामों की माला धारण नहीं कर लेते, तब तक विश्व में शांति अथवा सामंजस्य की कोई सभावना नहीं है । सदियों से आध्यात्मिक गुरुओं ने एक ही सिद्धांत सिखाया है - भगवान के पवित्र नामों के कीर्तन एव जप द्वारा उनकी स्तुति करना । ऐसी स्तुति से मन शांत हो जाएगा, हृदय से काम, क्रोध तथा लोभ दूर हो जाएँगे एव
आत्मा आनंद से परिपूर्ण हो जाएगी । सन् 1971 में, लंदन में एक वार्तालाप करते हुए श्रील प्रभुपाद ने कहा,
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu ( हिंदू धर्म ) (12487)
Tantra ( तन्त्र ) (987)
Vedas ( वेद ) (705)
Ayurveda ( आयुर्वेद ) (1890)
Chaukhamba | चौखंबा (3352)
Jyotish ( ज्योतिष ) (1442)
Yoga ( योग ) (1092)
Ramayana ( रामायण ) (1389)
Gita Press ( गीता प्रेस ) (731)
Sahitya ( साहित्य ) (23027)
History ( इतिहास ) (8219)
Philosophy ( दर्शन ) (3376)
Santvani ( सन्त वाणी ) (2532)
Vedanta ( वेदांत ) (121)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist