पुस्तक परिचय
श्री स्वामी शिवानन्द जी महाराज को आधुनिक रोग, जिसे अनिंद्रा कहते है, से पीड़ित अनेकों लोगों के ढेरों पत्र नित्य आते थे |
यह स्थिति नि: सन्देह आधुनिक भौतिक सभ्यता के कृत्रिम जीवन, भावनात्मक स्थिति तथा मानव की नाड़ी शक्ति के अत्यधिक बहाव के कारन उत्पन्न हुई है | परन्तु मात्र कहने से ही तो समस्या का समाधान या कष्ट का निवारण नहीं होता है |इसलिए यह पुस्तक श्री स्वामी शिवानन्द जी महाराज ने विशेष रूप से अनिंद्रा से पीड़ित जनो के सेवा हेतु लिखी है | श्री Swami जी ने अलग अलग प्रकृति के लोगों के लिए अलग अलग विधियां बतायी है | जिन्होंने भी स्वामी जी की आध्यात्मिक विधियों को अपनाया, उन्हें ऐसा लगा जैसे कोई प्यासा एक गिलास पानी को खोज रहा हो और उसे अमरत्व प्रदान करने वाला घड़ा - भर अमृत मिल गया हो |
यह पुस्तक अनिंद्रा को ही दूर करने में सहायक नहीं होगी, प्रत्युत यह मनुष्य को अज्ञानता की नींद से जगायेगी और उसे जाग्रत निंद्रा|
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