भगवत्प्राप्ति कैसे हो?: How to Find God?

Express Shipping
$8.40
$14
(20% + 25% off)
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: GPA137
Author: Jayadayal Goyandka
Publisher: Gita Press, Gorakhpur
Language: Sanskrit Text With Hindi Translations
Edition: 2013
Pages: 128
Cover: Paperback
Other Details 8.0 inch x 5.5 inch
Weight 100 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
<meta content="text/html; charset=windows-1252" http-equiv="Content-Type"> <meta content="Microsoft Word 12 (filtered)" name="Generator"> <style type="text/css"> <!--{cke_protected}{C}<!-- /* Font Definitions */ @font-face {font-family:Mangal; panose-1:2 4 5 3 5 2 3 3 2 2;} @font-face {font-family:"Cambria Math"; panose-1:2 4 5 3 5 4 6 3 2 4;} @font-face {font-family:Calibri; panose-1:2 15 5 2 2 2 4 3 2 4;} /* Style Definitions */ p.MsoNormal, li.MsoNormal, div.MsoNormal {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:0in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraph, li.MsoListParagraph, div.MsoListParagraph {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:.5in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.msolistparagraphcxspfirst, li.msolistparagraphcxspfirst, div.msolistparagraphcxspfirst {mso-style-name:msolistparagraphcxspfirst; margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:0in; margin-left:.5in; margin-bottom:.0001pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.msolistparagraphcxspmiddle, li.msolistparagraphcxspmiddle, div.msolistparagraphcxspmiddle {mso-style-name:msolistparagraphcxspmiddle; margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:0in; margin-left:.5in; margin-bottom:.0001pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.msolistparagraphcxsplast, li.msolistparagraphcxsplast, div.msolistparagraphcxsplast {mso-style-name:msolistparagraphcxsplast; margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:.5in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.msopapdefault, li.msopapdefault, div.msopapdefault {mso-style-name:msopapdefault; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:0in; line-height:115%; font-size:12.0pt; font-family:"Times New Roman","serif";} .MsoChpDefault {font-size:10.0pt;} @page WordSection1 {size:8.5in 11.0in; margin:1.0in 1.0in 1.0in 1.0in;} div.WordSection1 {page:WordSection1;} -->--></style>

निवदेन

 

गीताप्रेसके संस्थापक श्रीजयदयालजी गोयन्दकाका यह दृढ़ विश्वास था कि जबतक जीव भगवत्प्राप्ति न कर ले तबतक जन्म मरणके चक्रसे छूटता नहीं और महान् दुःख प्राप्त करता रहता है । इसीलिये उनके मनमें यह भाव हर समय बना रहता था कि जिन्हें मनुष्यजन्म मिला है वे इस जन्मका सदुपयोग भगवान्की प्राप्ति करके हमेशाके लिये दुःखोंसे छुटकारा प्राप्त कर परमानन्द प्राप्त कर लें ।

इसके लिये उन्होंने दो उपाय सोचे थे महापुरुषोंके द्वारा रचित पुस्तकोंको घर घर पहुँचाना तथा भगवच्चर्चा करना, सत्संग कराना इन उपायोंको सार्थक करनेके लिये ही उन्होंने गीताप्रेसकी स्थापना करके कल्याण मासिक पत्रका प्रकाशन किया जिससे लोगोंको सत्साहित्य और साधनकी बातें मिलती रहें, जिन्हें वे अपने जीवनमें उतारकर अपना कल्याण कर सकें ।

दूसरा उपाय ऋषिकेश, स्वर्गाश्रम, गीताभवनमें ३ ४ महीनोंके लिये ग्रीष्मकालमें गंगाके किनारे वटवृक्षके नीचे वैराग्यपूर्ण एकान्त पवित्र स्थानमें सत्संग कराते थे । उन्हें सत्संग करानेकी बड़ी लगन थी ।

श्रीगोयन्दकाजीने वटवृक्षके नीचे सन् १९४२ में जो प्रवचन दिये, उन प्रवचनोंको सत्संगी भाइयोंने लिख लिया था । गृहस्थ अपना कल्याण सरलतासे कैसे करें ईश्वरभक्ति निष्काम सेवा निषिद्ध कर्मोंका त्याग सत्संग, नामजप, संध्या बलिवैश्वदेव, बड़ोंको प्रणाम करनेकी आवश्यकता इत्यादि बातोंपर उनके प्रवचनोंमें जोर रहता था । उन प्रवचनोंको पुस्तकका रूप देनेका विचार किया गया है । प्रस्तुत पुस्तकमें हमलोगोंको आत्मकल्याणकी बहुत सरल युक्तियाँ मिल सकती हैं जिन्हें अपने जीवनमें उतारकर हमलोग अपना उद्धार कर सकते हैं ।

पाठकोंसे विनम्र निवेदन है कि वे इस पुस्तकको स्वयं ध्यानपूर्वक पढ़कर लाभ उठावें तथा अपने सम्बन्धी मित्रोंको भी पढ़नेकी प्रेरणा दें ।

 

विषय सूची

1

सब जगह भगवान् हैं मान लें

5

2

भाव ऊँचा बनावें, भाव अपना है, अपने अधिकारकी बात है

7

3

अपना भाव सुधारे, अपने भावकी ही महत्ता है

12

4

मन, इन्द्रियोंके संयमकी आवश्यकता

20

5

भगवान् श्रीरामके स्वरूपका ध्यान

25

6

परमात्माकी शरण हो जायँ

30

7

भगवान्की न्यायकारिता एवं दयालुता

36

8

महात्माओंका प्रभाव

41

9

मनुष्य शरीरकी महिमा

46

10

भक्ति सुगम साधन है

50

11

मान बड़ाईकी इच्छा भगवत्प्राप्तिमें बाधक

55

12

गीताजीकी महिमा

60

13

जीवन सुधारकी बातें

69

14

भगवान्के आनेकी विश्वासपूर्वक प्रतीक्षा करें

81

15

काम करते समय भगवान्को साथ समझें

85

16

मौन रहना, भजन करना

87

17

भगवान्का तत्व समझकर प्रेम करें

88

18

अपना जीवन सेवाके लिये है

96

19

मुक्तिके लिये साधनकी आवश्यकता

98

20

ईश्वरकी भक्ति और धर्मका पालन

100

21

वैराग्यकी महिमा

109

22

सार बातें सत्संग, भजन और सेवा

113

23

भक्त हनुमान्

120

24

गरीबका कल्याण कैसे हो?

123

 

**Contents and Sample Pages**








Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at help@exoticindia.com
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through help@exoticindia.com.
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy